- December 13, 2017
दर्पण: लंबित आवेदन सीधे –कलेक्टर के कम्प्यूटर पर
रायपुर (छत्तीसगढ)———– किस ऑफिस में किस योजनाओं में कितनी प्रगति है और कितने आवेदन पेंडिंग है अब बिना किसी से जानकारी मंगाए कलेक्टर सीधे अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देख सकेंगे। एनआईसी द्वारा इसके लिए दर्पण नाम से डीएम डेसबोर्ड ऑनलाइ्रन वेबपोर्टल बनाया गया है। कलेक्टर श्री ओ.पी.चौधरी ने गत दिवस इस डेसबोर्ड का शुभारंभ किया।
एनआईसी के डीआईओ श्री प्रदीप मिश्रा ने बताया कि दर्पण नाम से डीएम डेसबोर्ड वेबपोर्टल को बनाया गया है। जिसमें प्रथम चरण में 20 योजनाओं व कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। इसमें मुख्यमंत्री जनदर्शन, कलेक्टर जनदर्शन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, भुईंया, कौशल विकास, पंचायत शिक्षक सैलरी, स्कूलों में गणवेश व पाठ्य पुस्तक वितरण, सरस्वती सायकल योजना, शिक्षा का अधिकार, ई-वर्कस्, साइबर टैªजरी, जिला खनिज निधि और फर्म एण्ड सोसायटी को रखा गया है। सभी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए अलग-अलग पैरामीटर्स भी बनाए गए है।
इन सभी योजनाओं की प्रगति की सतत् निगरानी इस डेसबोर्ड के जरिए आसानी से हो सकेगी। अभी मेनुअल तरीके से जानकारी मंगाने में समय लगता है वहीं किसी भी समय किसी भी योजना की प्रगति और लंबित प्रकरणों को इसके जरिए सीधे ही कलेक्टर अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देख सकेंगे और संबंधित विभागीय अधिकारियों से लंबित प्रकरणों के संबंध में जानकारी ले सकेंगे। इस डेसबोर्ड के जरिए जहां इन सभी योजनाओं की सतत् ऑनलाईन मॉनिटरिंग हो सकेगी वहीं इससे इन योजनाओं के क्रियान्वयन में भी गति आएगी।
समय-सीमा के प्रकरण अब सीधे अधिकारियों के मोबाईल पर
कलेक्टर द्वारा जिन प्रकरणों को समय-सीमा में निराकरण करने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है। वे आवेदन अब सीधे अधिकारियों के मोबाईल पर उपलब्ध हो जाएंगे। इसके लिए एनआईसी द्वारा टीएल मोबाईल एप बनाया गया है। कलेक्टर श्री ओ.पी.चौधरी ने गत दिवस इस एप का भी शुभारंभ किया।
एनआईसी के डीआईओ श्री प्रदीप मिश्रा ने बताया कि समय-सीमा के प्रकरण ऑनलाईन तो है परंतु कार्यालयों में लिपिक या कम्प्यूटर ऑपरेटरों के माध्यम से ही उनकी जानकारी अधिकारियों को मिलती है। इस मोबाईल एप के जरिए अधिकारियों को सीधे उनके मोबाईल पर आवेदनों की जानकारी मिल जाएगी जिससे निर्धारित समय-सीमा में उनका निराकरण सुनिश्चित हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि अधिकारी इस एप के जरिए मूल आवेदन को भी देख सकेंगे वहीं इसके जरिए कलेक्टर भी यह देख सकेंगे कि किस विभाग में समय-सीमा के कितने प्रकरण लंबित है।