- November 21, 2015
नक्सल समस्या के शांतिपूर्ण और सदभावनापूर्ण समाधान के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह
रायपुर – नक्सल समस्या के शांतिपूर्ण और सदभावनापूर्ण समाधान के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ पहल करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने महत्वपूर्ण पुनर्वास पैकेजों की घोषणा की है। ये पुनर्वास पैकेज नक्सल हिंसा पीड़ित परिवारों और आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए घोषित किए गए हैं। गृहमंत्री श्री रामसेवक पैकरा ने आज बताया कि उनके विभाग ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से इस आशय का विस्तृत आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में बताया गया है कि पुनर्वास से संबंधित कार्ययोजना पर अमल करने और उसकी समीक्षा के लिए जिला स्तर पर कलेक्टरों की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा। समिति में कलेक्टर द्वारा नामांकित सदस्य शामिल होंगे। पूर्व में कार्यरत जिला स्तरीय समितियां कार्यशील रहेंगी। इस समिति में जिले में कार्यरत केन्द्रीय बलों के सेनानी को भी शामिल किया जाएगा। राज्य स्तरीय समिति गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित की जाएगी। इसमें उनके द्वारा नामांकित व्यक्ति सदस्य होंगे।
पुनर्वास नीति के क्रियान्वयन के समय पूर्व से ही गठित राज्य स्तरीय अन्तर्विभागीय समिति भी प्रभावशील रहेगी। नक्सल पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए पीड़ित व्यक्तियों द्वारा पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया जाएगा। पुलिस अधीक्षक आवेदन का परीक्षण कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला स्तरीय समिति को भेजेंगे। जिला स्तरीय समिति द्वारा आत्मसमर्पित नक्सलियों के प्रकरणों को पुलिस अधीक्षक से प्राप्त कर पुनर्वास की कार्रवाई के लिए हर दो महीने में बैठक आयोजित की जाएगी।
पुनर्वास प्रक्रिया के तहत नक्सल पीड़ित अथवा आत्मसमर्पित नक्सलियों से आवेदन प्राप्त किए जाएंगे। ताजा आदेश के अनुसार राज्य शासन द्वारा प्रदेश के नक्सल पीड़ित व्यक्तियों, परिवारों और आत्म समर्पित नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और पर्याप्त सुरक्षा एवं पुनर्वास के लिए पूर्व में जारी आदेशों और समस्त संशोधित आदेशों में दर्शित बिन्दुओं को शामिल कर वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह पुनर्वास कार्य योजना स्वीकृत की गयी है।
नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए पुनर्वास योजना
नक्सल पीड़ित व्यक्ति अथवा परिवार को पुनर्वास योजना के तहत दी जाने वाली सुविधाएं इस प्रकार होंगी-(1) पीड़ित परिवार में 18 वर्ष से कम उम्र के अध्ययनरत बच्चों को निकटवर्ती आश्रम शालाओं में रहने की सुविधा और छात्रवृत्ति ठीक उसी तरह दी जाएगी, जैसे अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के बच्चों को दी जाती है। पीड़ित परिवार के सदस्यों में से किसी एक सदस्य को पात्रता होने पर सरकारी नौकरी में नियुक्त करने के बारे में भी विचार किया जाएगा। जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा पर किसी भी विभाग में उस विभाग के जिला प्रमुख की सहमति से नियुक्ति की जा सकेगी। ऐसे प्रकरणों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता में छूट देने का अधिकार जिला कलेक्टर को होगा।
