• September 15, 2018

दिव्‍यांगजन हमारे मानव संसाधन के अभिन्‍न अंग हैं और उन्‍हें मुख्‍यधारा में लाया जाना चाहिए : श्री थावरचंद गहलोत

दिव्‍यांगजन हमारे मानव संसाधन के अभिन्‍न अंग हैं और उन्‍हें मुख्‍यधारा में लाया जाना चाहिए : श्री थावरचंद गहलोत

पीआईबी ———- केन्‍द्रीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि दिव्‍यांगजन हमारे समाज के अभिन्‍न अंग है और उन्‍हें मुख्‍यधारा में लाये जाने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर दिव्‍यांगजन के कल्‍याण के लिए जिला दिव्‍यांग पुनर्वास केन्‍द्रों को मजबूत किया जाएगा।

नई दिल्‍ली में सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन दिव्‍यांगजन विभाग द्वारा आयोजित ‘जिला दिव्‍यांग पुनर्वास केन्‍द्र राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि दिव्‍यांगजनों की सेवा करना बहुत बड़ी सेवा है।

जिला दिव्‍यांग पुनर्वास केन्‍द्र दिव्‍यांगजनों को समग्र सेवाएं उपलब्‍ध कराते हैं और जागरूकता सृजन, पुनर्वास एवं पुनर्वास पेशेवरों को प्रशिक्षण देने के लिए जिला स्‍तर पर ढांचागत और क्षमता निर्माण का काम करते हैं।

श्री गहलोत ने कहा कि सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान दिव्‍यांगजनों के पुनर्वास के क्षेत्र में दुनिया भर में पहचान बनाई है और आजादी के बाद पहली बार मंत्रालय ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में छह रिकार्ड दर्ज कराए हैं।

उन्‍होंने कहा कि दिव्‍यांगजनों के लिए पहचान पत्र बनाये जा रहे हैं, जो दिव्‍यांगजनों को सभी सुविधाएं हासिल करने के लिए देशभर में मान्‍य होंगे। पहचान पत्र बनाने का काम 24 राज्‍यों ने शुरू कर दिया है।

श्री गहलोत ने बताया कि सभी बहुमंजिला सरकारी इमारतों, रेलवे स्‍टेशनों, हवाई अड्डों और बस स्‍टैंडों को ‘सुगम्‍य भारत अभियान’ के तहत लिफ्ट और स्‍वचालित सीढि़यां बनाकर दिव्‍यांगजनों के लिए आसान बनाया जा रहा है। मंत्रालय ने दिव्‍यांगजनों के सात वर्गों को बढ़ाकर 21 कर दिया है।

दिव्‍यांगजनों की पढ़ाई में मदद के लिए वर्ष 2015 से छह नई छात्रवृत्तियां शुरू की गई हैं। उच्‍चतर शिक्षा में 5 और सरकारी नौकरियों में 4 फीसदी का आरक्षण भी दिया गया है। दिव्‍यांगजनों को सहायक यंत्रों और साधनों के वितरण के लिए देशभर में मंत्रालय 7,300 से ज्‍यादा एडीआईपी शिविरों का आयोजन कर चुका हैं। मंत्रालय ने 1,300 बधिर बच्‍चों के लिए कान की सर्जरी की भी व्‍यवस्‍था की है।

श्री गहलोत ने समाज के सभी तबकों से दिव्‍यांगजनों की पूरी क्षमता का इस्‍तेमाल करने के लिए उन्‍हें मुख्‍यधारा में लाने में मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया है। अब बहुत दिव्‍यांगजन आत्‍मनिर्भर हो चुके हैं और अपने परिवार के कमाऊ सदस्‍य हैं। सम्‍मेलन का आयोजन जिला दिव्‍यांग पुनर्वास केन्‍द्रों के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है, जिसका दिव्‍यांगजनों की बेहतरी में महत्‍वपूर्ण भूमिका है।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता राज्‍य मंत्री श्री रामदास अठावले, श्रीमती शकुन्‍तला डी.गैम्‍बलिन और मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी मौजूद थे। इस एकदिवसीय सम्मेलन में जिन जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित हैं वहां के जिलाधीश, विभिन्‍न राज्‍यों के समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव, क्षेत्र से जुड़े एनजीओ, जिला समाज कल्याण अधिकारी, प्रसिद्ध डॉक्टर इत्यादि शामिल हुये।

जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों की प्रमुख बातें।

310 जिलों को चिन्हित किया गया है और 263 जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं।
ये केंद्र जागरूकता सृजन, समय रहते हस्तक्षेप और दिव्यांगजनों के लिए सहायक यंत्र की जरूरत का आकलन करतें हैं।

दिव्यांगजन पेशेवरों के जरिए दिव्यांगजनों को फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशेनल थेरेपी और स्पीच थेरेपी की सुविधा भी इन केंद्रों पर उपलब्ध है।

पुनर्वास सेवाओं के लिए साधन उपलब्ध कराते हैं।

योजनाओं की लागत खर्च में सुधार कर 01 अप्रैल, 2018 से इसे बढ़ाकर ढाई गुना कर दिया गया है।

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