दुग्ध उत्पाद ‘यू.एच.टी.दूध’ (अल्ट्रा हाई टेम्प्रेचर दूध) की शुभारंभ

दुग्ध उत्पाद ‘यू.एच.टी.दूध’ (अल्ट्रा हाई टेम्प्रेचर दूध) की शुभारंभ

रायपुर –               मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कल 27 दिसंबर को जिला मुख्यालय गरियाबंद में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ के नये दुग्ध उत्पाद ‘यू.एच.टी.दूध’ (अल्ट्रा हाई टेम्प्रेचर दूध) की शुभारंभ करेंगे। दुग्ध महासंघ ने ‘यू.एच.टी. फ्लेवर्ड दूध’ और ‘यू.एच.टी. साधारण दूध’ किस्म तैयार की है। विशेष रुप से बच्चों के लिए तैयार किया गया ‘यू.एच.टी. फ्लेवर्ड दूध’ मीठा और सुगंधित दुग्ध उत्पाद है।

मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में गरियाबंद जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के बच्चों, आश्रम और छात्रावासों के बच्चों के लिए ‘यू.एच.टी. फ्लेवर्ड दूध’ और अस्पतालों में भर्ती मरीजों, सी.आर.पी.एफ. कैम्प और पुलिस जवानों के लिए ‘यू.एच.टी. साधारण दूध’ के वितरण का शुभारंभ करेंगे।

छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष श्री रसिक परमार ने आज यहां बताया कि ‘यू.एच.टी’ दुग्ध प्रसंस्करण की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से तैयार दूध को साधारण तापमान पर 90 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ‘यू.एच.टी. फ्लेवर्ड दूध’ सुगंधित और मीठा दूध बच्चों के लिए रुचिकर और पौष्टिक है।

अच्छी गुणवत्ता वाले इस दूध से बच्चों में दूध पीने की आदत को प्रोत्साहन मिलेगा। शिशुओं के लिए मीठे और सुगंधित दूध के एक लीटर के पैक दुग्ध संघ द्वारा तैयार कराए गए हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को भी यह दूध दिया जा सकता है। गरियाबंद जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में ‘यू.एच.टी.दूध’ का वितरण प्रारंभ किया जा रहा है।

श्री परमार ने छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि महासंघ के गठन के बाद गांव-गांव में दुग्ध समितियों का गठन किया गया, दुग्ध संकलन की बेहतर व्यवस्था की गयी और दुग्ध उत्पादक किसानों को किए जाने वाले भुगतान की राशि में चार से पांच गुना वृद्धि की गयी।

उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में दुग्ध महासंघ के प्रयासों से प्रदेश में दूध के उत्पादन में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। वर्तमान में दुग्ध महासंघ का दूध का औसत दैनिक संकलन 85 हजार लीटर प्रतिदिन तक हो रहा है। उन्होंने बताया कि महासंघ के माध्यम से दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। दूध उत्पादन को प्रोत्साहन मिलने से प्रदेश में पशुपालन बढ़ेगा और आर्गेनिक खेती को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

श्री परमार ने बताया कि दुग्ध महासंघ द्वारा राज्य के 18 जिलों में दुग्ध उत्पादक किसानों को संगठित कर 700 ग्रामों में दुग्ध समितियों का गठन कर उनके द्वारा उत्पादित दूध के वितरण का काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, सघन डेयरी विकास परियोजना, नेशनल प्रोग्राम फार डेयरी डेव्हलपमेंट, नेशनल डेयरी प्लान प्रथम चरण परियोजनाओं के अंतर्गत राज्य में दुग्ध उत्पादन के लिए अधोसंरचना के विकास का कार्य किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय और सरकार के पशुधन विकास विभाग द्वारा किसानों के लिए संगोष्ठी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें दूध उत्पादन की जानकारी दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा पोषित डेयरी उद्यमिता विकास योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को दुधारु पशु बैंक ऋण पर उपलब्ध कराने की ‘तत्पर’ योजना प्रारंभ की गयी है।

इस योजना में सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिए पचास प्रतिशत अनुदान तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को 65.66 प्रतिशत अनुदान पर अधिकतम बारह लाख रुपए तक का पशु ऋण बैंक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। दुधारु पशु उपलब्ध कराने की यह देश की अनूठी योजना है।

श्री परमार ने यह भी बताया कि दुग्ध महासंघ द्वारा संकलित दूध के विपणन और बाजार की प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए बल्क मिल्क कूलर लगाकर दुग्ध शीत श्रंृखला का निरंतर विस्तार किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की दुग्ध सहकारी समितियों में पांच सौ, एक हजार, दो हजार और पांच हजार लीटर क्षमता के बल्क मिल्क कूलर स्थापित किये जा रहे हैं।

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