- September 16, 2015
नदियों को आपस में जोड़ने के लिए विशेष समिति की छठी बैठक का आयोजन
उन्होंने बैठक में यह जानकारी दी कि पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का कार्य राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने पूरा करके 25 अगस्त, 2015 को गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा और दमनगंगा-पिंजाल के बाद यह तीसरी लिंक परियोजना है जिसके लिए डीपीआर पूरी की जा चुकी है। सुश्री भारती ने कहा दमनगंगा-पिंजाल के संबंध में गुजरात और महाराष्ट्र में पानी बंटवारे का मुद्दा और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना के बारे में अब प्राथमिकता के आधार पर विचार किए जाने की जरूरत है।
इसलिए मैं गुजरात और महाराष्ट्र दोनों की सरकारों से जल बंटवारे के मुद्दे को निपटाने का अनुरोध करती हूं और ताकि वे इस बारे में किसी समझौते पर सहमत हों और जल्दी से जल्दी इन दोनों परियोजनाओं पर कार्य शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा नदियों को आपस में जोड़ने के लिए गठित कार्य बलों ने अपना कार्य शुरू कर दिया है, जिससे नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं के बारे में राज्यों में तेजी से सहमति कायम करने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने बैठक में यह जानकारी दी कि विशेष सचिव के नेतृत्व में उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल की अभी हाल में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के साथ कोलकाता में बैठक आयोजित हुई, जिसमें संकोश-महानदी लिंक प्रणाली के प्रस्ताव के बारे में विचार-विमर्श हुआ। इस प्रणाली में चार नदी जुड़ाव-संकोश-तीस्ता-गंगा, गंगा-दामोदर-सुबर्णरेखा, सुबर्णरेखा-महानदी और फरक्का-सुंदरवन शामिल हैं। प्रस्तावित जुड़ाव प्रणाली से लगभग 10.5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ उपलब्ध होने के साथ-साथ पश्चिम बंगाल को घरेलू/औद्योगिक जल की आपूर्ति भी होगी। राज्य सरकार से इस प्रस्ताव के बारे में सहमति देने और इसमें सुधार के लिए अपने सुझाव देने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने एम विश्वेश्वरैया को उनके जन्म दिन के अवसर पर याद किया और उन्हें भावभीनी श्रृद्धांजलि देते हुए सुश्री भारती ने कहा कि वे एक दूरदर्शी इंजीनियर और राजनेता थे, जिन्होंने आधुनिक भारत के अनेक बांधों और जलाशयों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बैठक को संबोधित करते हुए झारखंड के जल संसाधन मंत्री श्री चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि एनडब्ल्यूडीए द्वारा तैयार संख-साउथकोल और साउथकोल-सुबर्णरेखा नदी लिंक परियोजनाओं की व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) इसलिए रूकी पड़ी है क्योंकि ओडिशा सरकार को इस रिपोर्ट पर कुछ आपत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक इन आपत्तियों के बारे में विचार करने के लिए गठित उपसमूह की कोई बैठक आयोजित नहीं हुई है हालांकि इस समूह द्वारा मांगी गई सभी जानकारी झारखंड राज्य सरकार ने उपलब्ध करा दी है।
इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने उपसमूह की बैठक 10 दिन के अंदर बुलाने का निर्देश दिया। श्री चौधरी ने बराकर-सुबर्णरेखा नदी लिंक का उल्लेख करते हुए कहा कि इस परियोजना की डीपीआर ठंडे बस्ते में डाल दी गई है, क्योंकि दामोदर घाटी नदी विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) से मंजूरी नहीं मिली है। उन्होंने मंत्री महोदया से डीवीआरआरसी की तत्काल बैठक बुलाने का आग्रह किया। मंत्री ने अनुरोध किया कि इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया जाए ताकि इनके कार्यान्वयन के लिए प्राप्त धन उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एक समय सीमा निर्धारित करने का भी अनुरोध किया।
महानदी और गोदावरी नदियों के फालतू पानी में राज्य की हिस्सेदारी की बहाली का जिक्र करते हुए कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री श्री एम बी पाटिल ने कहा कि कर्नाटक के लगातार प्रयासों के बावजूद न तो जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और न ही एनडब्ल्यूडीए ने राज्य की चिंता की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। उन्होंने कहा कि एनडब्ल्यूडीए द्वारा तमिलनाडु में पोनइयार (कृष्णागिरि)-पलार लिंक की पीएफआर में बंगलुरू शहर की पेयजल आपूर्ति से कृष्णागिरि की अपस्ट्रीम तक उपलब्ध 271 एमसीयूएम (9.57 टीएमसी) की आमद को ध्यान में रखा गया है।
श्री पाटिल ने कहा कि कावेरी नदी से प्राप्त बंगलुरू जल की आपूर्ति होती है। इस आपूर्ति से कर्नाटक द्वारा पुनर्ग्रहण किए जल के उपयोग के अधिकार को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि जल संतुलन अध्ययन में 271 एमसीएयू जल को तमिलनाडु के पक्ष में न माना जाए। उनका मत था कर्नाटक के हितों की अनदेखी करके अपने जल संतुलन अध्ययन में एनडब्ल्यूडीए द्वारा पुनर्ग्रहण जल प्रवाह की गणना करना सही नहीं है।
बैठक को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री श्री विजय शिवतारे ने कहा कि दमनगंगा-पिंजाल लिंक परियोजना के संदर्भ में उनके राज्य को 90 प्रतिशत विश्वसनीयता के बजाय 75 प्रतिशत विश्वसनीयता के आधार पर जल आवंटित किया जाए और डाइवर्जन करके पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ऐसी जलराशि के डाइवर्जन के अनुकूल ही सुरंगों/जल परिवहन प्रणाली के आकार डिजाइन किए जाने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पानी की कमी वाले वर्ष के दौरान गुजरात और महाराष्ट्र में जल आवंटन के अनुपात में ही जल संकट की हिस्सेदारी होनी चाहिए।
उन्होंने यह मत व्यक्त किया कि दमनगंगा-पींजाल लिंक परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया जाए और जल्द ही केन-बेतवा लिंक के समान ही संयुक्त कार्यान्वयन बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने बैठक में जानकारी दी कि एन डब्ल्यूडीए ने पार-तापी-नर्मदा लिंक की डीपीआर 2 सितंबर, 2015 को उनकी सरकार को सौंपा है। राज्य सरकार दो महीने में एनडब्ल्यूडीए को अपनी टिप्पणियां भेज देगी। पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम से विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।