तृतीय श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए निर्धारित शैक्षणिक और तकनीकी योग्यता प्राप्त करने के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाएगा। ऐसी तकनीकी योग्यता प्राप्त करने के लिए शासन की ओर से जहां संभव हो, प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी। उनके पुनर्व्यस्थापन की कार्रवाई 120 दिन के भीतर पूर्ण की जाएगी। इसके लिए सभी संबंधित विभागाध्यक्षों को अवगत कराया जाएगा और प्रत्येक विभाग इस समय-सीमा में अपने विभाग से संबंधित कार्रवाई पूर्ण करेंगे। यदि किसी कारणवश जिला स्तर पर पुनर्वास के किसी प्रकरण के निराकरण में कोई कठिनाई होगी, तो उसे राज्य स्तरीय अर्न्तविभागीय समिति को भेजा जाएगा। समिति प्रकरण मिलने के 60 दिन के भीतर उसका निराकरण आवश्यक रूप से करेगी।
नक्सल हिंसा में मृत्यु पर मृतक के परिवार को
मिलेगी पांच लाख रूपए की सहायता
चल-अचल सम्पत्ति के नुकसान पर भी राहत राशि का प्रावधान
नक्सल ंिहंसा में मृत्यु होने अथवा अपंग होने, गंभीर रूप से घायल होने या किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से क्षति पहुंचने जैसे प्रकरणों में पीड़ितों को राहत/सहायता राशि दी जाएगी। इसके अन्तर्गत नक्सल ंिहंसा में मृत व्यक्ति के परिवार को पांच लाख रूपए, स्थायी रूप से अपंग (असमर्थ) व्यक्ति को दो लाख रूपए और गंभीर घायल को एक लाख रूपए की राहत राशि स्वीकृत की जाएगी। घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
चल सम्पत्ति (अनाज, कपड़े, घरेलू सामान) को नुकसान पहुंचने पर ऐसे प्रत्येक प्रकरण में दस हजार रूपए, स्थायी सम्पत्ति (मकान, दुकान आदि) को नुकसान पहुंचने पर कच्चे मकान के लिए बीस हजार रूपए और पक्के मकान के लिए 40 हजार रूपए की राहत राशि दी जाएगी। बैलगाड़ी, नाव आदि जीवन यापन के साधनों के क्षतिग्रस्त होने पर ऐसे प्रत्येक प्रकरण में बीस हजार रूपए, ट्रेक्टर, जीप आदि के क्षतिग्रस्त होने पर दो लाख रूपए और ट्रक, रोडरोलर आदि बड़े वाहनों के क्षतिग्रस्त होने पर तीन लाख रूपए की राहत राशि आवेदक को स्वीकृत की जाएगी।
नक्सल हिंसा के कारण अगर किसी व्यक्ति की सम्पत्ति को आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से कोई नुकसान पहंुचता है, तो ऐसी सम्पत्ति की बीमा राशि को छोड़कर उचित मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों की सम्पत्ति का नुकसान होने पर उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार (निवारण) अधिनियम 1989 के नियम 12 (चार) के तहत निर्धारित राहत राशि आदिम जाति विकास विभाग द्वारा दी जाएगी।
नक्सल हिंसा से पीड़ित व्यक्तियों को ग्रामीण विकास विभाग की आवास एवं स्वरोजगार योजनाओं के तहत पात्रता के अनुसार सहायता दी जाएगी। ऐसे नक्सल पीड़ित व्यक्ति अथवा परिवार, जिनके पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं है, वे नक्सल प्रभावित जिलों में से किसी भी स्थान पर खेती योग्य जमीन के लिए भी आवेदन कर सकेंगे। इन व्यक्तियों को संबंधित विभाग द्वारा यथासंभव वरीयता क्रम में उपलब्धता के आधार पर भूमि आवंटित की जाएगी। भूमि आवंटन के समय इन सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके लिए यदि आवश्यक हुआ, तो संबंधित विभाग अपने वर्तमान नियमों में आवश्यक संशोधन भी कर सकेंगे।
खेती की जमीन के लिए भी मिलेगी मदद
ऐसे प्रकरणों में यदि जरूरी हुआ तो नक्सल पीड़ित व्यक्ति को सुरक्षा की दृष्टि से उसके स्वयं की भूमि के बदले दूसरे स्थान पर समान मूल्य की भूमि उपलब्धता के अनुसार दी जा सकेगी। यदि नक्सल पीड़ित व्यक्ति किसी वनक्षेत्र अथवा राजस्व जमीन पर खेती के लिए काबिज है, तो पात्रता के अनुसार उसके भूमि व्यवस्थापन की कार्रवाई की जाएगी। आवश्यक होने पर संबंधित विभाग इसके लिए नियमों में संशोधन कर सकेंगे। वनभूमि में व्यवस्थापन के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत भारत सरकार द्वारा निर्धारित ‘कट ऑफ’ की तारीखें यथावत रहेंगी। सुरक्षा और अन्य कारणों को ध्यान में रखकर यदि शहरी क्षेत्र में पुनर्वास आवश्यक हो, तो शहरी योजनाओं के तहत उन्हें आवास और स्वरोजगार की प्रचलित योजनाओं के तहत नजूल भू-खण्ड उपलब्ध कराने की कार्रवाई प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
