दिवालिया अदालत में 9 परियोजनाएं—54 % नुकसान उठाने की तैयारी

दिवालिया अदालत में  9 परियोजनाएं—54 % नुकसान उठाने की तैयारी

दिल्ली —— पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) कुल बिजली संयंत्रों में से आधे में नवंबर से पहले जान फूंकना चाहती है।

9 ऐसी परियोजनाएं हैं, जो दिवालिया अदालतों को सौंपी जा चुकी हैं।

पीएफसी ने 23 परियोजनाओं में 255 अरब रुपये निवेश किए हैं, जिनमें यह 54 प्रतिशत नुकसान उठाने की तैयारी कर रही है।

पीएफसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा दौर के समाधान के बाद फंसी परिसंपत्तियों के लिए अब अतिरिक्त प्रावधान नहीं किए जाएंगे।’

अधिकारी ने कहा कि करीब 11 गीगावॉट क्षमता वाली परिसंपत्तियों में पीएफसी का 200 करोड़ रुपये निवेश है।

इन परिसंपत्तियों का दिवालिया से इतर दूसरे तरीके से समाधान हो रहा है। उच्चतम न्यायालय द्वारा नवंबर तक दिवालिया प्रक्रिया रोकने के बाद प्रक्रिया नवंबर तक पूरी हो सकती है।

उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 12 फरवरी के परिपत्र के बाद दायर किए गए सभी मामले अपने पास रख लिए और 14 नवंबर तक मुश्किलों में फंसी परिसंपत्तियां पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया।

आरबीआई के इस परिपत्र में फंसी परिसंपत्तियों का समाधान 11 सितंबर तक किया जाना अनिवार्य कर दिया था।

परिपत्र में यह भी कह गया था कि ऐसा नहीं होने पर सभी मामले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में समाधान के लिए भेज दिए जाएंगे।

पीएफसी के चेयरमैन राजीरव के शर्मा ने कहा, ‘जीएमआर छत्तीसगढ़, झाबुआ पावर और केएसके महानंदी जैसे कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनके लिए बोलीदाता का चयन हो चुका है।’

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