निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस का बायोमेट्रिक सत्यापन

निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस का बायोमेट्रिक सत्यापन

भोपाल :(राजेश पाण्डेय)———–मध्यप्रदेश में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले वाले बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति अब आधार नंबर से लिंक करते हुए बायोमेट्रिक सत्यापन से होगी। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कलेक्टरों को इस सम्बंध में निर्देश जारी कर दिये गए है। इस तरह की पारदर्शी व्यवस्था करने वाला देश का मध्यप्रदेश पहला राज्य बन गया है।

निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अर्न्तगत निजी विद्यालयों की प्रथम प्रवेशित कक्षा में न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को निःशुल्क प्रवेश दिया जाता है, जिसकी फीस प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा की जाती है।

फीस प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शी करने के उद्देश्य से सभी बच्चों के आधार नंबर प्रक्रिया से लिंक करते हुए बायोमेट्रिक मशीन द्वारा सत्यापन प्रारंभ किया गया है। यह सत्यापन बच्चों की अँगुली अथवा अँगूठे के निशान से होगा। आधार सत्यापित होने पर ही सत्यापित बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति का क्लेम संबंधित स्कूल द्वारा प्राप्त किया जा सकेगा।

राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा इस प्रक्रिया के संचालन के लिए पोर्टल प्रारंभ कर दिया गया है। अब जितने बच्चों का आधार सत्यापन हो जायेगा उतने बच्चों का फीस प्रतिपूर्ति का क्लेम स्कूल द्वारा डिजीटल हस्ताक्षर से लॉक कर ऑनलाइन भेजा जा सकेगा। यह व्यवस्था लागू होने से अब किसी भी प्रायवेट स्कूल को नोडल अधिकारी अथवा किसी अन्य कार्यालय में जाकर फीस का क्लेम जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

स्कूल द्वारा डिजीटली लॉक किया गया क्लेम नोडल अधिकारी, बीआरसी तथा जिला परियोजना समन्वयक को पोर्टल पर ऑनलाइन ही सत्यापन के लिये प्रदर्शित होगा। सत्यापन उपरांत प्रर्तिपूर्ति राशि ऑनलाइन ही स्कूल के खाते मे सीधे जमा होगी।

उल्लेखनीय है कि आधार सत्यापन के माध्यम से ऑनलाइन फीस प्रतिपूर्ति की सर्वप्रथम व्यवस्था के पहले शिक्षा का अधिकार के तहत, सर्वप्रथम राज्य के नियम बनाने वाला तथा निजी विद्यालयों में निःशुल्क प्रवेश के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने वाला प्रथम राज्य भी मध्यप्रदेश ही है। मध्यप्रदेश द्वारा प्रारंभ की गई इन व्यवस्थाओं की भारत सरकार तथा अन्य राज्यों द्वारा भी सराहना की गई है।

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