पीड़ितों को नौकरी दिलाने की पहल
अगर नक्सल पीड़ित व्यक्ति पढ़ा-लिखा (शिक्षित) है और शिक्षा कर्मचारी नियुक्त होने की पात्रता रखता हो, तो ऐसे मामलों में उसकी नियुक्ति उसी पद्धति से की जाएगी, जैसे विशेष पिछड़ी जनजाति (पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार, अबूझमाड़िया तथा बिरहोर) के प्रकरणों में की जाती है। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद के लिए बी.एड/डी.एड. की परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य रखा गया है।
नक्सल पीड़ित महिलाओं को कुटीर उद्योगों से जोड़ने की पहल
नक्सल पीड़ित महिलाओं को महिला एवं बाल विकास योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा। साथ ही उन्हें शासन की प्रचलित योजनाओं के तहत कुटीर उद्योगों से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। उनके द्वारा तैयार समान के विक्रय के लिए बाजार उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जाएगा। नक्सल पीड़ित व्यक्ति यदि स्वयं की शिक्षा पुनः जारी रखना चाहतें हैं, या उनके बेटे-बेटी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, तो उन्हें पात्रता और प्राथमिकता के आधार पर छात्रवृत्ति की सुविधा दी जाएगी और पीड़ित परिवार के 18 वर्ष की आयु तक के अधिकतम दो बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए प्रचलित नियमों के अनुसार और प्राथमिकता के आधार पर 12 वीं कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा और छात्रवृत्ति की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की योजनाओं के तहत दी जाएगी।
यदि पीड़ित व्यक्ति या उनके पुत्र अथवा पुत्री पुलिस विभाग में शासकीय सेवा में आना चाहते हैं, तो ऐसे विशेष प्रकरणों में पुलिस महानिरीक्षक रेंज/नक्सल अभियान/विशेष आसूचना शाखा प्रमुख की सहमति से पुलिस अधीक्षक द्वारा ऐसे आवेदकों को आरक्षक, सहायक आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। नियुक्ति के लिए शिक्षा/शारीरिक मापदण्ड/आयु में किसी प्रकार की छूट देने के लिए पुलिस महानिरीक्षक सक्षम होंगे। नक्सल पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के तहत न्यूनतम दर पर अनाज प्राप्त करने की पात्रता होगी। ऐसे परिवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की भी पात्रता होगी। पीड़ित परिवार को राज्य के भीतर संचातिल बसों में यात्री किराए में पचास प्रतिशत की छूट की भी पात्रता होगी।
आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए पुनर्वास पैकेज
गृह विभाग द्वारा इस महीने की सोलह तारीख को मंत्रालय (महानदी भवन) से जारी विस्तृत आदेश में कहा गया है कि नक्सली द्वारा आत्मसमर्पण करने पर उससे पुनर्वास नीति के तहत राहत देने के लिए स्वहस्ताक्षरित आवेदन प्राप्त किया जाएगा। जिन नक्सलियों पर रैंक के अनुसार शासन द्वारा इनाम घोषित है, प्रोत्साहन राशि के अतिरिक्त सुविधाएं देने के पहले ऐसे प्रकरणों पर पुलिस मुख्यालय स्तर पर गठित समिति की अनुशंसा के बाद ही विचार किया जाएगा। शेष प्रकरणों में जिला स्तरीय समिति आत्मसमर्पित नक्सली के पुनर्वास की कार्रवाई स्वयं कर सकेगी।
नक्सलियों को मुख्य धारा में शामिल करना पुनर्वास का सिद्धान्त
आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास में यह सिंद्धात रहेगा कि वे हिंसक गतिविधि छोड़कर मुख्य धारा में शामिल होकर राज्य में शांति स्थापना के लिए कार्य करेंगे, जिसका अनुसरण अन्य नक्सलियों द्वारा किया जा सकता है। उनके पुनर्वास और अनुदान आदि देने में जिन बातों को ध्यान में रखा जाएगा, उनमें उम्र, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, व्यवसाय का मापदण्ड, जिसे वह स्वीकार करना चाहता है, पुनर्वास की विस्तृत योजना और नक्सल उन्मूलन अभियान में सहयोग शामिल हैं। आत्मसमर्पित नक्सली के नाम पर या नक्सल संगठन में उसके द्वारा धारित पदनाम के आधार पर घोषित पुरस्कार राशि (दोनों में से जो ज्यादा हो) आत्मसमर्पण करता को दी जाएगी। इस प्रकार उपलब्ध करायी जाने वाली इनाम की राशि आत्मसमर्पित नक्सली के पुनर्वास के लिए स्वीकृत व्यय में शामिल की जा सकेगी।
