नारी नहीं है अभिशाप — शिवानी जोशी :: किताबों की दुनिया — मानसी आर्य

नारी नहीं है अभिशाप —  शिवानी जोशी ::   किताबों की दुनिया —  मानसी आर्य

उत्तरौड़ा, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड

क्यों समझा है नारी को अभिशाप।
मत करो उसपर अत्याचार।।

जो करनी हो समाज की रक्षा।
तो करो पहले नारी की सुरक्षा।।

क्यों सताते हो नारी को?
क्यों नहीं अपनाते उस प्यारी को।।

नारी होती है धरती का अभिमान।
वह भी है एक जीवन का आधार।।

नए भारत की सोच तुम बदलो।
नारी को भी जीवन का हिस्सा समझो।।

उसे भी समझे भारत की एक आत्मनिर्भर महिला।
उसका भी होगा कोई अपना सपना।।

उसे भी है जीने का अधिकार है।
बदलो अपनी सोच का आधार।।

मत करो नारी पर अत्याचार।।
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चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड

किताबों की अनूठी दुनिया है महान।
स्वच्छ, सफलता और शिखर का इसमें ज्ञान।।

मुश्किल है थोड़ा इसको पढ़ना।
लेकिन यह है शिक्षा का भण्डार।।

पढ़ना लिखना जिसने चाहा।
उच्च शिखर को पाना चाहा।।

गर सपने को हो पूरा करना।
किताबों की अनूठी दुनिया में घुस जाना।।

रंग-बिरंगे पन्ने हैं जिसके।
है जिसमें सतरंगी सवाल।।

बूझो तो यह है जाना।
किताबों की दुनिया है जिसका नाम।।

(चरखा फीचर)

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