- February 14, 2017
देश में प्रमाणित/गुणवत्ताप्रद बीजों की उपलब्धता में वृद्धि
पेसूका ————-केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि किसानों के समग्र और दीर्घकालिक विकास के लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय किसान नीति तैयार कर ली है जिसका उद्देश्य कृषि विकास क्षमता को गति देना, गांवों में आधारभूत सुविधाएं विकसित करना, मूल्य वर्धन(वैल्यू एडिशन) को बढ़ावा देना, कृषि-व्यवसाय के विकास में तेजी लाना, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना, किसानों और कृषि कामगारों और उनके परिवारों की आजीविका स्तर सुनिश्चित करना, शहरी क्षेत्रों में पलायन हतोत्साहित करना और आर्थिक उदारीकरण और वैश्विकरण से उत्पन्न चुनौतियां का सामना करना है।
श्री राधा मोहन सिंह ने यह बात आज कोलकाता में इंडियन सीड कांग्रेस – 2017 के उद्घाटन के मौके पर कही। सीड कांग्रेस का विषय है ‘‘सीड ऑफ ज्वा्य’’ जो वर्ष 2022 तक कृषि आय दोगुना करके किसानों के जीवन में खुशी और समृद्धि लाने के सरकार के दृष्टिकोण से मेल खाता है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर कहा कि सरकार की नीतिगत कदमों के परिणामस्वरूप देश में प्रमाणित/गुणवत्ताप्रद बीजों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। यह 60 के दशक के दौरान 40 लाख क्विंटल से भी कम थी जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 370 लाख क्विंटल हो गई।
श्री सिंह ने कहा कि कृषि एवं सहकारिता विभाग ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे गुणवत्ताप्रद बीजों की वर्षवार, मौसमवार आवश्यकता पूरी करने के लिए किस्मवार सीड रोलिंग प्लांट तैयार करें।
इस सीड रोलिंग प्लान से बीज प्रतिस्थापन दर तथा किस्म प्रतिस्थापन दर में सुधार जैसे दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति होगी ताकि सतत (सस्टेनेबल) कृषि उत्पादन और उत्पादकता सुनिश्चित किया जा सके।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारतीय बीज मंडी का तेजी से विकास हो रहा है तथा हाल ही में सब्जियों और अनाजों की संकर बीज मंडी में काफी विकास हुआ है। श्री सिंह ने कहा कि भारतीय बीज उद्योग वैश्विक बाजारों में बीज की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख उद्योग बन सकता है।
भारत के पास अन्य देशों की तुलना में सस्ती लागत पर अधिक मूल्य वाले सब्जी बीजों के विशेष संदर्भ में संकर बीज उत्पादन की भारी क्षमता है। सब्जियों के अलावा, संकर मक्का, धान, बाजरा और कपास के बीजों को एसईआई और अफ्रीकी देशों में निर्यात करने की भारी क्षमता है।
श्री सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय विनियामक फ्रेमवर्क को मुख्य धारा में लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है ताकि इसे दूरगामी, पारदर्शी और प्रगामी बनाया जा सके। केंद्रीय कृषि मंत्री ने वहां आये प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि केन्द्र सरकार घरेलू रूप से तथा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में इससे भी अधिक उपज बढ़ाने के लिए उनकी मदद करने का प्रयास कर रही है।
श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिशानिर्देश में कई स्कीमें शुरू की गई हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, नीम लेपित यूरिया और ई-राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना का मकसद किसानों की फसल उत्पादकता और आय में सुधार लाना है।
श्री सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में उपयुक्त विकास के कारण कृषि में एग्री वेयर हाउसिंग, शीत श्रृंखला, आपूर्ति श्रृखंला, डेयरी, कुक्कुट पालन, मांस, मात्यिकी , बागवानी, कृषि यंत्रीकरण के साथ सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्रों में कुशल युवक – युवतियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए गये हैं। इन क्षेत्रों में ग्रामीण युवाओं के लिए अवसर और कौशल प्रदान करने कौशल भारत मिशन का उपयोग किया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके किसानों की आय दोगुनी करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी के निर्धारित 7 सूत्री कार्यक्रम पर जोर दिया जो निम्नलिखित हैं :
‘’प्रति बूंद, अधिक फसल’’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारी बजट के साथ सिंचाई पर पर्याप्त ध्यान देना ।
–खेत की मृदा के गुणवत्ता के आधार पर अच्छे बीजों और पोषक तत्वों की व्यवस्था करना।
–कटाई के पश्चात फसल को होने वाली हानि रोकने के लिए वेयर हाउसिंग और शीत श्रृंखलाओं में भारी निवेश को बढ़ावा देना ।
–खाद्य प्रसंस्करण के जरिए मूल्य वर्धन (वैल्यू एडिशन) को बढ़ावा देना।
–585 केंद्रों पर कमियां दूर करते हुए राष्ट्रीय कृषि मंडी और ई-प्लेटफार्म खोलना।
–वहन करने योग्य लागत पर जोखिम कम करने के लिए नई फसल बीमा योजना लागू करना।
–कुक्कुकट पालन, मधु मक्खी पालन और मछली पालन जैसे सहायक कार्यकलापों को बढ़ावा देना।