• June 28, 2017

नवाचार से ग्रामीण जनता को भारी राहत

नवाचार से ग्रामीण जनता को भारी राहत

जयपुर—————ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड ने कहा कि राजस्थान में वर्तमान सरकार ने साढे तीन साल में कई नवाचार कर ग्रामीण विकास के नये आयाम स्थापित कर ग्रामीण जनता को भारी राहत पहुंचायी है।

श्री राठौड मंगलवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्यों के पंचायती राज मंत्रियों के सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा किए गए ग्रामीण विकास कार्यो की जानकारी दे रहे थे।1

श्री राठौड ने कहा कि राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं 1992 के बाद 2011 की जनगणना के आधार पर 2014 में पुनर्गठन किया गया जिसमें 723 ग्राम पंचायत एवं 47 नवीन पंचायत समितियों का गठन किया गया। इसके अलावा ग्राम पंचायतों को आबादी भूमि का अन्य उपयोग के अधिकार दिये गये इन प्रावधानों से आबादी भूमि का उपयोग परिवर्तन कर सिनेमा, होटल संस्थागत पर्यटन स्थल, औद्योगिक आदि क्षेत्र में विकास को गति मिल रही है।

उन्होंने कहा कि पंचायत राज संस्थाओं के निर्वाचन के लिए अभ्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यताओं के साथ शौचालय निर्माण कराना को अनिवार्यतः किया गया है इस अनिवार्यताः के परिणामस्वरूप राज्य में 4 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है। उन्होंने बताया कि पंचायत राज संस्थाओं के निर्वाचन में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यताओं में प्रावधान कर पंचायत चुनाव सम्पन्न कराये गए इससे राज्य की ग्राम पंचायत संस्थाओं में युवा एवं योग्य प्रतिनिधियों का निर्वाचन हो सका तथा इससे राज्य में विकास की समस्त योजनाओं का सफल क्रियान्वयन के साथ मॉनिटरिंग बेहतर तरीके से हो रही है।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में मुख्यमंत्री ग्राम स्वच्छ योजनान्तर्गत 2 हजार खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों का ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन योजना कन्वर्जन के माध्यम से लागू की जा रही है। महात्मा गांधी नरेगा योजना के अन्तर्गत 150 घरों पर घर-घर से सूखा एवं गीला कचरा एकत्र कर निर्धारित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।

इस योजनान्तर्गत प्रत्येक स्वच्छगृही को 500 रुपये प्रतिवर्ष दस्ताने, अप्रेन, कैप व मास्क आदि उपकरणों के हेतु जिलों को बजट उपलब्ध कराया गया है। सार्वजनिक स्थलों पर 2-2 कचरा पात्र 150 घरों पर एक हाथ ठेली एवं कचरा परिवहन हेतु साईकिल रिक्शा दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा 2017-18 के बजट घोषणा में विकसित किए जाने वाले स्मार्ट विलेज योजनान्तर्गत 3 हजार से अधिक आबादी वाले 3176 गांव का स्मार्ट विलेज योजना में चयन किया गया है।

योजनान्तर्गत 5 हजार सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण एवं 1892 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त किया जाकर ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन की ग्राम पंचायतों में योजना लागू की जा रही है।

श्री राठौड ने पंचायती राज सम्मेलन में स्वच्छ भारत मिशन के तहत राजस्थान में किए जा रहे कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान को मार्च, 2018 तक खुले शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि महिला दिवस 8 मार्च को स्वच्छ शक्ति 2000 समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अजमेर की मनरेगा श्रमिक श्री आशा भौमी को सम्मानित किया गया है।

उन्होंने बताया कि बीकानेर, अजमेर, चूरू,पाली जिला खुले शौच से मुक्त हो चुके हैं तथा झुन्झुनु, चित्तौड़गढ़ अन्तिम चरण में है। इसी प्रकार राज्य में कुल 9894 ग्राम पंचायतों में अब तक 5008 ग्राम पंचायतों को ओडिएफ घोषित किया जा चुका है। भारत सरकार द्वारा 2016-17 में इस योजना के अन्तर्गत 777 करोड रुपये की राशि आवंटित की गई थी जिसमें से राज्य सरकार को लगभग 500 करोड रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है।

पंचायत राज मंत्री ने बताया कि राजस्थान में 3000 से अधिक आबादी वाले स्मार्ट विलेजों को विभिन्न बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराकर विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण पट्टा वितरण अभियान 14 अप्रेल से प्रारम्भ किया गया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी भूमि में आवास कर रहे परिवारों, भूमिहीन, कमजोर वर्ग के अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमन्तु आदि को आवासीय प्रयोजन हेतु निःशुल्क पट्टा उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य में अब तक करीब 3 लाख 80 हजार लोगों को पटटा देकर बडी राहत पहुंचायी गई है।

उन्होंने राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में प्रथम चरण के दौरान एक लाख से अधिक जल संरक्षण संबंधी कार्य कराए गए जिससे राज्य के भूजल स्तर में विशेष बढोतरी हुई है इसी को देखते हुए राजस्थान में दूसरा चरण शुरू किया गया जिसमें 4213 गांवों में लगभग एक लाख 35 हजार से अधिक गांवो में जल संरचानाओं के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है।

जल संरचनाओं पर एक करोड पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन का मुख्य उददेश्य भूजल में वृद्वि, गिरते हुए भूजल स्तर को रोकना, जल आत्मनिर्भर गांव का निर्माण, सिंचत क्षेत्र में वृद्धि व पेयजल योजनाओं में जल उपलब्ध की स्थायित्व लाना है।

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