धार्मिक संपत्ति विवाद

धार्मिक संपत्ति विवाद

फिरोजाबाद (विकासपालिवाल) — श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति के वैधानिक सचिव रामप्रकाश बघेल ने श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट्री व श्री रामलीला समिति के कथित सचिव के विवाद को नगर के आर्थिक अपराधियों व भू- माफियाओं के मध्य गैंगवार की शुरूआत करार दिया है जो शहर के मध्य स्थिति तथा श्री रामलीला परिसर के नाम से विख्यात बेशकीमती सार्वजनिक व धार्मिक भूखण्ड पर अपना आधिपत्य दर्शाकर व उस पर पक्के व स्थाई निर्माण कराकर उसे खुर्द बुर्द कर रहे हैं तथा करोड़ांे रूपये की अनैतिक धनराशि अर्जित कर रहे हैं।

श्री बघेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित जिलाधिकारी को प्रेषित एक प्रत्यावेदन में कहा है कि न तो कथित हनुमान मंदिर ट्रस्टी मंदिर के ट्रस्टी हैं और न ही कथित रामलीला सचिव संस्था की साधारण सभा का सदस्य है।

उन्होंने नवगठित कथित ट्रस्टियों के पक्ष में मंदिर के बुजुर्ग ट्रस्टी मिथलेश चंद्र उपाध्याय के दावे को नकारते हुये कहा है कि श्री हनुमान मंदिर की देखभाल व विकास के लिये वर्ष 1942 में तत्कालीन मंदिर पुजारी द्वारा जिला जज आगरा की अध्यक्षता में एक आठ सदस्ययी सरवराकार समिति का गठन किया गया जिसमें मोतीलाल तैलंग पुत्र मुन्नीलाल, हरि किशन पुत्र नन्दराम, टुण्डामल अग्रवाल पुत्र रघुवर दयाल, कल्यान दास पुत्र अगन लाल, सूरजभान पुत्र सोनपाल, दयाशंकर भटनागर पुत्र हरीशंकर, सतीश चंद्र पुत्र लखमी चंद्र को सरवराही घोषित किया गया। चैधरी सतीश चंद्र, पं. प्रयाग नारायन तिवारी व उमाशरण को कार्य येाजना समिति का सदस्य बनाया गया था। जिसके दो सदस्यों की पं. प्रयाग नारायन तिवारी व उमाशरण की मृत्युपरांत वर्ष 1947 में जिला जज आगरा द्वारा उक्त कार्य योजना स्वीकृत की गयी।

उन्होंने प्रत्यावेदन में आग्रह किया है कि धर्महित व जनहित में विगत 15 वर्षो में उक्त सार्वजनिक व धार्मिक भूखण्ड पर हुये पक्के व स्थाई निर्माणों को अविलम्ब ध्वस्त कराने व श्री रामलीला परिसर के अवैध कब्जेदारों को हटाये जाने के आदेश पारित कर श्री रामलीला परिसर को पूर्वत स्वरूप में संरक्षित रखा जाये।

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