- December 22, 2015
दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव : झोंपडिय़ाँ लोक संस्कृति की विभिन्न धाराओं का परिचय- श्री कल्याणंसिंह
जयपुर -पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति का दस दिवसीय परंपरागत शिल्पग्राम उत्सव सोमवार शाम मनोहारी रंगारंग कार्यक्रमों की भव्य प्रस्तुतियों से आरंभ हुआ।
राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याणसिंह ने दीप प्रज्वलन, नगाड़ा बजाकर तथा उद्घाटन घोषणा कर कला और संस्कृति के इस भव्य महोत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर गृह मंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया, उदयपुर ग्रामीण विधायक श्री फूलसिंह मीणा, राजभवन के विशेषाधिकारी श्री ए.के. पाण्डे सहित प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारीगण, विभिन्न प्रदेशों के कलाकार, बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी, व्यवसायी एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
आरंभ में शिल्पग्राम के द्वार पर राज्यपाल का लोक कलाकारों ने तिलक लगाकर तथा साफा पहनाकर स्वागत किया। राज्यपाल का स्वागत उदयपुर के सांसद श्री अर्जुनलाल मीणा, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक श्री मोहम्मद फुरकान खान, अतिरिक्त निदेशक श्री सुधांशु सिंह एवं केन्द्र के अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
राज्यपाल, गृहमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने गोल्फ कार्ट में बैठकर शिल्पग्राम का अवलोकन किया और वहां हाट बाजारों में प्रदर्शित सामग्री की जानकारी ली तथा शिल्पियों की हौसला आफजाही की। राज्यपाल ने हस्तशिल्पियों की कला को देखा तथा इनकी सराहना की।
राज्यपाल एवं गृह मंत्री ने शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर देश के विभिन्न राज्यों के मशहूर कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुतियों का आनंद लिया। समारोह का संचालन जाने-माने कला एवं संस्कृतिविद श्री विलास जानवे एवं हिमानी जोशी ने किया।
राज्यपाल ने टखमण और पश्चित क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के संयुक्त प्रयासों से प्रकाशित एवं कलाविदों प्रो. सुरेश शर्मा, प्रो. लक्ष्मीलाल वर्मा, प्रो. मोहनलाल जाट एवं श्री मयंक द्वारा संपादित पुस्तक ”तक्षमणि’ का विमोचन किया और इसके लिए संपादकों एवं केन्द्र को बधाई दी।
राज्यपाल श्री कल्याणसिंह ने शिल्पग्राम उत्सव के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उत्सव के शुभारंभ समारोह में देशी-विदेशी पर्यटकों की बड़ी संख्या में मौजूदगी पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए तमाम कला रसिकों की सराहना की।
राज्यपाल ने शिल्पग्राम उत्सव को ग्राम्यांचलों की मौलिक संस्कृति का जीवन्त प्रतिदर्श बताया और केन्द्र द्वारा अब तक हुए प्रयासों की सराहना करते हुए इसे और अधिक ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए समन्वित प्रयासों को और अधिक तेज करने पर बल दिया।
राज्यपाल ने शिल्पग्राम के मुख्य रंगमंच कलाँगन में देश-विदेश से आए पर्यटकों, लोक कलाकारों एवं मेलार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के कला मर्मज्ञों के रचनात्मक सहयोग से शिल्पग्राम को गांव का रूप दिया गया है। यहां गांव के माहौल में बहुआयामी शिल्प का सृजन किया जा रहा है। शिल्पग्राम को खूबसूरत एव मनोहारी बताते हुए श्री कल्याणंसिंह ने कहा कि यहाँ भारत के चार पश्चिमी राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा गोवा की पारंपरिक झोंपडिय़ाँ वहां की लोक संस्कृति की विभिन्न धाराओं का परिचय करा रही हैं।
