नन्हीं सी जान थी वो भी– महिमा सिंह : नारी शक्ति पार्वती आर्य

नन्हीं सी जान थी वो भी–  महिमा सिंह  : नारी शक्ति      पार्वती आर्य

चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
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नन्हीं सी जान थी वो भी।
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी भी।

प्यारी प्यारी लगती थी वो भी।।
एक दिन चल पड़ी थी वो भी।

अपने सपनों को पूरा करने।
छूना चाहती थी वो भी आसमां।।

खुद कुछ करना चाहती थी वो भी।।
एक पल में हो गए उसके सपने चूर चूर।।

लड़ न सकी वो अपने लिए।
फिर हो गई वो इस दुनिया से दूर।।
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नारी शक्ति—पार्वती आर्य (फस्याली कपकोट)
बागेश्वर, उत्तराखंड
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उठा शस्त्र, उठा तू नारी है।
साक्षात देवी अवतारी है।।

कन्या रूप धर धरती पर।
आई भद्रकाली अवतारी है।।

रक्त से अपने आंगन भर।
भ्रूण हत्या को मिटवाई है।।

नव जीवन इस संसार को।
देने फिर तू आई है।।

फूल नहीं अंगार भरे तू।
ज्वालामुखी अवतारी है।।

नन्हीं सी ही जान सही।
तू नारी शक्ति अवतारी है।।

चरखा फीचर

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