- April 4, 2018
दीनदयाल अंत्योदय योजना-ग्रामीण गरीबी समाप्त करने का ध्येय
पीआईबी ———- दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य गरीबों के सतत सामुदायिक संस्थानों की स्थापना करना तथा इसके माध्यम से ग्रामीण गरीबी समाप्त करना तथा आजीविका के विविध स्रोतों को प्रोत्साहन देना है।
केन्द्र द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम को राज्यों के सहयोग से लागू किया गया है। इस मिशन को 2011 में लॉंच किया गया था। पिछले तीन वर्षों में इस मिशन का तेजी से विस्तार हुआ है।
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 820 अतिरिक्त प्रखंडों को इस योजना से जोड़ा गया है। यह मिशन 29 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के 586 जिलों के अंतर्गत 4,459 प्रखंडों में लागू किया गया है।
सामुदायिक संस्थान का निर्माण
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान पूरे देश में 6.96 लाख स्वयं-सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से 82 लाख परिवारों को जोड़ा गया। 40 लाख स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से 4.75 करोड़ महिलाओं को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया। इन सामुदायिक संस्थानों को 4,444 करोड़ रुपये की धनराशि परिव्यय हेतु आवंटित की गई।
वित्तीय समावेश
वित्तीय समावेश रणनीति के तहत मिशन, एसएचजी को बैंक ऋण उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), वित्त सेवा विभाग (डीएफएस) तथा भारतीय बैंक महासंघ (आईबीए) के साथ मिलकर कार्य करता है। एसएचजी को दिया जाने वाला ऋण जो वित्त वर्ष 2013-14 में 22,238 करोड़ रुपये था, बढ़कर फरवरी, 2018 में 64,589 करोड़ रुपये हो गया है।
पिछले पांच वर्षों के दौरान स्वयं-सहायता समूहों-एसएचजी को कुल मिलाकर 1.55 लाख करोड़ रुपये का बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया है। मिशन प्रारंभ होने के पूर्व बैंकों का फंसा कर्ज (एनपीए) 23 प्रतिशत था, जो चालू वर्ष में घटकर 2.4 प्रतिशत हो गया।
सुदूर क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएं
वित्तीय सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक उपलब्ध कराने में भी मिशन को महत्वपूर्ण सफलता मिली है। स्वयं-सहायता समूहों के 1518 सदस्यों को बैंक एजेंट के रूप में कार्य करने का मौका दिया गया है। ये एजेंट वित्तीय सेवा जैसे धनराशि जमा करना या निकालना, पेंशन, छात्रवृत्ति का भुगतान करना, मनरेगा पारिश्रमिक का भुगतान करना आदि उपलब्ध कराते है। फरवरी, 2018 तक 1.78 लाख स्वयं-सहायता समूहों के सदस्यों ने इन बैंक एजेंटों के माध्यम से 8.9 लाख लेनदेन के कार्य किये, जिनका मूल्य 187.92 करोड़ रुपये है।
ब्याज भुगतान में आर्थिक सहायता
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज भुगतान में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता है। इससे ऋण का ब्याज भुगतान सात प्रतिशत प्रति वर्ष हो जाता है।
250 जिलों में समय पर ऋण भुगतान की स्थिति में ब्याज में तीन प्रतिशत की अतिरिक्त कमी की जाती है। इससे प्रभावी ब्याज दर चार प्रतिशत वार्षिक हो जाती है। ब्याज भुगतान में आर्थिक सहायता के तौर पर कुल 2,324 करोड़ रुपये की धनराशि का परिव्यय किया गया है।
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना और मूल्यवर्द्धन श्रृंखला
कृषि-पर्यावरण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से मिशन ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना लागू किया है, जो महिला किसानों की आमदनी को बढ़ाएगा और कृषि लागत तथा जोखिम में कमी लाएगा। इस योजना के तहत 33 लाख महिला किसानों को सहायता उपलब्ध कराई गई हैं (मार्च-2018)।
मूल्यवर्द्धन गतिविधियों के अंतर्गत कृषि, बागवानी, डेयरी, मत्स्य पालन, वन उत्पाद (गैर-काष्ठ) आदि को शामिल किया गया हैं। छोटे और सीमांत किसानों द्वारा उगाये जाने वाली फसल जैसे मक्का, आम, फूल की खेती, डेयरी आदि को मूल्यवर्द्धन गतिविधियों में शामिल किया गया है। फरवरी-2018 तक 1.05 लाख स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को इन गतिविधियों से जोड़ा गया है।
सामुदायिक आजीविका
मिशन का महत्वपूर्ण लक्ष्य है-समुदाय आधारित कार्यान्वयन। इसके लिए 1.72 लाख सामुदायिक सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे सामुदायिक संस्थानों को सहायता प्रदान कर सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में लेनदेन का हिसाब रखने, क्षमता निर्माण करने, वित्तीय सेवा उपलब्ध कराने जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया हैं। इसमें 22 हजार सामुदायिक आजीविका संसाधन व्यक्ति (सीएलपीआर) जैसे कृषि सखी, पशु सखी शामिल हैं, जो चौबीसों घंटे सेवा उपलब्ध कराते है।
स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम तथा आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना
गैर कृषि आजीविका रणनीति के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) तथा आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई) लागू कर रही है।