राज्यपाल ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अध्यक्ष की हैसियत से भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकारोंं, शिल्पकारों तथा सैलानियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कला और संस्कृति समाज का अभिन्न हिस्से हैं जो हमारे जीवन को उत्साह और उमंग प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि उदयपुर के इस सांस्कृतिक केन्द्र को हमारे देश की माटी से उपजी शिल्प कलाओं के प्रोत्साहन में योगदान देना चाहिए। इसके लिए कला और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिये भी केन्द्र को और अधिक प्रयास करने की पहल करनी चाहिए।
समारोह को संबोधित करते हुए गृह मंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया ने शिल्पग्राम के रंगमंच को देश का अनूठा रंगमंच बताया जहां प्रतिवर्ष देश के विभिन् न प्रान्तों की लोक संस्कृति का रोमांच देखने को मिलता है। उन्होंने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र को देश-विदेश में ख्याति दिलाने और उत्तरोत्तर विकास के लिए केन्द्र निदेशक श्री मोहम्मद फुरकान खान केन्द्रकर्मियों की तारीफ की।
शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत मध्य प्रदेश के उज्जैन से आये श्री नरेन्द्र कुशवाहा के विशेष काँच के बने नगाड़े से हुई। कुशवाहा ने काँच के नगाड़े के वादन से दर्शकों को एक नूतन अनुभूति दी। काँच के इन नगाड़ों से एक अलग ही स्वर प्रस्फुटित हुआ। कुशवाहा ने तीन ताल में निबद्घ कहरवा बजाने के बाद अपने अनूठे नगाड़े से गुजरात और पंजाब की संस्कृति को अनूठे अंदाज में अभिव्यक्त किया।
ऑडीशा से आये गोटीपुवा बाल नर्तकों ने ”गोटीपुवा’ की मनोहारी प्रस्तुतियों से अतिथियों का मन मोहते हुए इन नर्तकों ने ”गोटीपुवा नृत्य से दर्शकों पर ऑडीशा के मंदिरों की नृत्य की परंपरा का सुरम्य स्वरूप प्रस्तुत किया। अपने गुरू द्वारा उच्चारित तत्कारों पर नन्हेक गोटीपुवा कलाकारों ने अनूठी संरचनाएँ बना कर दर्शकोंं का दिल जीत लिया।
इस अवसर पर गुजरात राज्य की विशेष कला प्रस्तुतियों ने वहां की सौम्य और सतरंगी झाँकी प्रस्तुत की। गुजरात के युवक सेवा एवं सांस्कृतिक प्रवृत्ति विभाग द्वारा प्रेषित इस दल ने पहले डांडिया रास प्रस्तुत किया।
इसके बाद बेड़ा रास गुजरात के जाम खंम्भालिया की मनोरम प्रस्तुति रही। नृत्य में शरनाई व ढोल की थाप पर नर्तकियों ने अपने सिर पर बेड़ा (मटकों का स्तम्भ) संतुलित करते हुए नृत्य किया। इसी प्रस्तुति में शीश पर दीप मालिका से सुसज्जित बेड़ा रास ने दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में अलवर के भपंग वादक उमर फारूख ने भपंग वादन की शैली से दर्शकों को रिझाया। इस मौके पर मणिपुर के कलाकार की स्टिक परफॉरमेन्स रोमांचकारी पेशकश बन सकी। स्टिक डांस में कलाकार ने ढोल की थाप पर लकड़ी के डंडे को विभिन्न प्रकार से संतुलित करते हुए दर्शकों को हैरत में डाल दिया। इस नर्तक ने हाथ, अंगुली, पैरों के मध्य आदि में संतुलित करने के साथ उसे उछाल कर पुन: संतुलन के साथ निंयत्रित करके सभी को अचम्भित किया।
गुजरात के सौराष्ट्र अंचल का मेर रास दर्शकों को रास आई वहीं थांग-ता में मणिपुर के योद्घाओं ने अपने शौर्य का प्रदर्शन रोचक ढंग से किया। गुजरात की एक और नृत्य प्रस्तुति में वहां की मेवासी जनजाति की लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिला।
उदघाटन समारोह की अंतिम प्रस्तुति मयूर नृत्य रही। ब्रज अंचल से आये कलाकारों ने श्रीकृष्ण के रास का प्रदर्शन किया जिसमें कृष्ण को मयूर बन कर रास खेलते हुए दर्शाया। प्रस्तुति में पुष्प वर्षा व उसके मध्य बैठे राधा कृष्ण की झांकी उत्कृष्ट बन सकी।