- January 4, 2021
दंगा 1984 की —- 36 वर्षों के इंतजार के बाद भी अभी तक मुआवजा व इंसाफ नहीं
पटना–(दैनिक जागरण) — 1984 के 31अक्टूबर की काली रात को आज भी याद कर पटना सिटी के सिख परिवारों की रूह कांप उठती है। जिन्होंने 1984 का वो खौफनाक मंजर देखा, उनकी आंखे आज भी गीली हैं। उन दंगा पीड़ितों को 36 वर्षों के इंतजार के बाद भी अभी तक मुआवजा व इंसाफ नहीं मिल सका है।
एक सिख की हत्या, 19 करोड़ की संपत्ति लूटी
वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे की आंच पटना सिटी भी पहुंची थी। वहां एक सिख की हत्या भी कर दी गई थी। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार 1984 दंगे में 1481 सिख परिवारों के लगभग सात हजार लोगों की उस समय 19 करोड़ से अधिक की संपत्ति लूटी या जलाई गई थी। काफी प्रयास व इंतजार के बाद सवा सौ पीड़ितों को ही मुआवजा मिल सका। आज भी 1984 दंगे के 100 परिवारों को मुआवजे का इंतजार है। मुआवजे के इंतजार में उनकी आंखे पथरा गई हैं। दंगा पीड़ितों ने उच्च न्यायालय में गुहार भी लगाई है।
मुआवजा की आस में पीड़ित ने तोड़ा दम
कई उदाहरण हैं, जिनमें मुआवजे की आस में पीड़ित ने दम तोड़ दिया। 25 वर्षों तक भटकते-भटकते प्रतिष्ठित व्यवसायी अमृत सिंह सचदेवा की मौत हो गई। 36 वर्ष बाद भी उनके पुत्र दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उस परिवार को अब भी आस है कि मुआवजा मिलेगा। दंगे की रात याद कर उनका परिवार आज भी सिहर उठता है। हरिमंदिर गली निवासी पीड़ित नारायण सिंह ने मुआवजा की आस में दम तोड़ दिया।
100 दंगा पीड़ितों काे मुआवजा नहीं
31 अक्टूबर की रात को याद कर दमनजीत सिंह बताते हैं कि मालसलामी थाना क्षेत्र के मारूफगंज में उनकी बाबा ट्रेडिंग कंपनी ड्राई फ्रूट की दुकान को दंगाइयों ने लूट लिया। नफरत की आंधी थमने के बाद जब उन्होंने प्रशासन की उपस्थिति में दुकान खोली तब पता चला कि साढ़े आठ लाख से अधिक के फल व सामान लूटे जा चुके थे। पीड़ित की मानें तो दंगाइयों ने दुकान में कुछ छोड़ा ही नहीं था। लाखों की संपत्ति घंटों में लूट ली गई थी। पीड़ित परिवार मालसलामी थाना में एफआइआर दर्ज कराई। परिवार ने बताया कि जटिल प्रक्रिया के कारण उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल सका है। यही हाल पटना के 100 अन्य दंगा पीड़ितों का भी है। उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिल सका है। मिली है तो सिर्फ जांच-पड़ताल के नाम पर तारीख पर तारीख।