अस्त्र-शस्त्रों पर मिलेगी अनुग्रह राशि
यदि किसी नक्सली ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पित समर्पण किया है, तो ऐसे समर्पित हथियारों के बदले मुआवजे के रूप में शासन द्वारा अनुग्रह राशि मंजूर की सकेगी, जो इस प्रकार होगी- एल.एम.जी. के लिए चार लाख 50 हजार रूपए, ए.के.-47 के लिए तीन लाख रूपए, एस.एल.आर रायफल के लिए एक लाख 50 हजार रूपए, थ्री-नॉट-थ्री रायफल के लिए 75 हजार रूपए, बारह-बोर बन्दुक के लिए तीस हजार रूपए, 2-इंच मोर्टार के लिए दो लाख 50 हजार रूपए, सिंगल शॉर्टगन के लिए तीस हजार रूपए, 9 एम.एम कार्बाइन के लिए बीस हजार रूपए, पिस्टल/रिवाल्वर के लिए बीस हजार रूपए, वायरलेस सेट के लिए पांच हजार रूपए, रिमोट डिवाइस के लिए तीन हजार रूपए, आईईडी के लिए तीन हजार रूपए, विस्फोटक पदार्थ के लिए एक हजार रूपए प्रतिकिलो, ग्रेनेड/जिलेटिनराइडस के लिए पांच सौ रूपए और सभी प्रकार के लिए एम्यूनिशन के लिए पांच रूपए प्रति एम्यूनिशन के हिसाब से अनुग्रह राशि स्वीकृत की जा सकेगी।
निशस्त्र समर्पण पर दस हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि
नक्सली अगर बिना सशस्त्र के समर्पण करता है, तो उसे प्रोत्साहन स्वरूप दस हजार रूपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी। आत्मसमर्पित नक्सली के समर्पण के उपरांत भारत सरकार की पुनर्वास नीति के तहत गठित समिति की अनुशंसा पर व्यावसायिक प्रशिक्षण में जाने के पहले अधिकतम तीन माह तक हर महीने चार हजार रूपए की अनुग्रह राशि जीवन यापन के लिए दी जाएगी। आत्मसमर्पित नक्सली पति एवं पत्नी को एक ही इकाई माना जाएगा और उन्हें पुनः व्यवस्थापित करने के लिए दोनों में से किसी एक को पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा। उन पर घोषित इनाम की राशि अलग-अलग इकाई मानकर दी जाएगी। पति एवं पत्नी, दोनों के आत्मसमर्पण करने की स्थिति में उन्हें अलग से तत्काल बीस हजार रूपए आर्थिक सहायता दी जाएगी।
आवास एवं स्वरोजगार योजनाओं में भी मिलेगी सहायता
आत्मसमर्पित नक्सलियों को ग्रामीण विकास विभाग की आवास एवं स्वरोजगार संबंधी विभिन्न प्रचलित योजनाओं में पात्रता के अनुसार प्राथमिकता देते हुए सहायता दी जाएगी। ऐसे आत्मसमर्पित नक्सली, जिनके पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं है, वे नक्सल प्रभावित जिलों में से किसी भी स्थान पर कृषि योग्य भूमि के लिए आवेदन कर सकेंगे। इन व्यक्तियों को संबंधित विभाग द्वारा यथासंभव वरीयता क्रम में उपलब्धता के आधार पर भूमि आवंटित की जाएगी। भूमि आवंटन के समय इन सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके लिए यदि आवश्यक हुआ, तो संबंधित विभाग अपने वर्तमान नियमों में आवश्यक संशोधन भी कर सकेंगे।
आत्मसमर्पित नक्सली को मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के तहत न्यूनतम दर पर निर्धारित अनाज प्राप्त करने की और राष्ट्रीय बीमा योजना के तहत निर्धारित लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी। उन्हें राज्य के भीतर संचालित बसों में यात्री किराए में 50 प्रतिशत छूट की भी पात्रता होगी। आत्मसमर्पित नक्सलियों को अगर वे किसी वनक्षेत्र अथवा राजस्व भूमि पर निवास अथवा कृषि के लिए अतिक्रमित हैं, तो पात्रता के अनुसार उनके लिए भूमि व्यवस्थापन की कार्रवाई भी की जाएगी। सुरक्षा अथवा अन्य कारणों को ध्यान में रखकर यदि शहरी क्षेत्रों में पुनर्वास आवश्यक हो, तो उन्हें शहरी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए आवास और स्वरोजगार की प्रचलित योजनाओं के तहत नजूल भू-खण्ड आवंटित करने की कार्रवाई प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
