दो जुलाई को नर्मदा किनारे 10 करोड़ पौधे रोपे जायेंगे

दो जुलाई को नर्मदा किनारे 10 करोड़ पौधे रोपे जायेंगे

भोपाल (रवि शर्मा/बृजेन्द्र शर्मा)—————मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जल हमारी तो नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। नर्मदा सेवा यात्रा का मुख्य उद्देश्य ही प्रदेश की जीवनदायिनी नदी के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है।

उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों तट पर आगामी 2 जुलाई को अमरकंटक से अलीराजपुर तक लगभग 10 करोड़ पौधे एक साथ लगाने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज सीहोर जिले के आँवलीघाट पर यात्रा के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, पंडित कमलकिशोर नागर, ब्रह्मकुमारी भावना दीदी, विज्ञानानंद महाराज, शिवानंद सरस्वती, साध्वी सुश्री प्रज्ञा भारती सहित संतगण एवं जन-समूह मौजूद था।

श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा यात्रा एक बड़ा जन आंदोलन बन गयी है। अभियान में जाति, रंग, भेद-भाव के बिना समाज के सभी वर्ग के लोग पूरे मनोयोग से शामिल हो रहे है। । नर्मदा नदी के किनारों पर कुंड का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसमें प्रतिमाएँ और पूजन सामग्री विसर्जित की जा सकेगी। यह प्रयास नर्मदा नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिये उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इसी तरह नदी के किनारों पर प्रदूषण से मुक्ति की रोकथाम के लिये मुक्ति धाम बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा को पूरे विश्व में सराहना मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नर्मदा नदी ने हमें सब कुछ दिया है। जहाँ एक ओर नर्मदा के जल से प्रदेश में विद्युत उत्पादन हो रहा है तो दूसरी ओर नर्मदा जल से लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचित हो रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के करोड़ों कण्ठों की प्यास बुझ रही है। बदले में हम लोगों ने नर्मदा को प्रदूषित कर दिया है। नर्मदा तट के आस-पास जंगलों के कटने से नदी के प्रवाह पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। आज आवश्यकता नर्मदा नदी के प्रदूषण को रोकने तथा नदी किनारे के क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण की है।

कार्यक्रम में नर्मदाष्टक पर आधारित नृत्य-नाटिका तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। संत कमलकिशोर नागर ने ग्रामीणों से नर्मदा नदी संरक्षण में सहयोग का आव्हान किया। इसके पूर्व यात्रा का ग्राम जाजना, मट्टागाँव, रेउगाँव और मर्दानपुर में भी आगमन हुआ। ग्रामीणों ने पुष्प-वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। गाँव की महिलाएँ भी यात्रा में सिर पर कलश रखकर शामिल हुई।

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