एसवीईपी का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उद्यम स्थापित करने के लिए ग्रामीण उद्यमियों की सहायता करना है। इस योजना के तहत 17 राज्यों में लगभग 16,600 उद्यमों को सहायता प्रदान की गई है। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई) को अगस्त 2017 में लॉंच किया गया था। इसका उद्देश्य सुदूर गांवों को ग्रामीण परिवहन व्यवस्था से जोड़ना है। मार्च 2018 तक 17 राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है और 288 वाहन संचालन में हैं।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की उपयोजना है – दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयूजीकेवाई)। इस उपयोजना का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें अधिक वेतन वाले रोजगार दिलाना है।
वित्त वर्ष 2017-18 में 1.28 लाख ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और इनमें से 69,320 युवाओं को बेहतर पारिश्रमिक वाले स्थानों पर रोजगार मिला। जो ग्रामीण युवा प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण करना चाहते है, उनके लिए कौशल पंजी नाम का ऐप विकसित किया गया है। 31 मार्च, 2018 तक 7.56 लाख युवाओं ने इस ऐप के द्वारा अपना नामांकन किया है।
ग्रामीण स्वयं रोजगार प्रशिक्षण संस्थान
ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मिशन ने 31 बैंकों तथा राज्य सरकारों के साथ समझौता किया है। इसके तहत ग्रामीण स्वयं रोजगार संस्थानों (आरएसईटीआई) को सहायता प्रदान की जा रही है। वर्तमान में मिशन 586 ऐसे संस्थानों की मदद कर रहा है। ये संस्थान 28 राज्यों और चार केन्द्र शासित प्रदेशों के 566 जिलों में स्थित हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 4.23 लाख युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया, इनमें से 3.34 लाख युवा रोजगार पाने में सफल रहे। अपना उद्यम स्थापित करने के लिए 1.52 लाख युवाओं को बैंक ऋण प्राप्त हुआ।
8911 युवाओं को पीएम मुद्रा योजना के तहत ऋण मिला। आरएसईटीआई के अंतर्गत प्रशिक्षण पाने वाले कुल युवाओं में 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। 2017-18 में 26 आरएसईटीआई ने अपने भवनों का निर्माण कार्य पूरा किया हैं।
डीएवाई-एनआरएलएम का स्वतंत्र आकलन
ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद (आईआरएमए) को डीएवाई-एनआरएलएम की डिजाइन, रणनीति और प्रभाव स्वतंत्र आकलन का जिम्मेदार दी गई थी। इसके अध्ययन के रूप में जनवरी से मार्च 2017 के बीच हुए सर्वेक्षण में 746 गांवों के करीब 4500 घरों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण के नतीजों से पता चला कि सर्वेक्षण में शामिल घरों में –
नियंत्रित क्षेत्र की तुलना में अधिक पशुधन थे। गैर मिशन वाले गांवों के घरों की तुलना में मिशन वाले गावों के प्रत्येक घर में औसतन 2.34 से ज्यादा उत्पादक पशुधन थे।
औपचारिक संस्थानों में बचत जमा करने की प्रवृति ज्यादा थी।
अधिक कर्ज लिए जाते थे (नियंत्रित क्षेत्रों की तुलना में 67% अधिक) और ज्यादातर औपचारिक वित्तीय संस्थानों से कर्ज लिए जाते थे, एलआरएलएम चिन्हित लोग कम ब्याज देते थे
नियंत्रित क्षेत्रों के घरों की तुलना में 22% अधिक आय होती थी, ज्यादातर उपक्रमों से होने वाली आय की वजह से। गैर-एनआरएलएम गांवों की तुलना में प्रत्येक एनआरएलएम में औसतन 11 उपक्रम होते थे।
पीआरई में भागीदारी अधिक थी। एनआरएलएम घरों के लोग अपने समकक्षों की तुलना में 3 गुना अधिक भागीदारी करते थे।
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए मिशन की प्रमुख प्राथमिकताएं
मिशन विस्तार
वित्त वर्ष 2018-19 में मिशन 750 अतिरिक्त प्रखंडों में अपनी गतिविधि का विस्तार करना चाहता है। वित्त वर्ष के दौरान 9 लाख स्वयं सहायता समूहों के अंतर्गत 100 लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कृषि आजीविका को प्रोत्साहन
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का लक्ष्य 5 लाख महिला किसानों को कृषि आजीविका की योजनाओं से जोड़ना है। इसमें पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मिशन 75 हजार स्वयं सहायता समूहों के सदस्य परिवारों को सहायता प्रदान करेगा। 1,000 गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
गैर-कृषि आजीविका को प्रोत्साहन
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) के दौरान अतिरिक्त 25,000 उद्यमियों को सहायता प्रदान करेगा। आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई) के तहत 17 राज्यों में 1,500 वाहनों को संचालित करने की योजना है।
ग्रामीण हाट की स्थापना
कृषि उत्पादों तथा स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विक्रय के लिए हाट का विकास महत्वपूर्ण है। मनरेगा की सहायता से गांवों तथा प्रखंड स्तर पर हाटों की स्थापना की जाएगी। हाटों का रखरखाव एक समिति को सौंपा जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूह, पंचायती राज संस्थान तथा स्थानीय सरकारी अधिकारी इस समिति के सदस्य होंगे।
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान पूरे देश में 4,567 ग्रामीण हाट स्थापित करने की योजना है।
औपचारिक वित्तीय संस्थान तक ग्रामीण गरीबों की पहुंच सुनिश्चित करना
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 22 लाख स्वयं सहायता समूहों को 42,500 करोड़ रुपये का बैंक ऋण उपलब्ध कराने की योजना है।
ग्रामीण स्वयं रोजगार प्रशिक्षण संस्थान
ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ने में मदद मिलेगी।