अटल आवास योजना का भी मिलेगा लाभ
आत्मसमर्पण के बाद उन्हें अपने परिवार को रखने के लिए अटल आवास योजना अथवा राज्य सरकार की अन्य किसी आवासीय योजना के तहत पुलिस अधीक्षकों द्वारा चयनित स्थान पर (चाहे वह किसी पुलिस थाना/लाईन/कैम्प के अन्दर हो) 60 दिन के भीतर कम से कम एक बी-एच. के मकान बनवाकर दिया जाएगा। ऐसे मकान का निर्माण पुर्ण होने तक सुरक्षा की दृष्टि से उसे ट्रांजिट कैम्प में रखा जाएगा। आत्मसमर्पित नक्सली को मकान निर्माण के लिए त्वरित सहायता के रूप में 75 हजार रूपए दिए जाएगें। ग्रामीण क्षेत्रों में इंदिरा आवास योजना के तहत सहमति पर्याप्त होगी।
नौकरी देने की भी संवेदनशील पहल
अगर अगर आत्मसमर्पित नक्सली पढ़ा-लिखा (शिक्षित) है और शिक्षा कर्मचारी नियुक्त होने की पात्रता रखता हो, तो ऐसे मामलों में उसकी नियुक्ति उसी पद्धति से की जाएगी, जैसे विशेष पिछड़ी जनजाति (पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार, अबूझमाड़िया तथा बिरहोर) के प्रकरणों में की जाती है। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद के लिए बी.एड/डी.एड. की परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य रखा गया है। आत्मसमर्पित नक्सली शैक्षणिक योग्यता रखता है और प्रशिक्षण शासन द्वारा दिया जा सकता है, या दिया जाता है, तो विचार किया जाएगा। अन्यथा योग्यता के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ितों और आत्म समर्पितों को सहायता राशि एक सप्ताह के भीतर
जिला कलेक्टरों को यह निर्देश दिए गए हैं कि नक्सल हिंसा पीड़ित परिवारों को और आत्मसमर्पित नक्सलियों को सहायता राशि का भुगतान एक सप्ताह के भीतर कर दिया जाएगा। इसके लिए जिला कलेक्टर बजट आवंटन की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। सहायता राशि का आहरण और वितरण कर संबंधित कलेक्टर इसकी सूचना तीन दिन के भीतर गृह विभाग और वित्त विभाग को भेजेंगे।
नक्सल पीड़ितों से आशय –
जिस व्यक्ति अथवा परिवार के सदस्य की नक्सलियों द्वारा हत्या कर दी गयी हो अथवा स्थायी तौर पर शारीरिक रूप से अक्षम कर दिया गया हो अथवा गंभीर रूप से घायल कर दिया गया हो, जिस व्यक्ति या परिवार की चल-अचल सम्पत्ति को नक्सलियों द्वारा इस हद तक नुकसान पहंुचाया गया हो कि संबंधितों के जीवन यापन में बाधा उत्पन्न होती हो। आदेश में यह भी कहा गया है कि नक्सल पीड़ित परिवार के अन्तर्गत परिवार के मुखिया, मुखिया की पत्नी, पुत्र, अविवाहित पुत्री, आश्रित माता-पिता और आश्रित भाई-बहन शामिल होंगे। शासकीय सेवा में नियुक्ति अथवा किसी भी आर्थिक सुविधा/लाभ के लिए पीड़ित परिवार के किसी अन्य सदस्य का शासकीय सेवा में होना उसकी अर्हता को प्रभावित नहीं करेगा। मुखबिर हो नक्सलियों द्वारा क्षति पहूंचाने पर वे भी नक्सल पीड़ित व्यक्ति की श्रेणी में सम्मिलित होंगे।
आत्मसमर्पित नक्सलियों से आशय-
भारत सरकार अथवा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विधि विरूद्ध क्रिया-कलाप अधिनियम 1967/ छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) एवं उसके अग्र संगठन-दण्डकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संघ, क्रांतिकारी आदिवासी महिला संघ, क्रांतिकारी आदिवासी बालक संघ, क्रांतिकारी किसान कमेटी, महिला मुक्ति मंच, आर.पी.सी. अथवा जनताना सरकार, चेतना नाट्य मंच, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एल.एफ.आई.), तृतीय प्रस्तुति कमेटी का सदस्य, चाहे वह किसी भी पद पर हो एवं शासन द्वारा समय-समय पर इस प्रकार घोषित विधि विरूद्ध नक्सल संगठन का सदस्य हो, या रहा हो।