• September 19, 2018

नाबालिग से दुराचार के आरोपी को बीस साल का सश्रम कारावास

नाबालिग से दुराचार के आरोपी को बीस साल का सश्रम कारावास

फिरोजाबाद (विकासपालिवाल)——— अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट प्रथम मृदुल दुबे ने नावालिग से दुराचार के आरोपी को बीस साल के सश्रम कारावास की सजा एवं 55 हजार के जुर्माने से दण्डित किया है। जुर्माना अदा ना करने पर डेढ साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

मामला थाना मटसेना से जुड़ा है। 20/12/2007 को सांय करीब 6 बजे एक नावालिग को श्रीमती अनुराधा पत्नी चन्द्रपाल शौंच के बहाने घर से ले गयी। काफी देर तक नावालिग के घर वापस ना आने पर पिता ने उसकी तलाश की तो ग्रामीणों ने बताया कि नावालिग को जितेन्द्र पुत्र वीरपाल निवासी आकलाबाद हसनुपर, भोले के साथ बाइक पर जाते देखा गया है।

नाबालिग के पिता ने थाने में 27 दिसम्बर 2007 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी थी। पुलिस ने अभियोग दर्ज कर विवेचना उपरान्त श्रीमती अनुराधा व जितेन्द्र के विरूद्व आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। मुकदमें की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक प्रथम मृदुल दुबे की न्यायालय में हुई।

शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी नरेन्द्र कुमार राठौर ने केस को साबित करने के लिए उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय की तमाम नजीरें पेश की।

अपर सत्र न्यायाधीश मृदुल दुबे नेें दोनों पक्षों के तर्क सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध तमाम साक्ष्य का गहनता से अध्यन करने के बाद अभियुक्त जितेन्द्र को आईपीसी की धारा 366 का दोषी पाते हुये सात साल के सश्रम कारावास व पांच हजार के जुर्माने से दण्डित किया है।

जुर्माना अदा ना करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके साथ ही अभियुक्त जितेन्द्र को आईपीसी की धारा 376 का दोषी पाते हुये बीस साल के सश्रम कारावास एवं 50 हजार के जुर्माने से दण्डित किया है।

जुर्माना अदा ना करने की स्थिति में एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जवकि न्यायालय द्वारा अभियुक्ता श्रीमती अनुराधा को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त किया गया है। न्यायालय ने समस्त अर्थदण्ड में से आधी राशि पीडिता को क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश भी दिया है।

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