नमन करो स्वीकार हमारा— सुलेखा डोगरा

नमन करो स्वीकार हमारा— सुलेखा डोगरा

पुलवामा शहीद को समर्पित—
*****************

ऐ मेरे देश के वीर स्पूतो , नमन करो स्वीकार हमारा
ऋणि रहेंगे सदा आपके, झुकाते है हम शीश हमारा .

शर्म से नज़रे झुक जाती है , अर्थहीन लगता है अस्तित्व हमारा
आहत है तन मन ही दोनों, रुला गया बलिदान तुम्हारा

(हम सब जानते हैं कि यह हमारे जवान सदा ही अपनी जान हथेली पर लेकर देश सेवा में तत्पर रहते हैं एक सिपाही जब शहीद होता है ,तो उसका पूरा परिवार बेसहारा हो जाता है। उनका पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो जात्ता है . उसके बलिदान पर तो भारत माता भी गर्वित होती है।)

प्राण अपने न्योशावर करे देश पर ,हम सबकी तुम ढाल बने
आठो पहर प्रहरी बन कर सीमा पर तुम रहो अढे।

भीषण गर्मी और शीत में ,बर्फीले पहाड़ों पर, सीना ताने रहो खड़े
हम सब को मीठी नींद अर्पित कर , दुश्मन से तुम जा भिडो

नयी नवेली दुल्हन को या बूढ़ी माँ और नवजात शिशु से ,
लौट आने का वादा करके

भारी मन से विदा हुए।
पाती जब जब आई उनकी , हंसकर तुमने आंसू पिए

तिरंगे में लिप्टा किसी शहीद का शव जब घर वापिस आता है
मत पूछो फिर किसी माँ बहन बीबी का संसार उजड़ जाता है

गर्व है मुझे अपने देश के वीर जवानो पर ,
आप है तो हम सुरक्षित हैं अपने घरो में

(अब अगली कुछ उन कायर दुश्मनो के नाम है जिन्होंने हमारे शहीदों की पीठ पर वार किया)

छुप कर कायरना वार किया ,और अपनी कायरता का प्रमाण दिया

मेरे वीर जवानो को मौत के घाट उतार दिया
अरे कायरो दम था अगर तुम्हारे अंदर , सामने आकर लोहा लेते
भागने की कोई राह न मिलती , कुत्ते की मौत तुम सब मरते

(क्षमा चाहती हूँ ऐसे शब्द का प्रयोग के लिए,लेकिन बहुत रोष है इस समय मेरे अंदर)

खून की होली खेली तुमने, अब न तुम बच पाओगे
ईंट से ईंट बजा देंगे हम , जीवन भर पछतायोगे

इक इक बूँद का बदला लेंगे , खून जो मेरे वीरों का बहा
जड़ से तुम्हे मिटा देंगे , अब तक हमने बहुत सहा

उजड़ गयी फिर मांग किसी की , फिर कोई मासूम अनाथ हुआ
निकली फिर , आह किसी माँ की , बेटा जिसका शहीद हुआ

धन्य धन्य माताएं तुम्हारी , लाल जिन्होंने अपने वारे
जीवन भर वो सहेंगी पीड़ा , ज़ख़्म हैं उनके बहुत ही गहरे

कश्मीर हमारे ऋषिओं की भूमि, जिसको तुमने नापाक किया
मर जायेंगे मिट जायेंगे इसकी खातिर, प्रण है यह हम सब ने लिया

सन्देश मेरा है युवा पीढ़ी को, भूल के जात पात और धर्म को

इक जुट सब हो जायो सब तुम,
फिर कोई आकर सेंध लगाए ,न हो पड़ोसी में इतना दम

Related post

हमारे भारत में, लाखों लोग यहां रह रहे हैं, जिन्हें रहने का कोई अधिकार नहीं है

हमारे भारत में, लाखों लोग यहां रह रहे हैं, जिन्हें रहने का कोई अधिकार नहीं है

पीआईबी : (नई दिल्ली)  उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़  ने अवैध प्रवास पर गंभीर चिंता व्यक्त…
भाषा मानवता को समझने का एक पासपोर्ट है- श्री टिम कर्टिस, निदेशक, यूनेस्को प्रतिनिधि

भाषा मानवता को समझने का एक पासपोर्ट है- श्री टिम कर्टिस, निदेशक, यूनेस्को प्रतिनिधि

पीआईबी दिल्ली : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने 21 और 22 फरवरी 2025 को…
रक्षा मंत्रालय  के साथ ₹697.35 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर

रक्षा मंत्रालय  के साथ ₹697.35 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर

पीआईबी( दिल्ली) — रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए 697.35…

Leave a Reply