- June 24, 2016
———— तो अफसर फंस जायेंगे !
सुरेश गर्ग—————————- हरियाणा स्कूल ऑफ़ बिज़नस में कार्यरत अध्यापक डॉ हिमानी शर्मा की एक साथ इसी विश्वविद्यालय से की गई डिग्रीज के बारे उसका रोल नंबर बताते हुए पूछा गया तो बिना कोई कारण बताते हुए प्रार्थी को कहा कि आकर रिकॉर्ड का अवलोकन कर लेवे !जिस विश्वविध्यालय को देश का नंबर एक तकनीकी व हरियाणा का नंबर एक विश्व विद्यालय होने का तगमा मिला है,उसके अधिकारी अपने अपराधों पर पर्दा डाले रखने में भी नंबर एक ही है ! आइये जाने कैसे?
जब जगाधरी निवासी डॉ. एस गर्ग ने इस विश्वविद्यालय से 2013 में हुई भर्ती में शामिल हुए कुछ उम्मीदवारों के विषय में पूछा तो जवाब आया कि सम्बंधित रिकॉर्ड बहुत ज्यादा व बिखरा हुआ है आकर अवलोकन कर लेवे ! कमाल की बात तो यह है कि वर्तमान सूचना अधिकारी श्री संजय सिंह ने एक अन्य प्रार्थी को 3 वर्ष पूर्व जो सूचना उम्मीदवारों के नाम सहित इसी विभाग से लेकर दी थी, उसमे वर्तमान में मांगी गई सूचना भी शामिल थी ! यानि जो सूचना 2013 तक इस विश्वविद्यालय के लिए ना तो ज्यादा थी व ना ही बिखरी हुई थी अब ज्यादा होने के साथ साथ बिखर भी गई है !
जिस विश्वविद्यालय ने लाखों लोगों ने डिग्री दी हो व जो उनकी डिग्रीज सत्यापित करने के लिए उत्तरदायी हो, उसके अधिकारी एक ही छात्रा की डिग्री बताने में इतने अक्षम कैसे हो सकते है ? वजह साफ़ है कि अधिकारीयों को सूचना देने पर पोल खुलने का डर सता रहा है !
जब प्रार्थी ने इस विश्वविद्यालय से 2013 में हुई भर्ती में आवेदन देने वाले 4 उम्मीदवारों को उनकी एक डिग्री के आधार पर दिए गए अंको के बारे उनका डायरी नंबर देते हुए पूछा तो बिना कोई कारण बताते हुए प्रार्थी को कहा कि आकर रिकॉर्ड का अवलोकन कर लेवे ! विश्वविद्यालय के अधिकारी इतने अक्षम कैसे हो सकते है, जो डायरी नंबर बताने के बावजूद ये छोटी सी सूचना नहीं दे पा रहे हैं ! वजह साफ़ है कि अधिकारीयों को सूचना देने पर पोल खुलने का डर सता रहा है !
जब प्रार्थी ने इस विश्वविद्यालय से 2013 में हुई भर्ती में वैध माने गए विद्यालयों के बारे में पूछा गया तो ऐसा जवाब आया, जिसे पढकर आप हैरान रह जायेगे क्योंकि सम्बंधित अधिकारी ये जानकारी भी नहीं दे पाए व जवाब दिया कि हमने ऐसी कोई सूचि ना बनाई है आकर रिकॉर्ड का अवलोकन कर लेवे !
यहाँ चोकने वाली बात यह है की जब यही रिकॉर्ड जिसे आज सम्बंधित अधिकारी, प्रार्थी को विश्वविद्यालय में आकर अवलोकन करने को कह रहा है, उसे प्रार्थी ने खुद अवलोकन बारे सुचना के अधिकार में कुछ समय पहले जब प्रार्थना पत्र दिया था तो विश्वविद्यालय के लॉ अफसर श्री विकास चौधरी ने उसे सूचना के अधिकार की धारा 8 (1) d का हवाला देकर दिखने से इंकार कर दिया था, जबकि यह धारा तो इस सूचना पर बनती ही नहीं थी, क्योंकि इसमे इस धारा वर्णित वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपिनियता या बोधिक सम्पदा सम्बन्धी जानकारी तो बनती ही ना थी ! है ना कमाल की बात ! दरअसल इस रिकॉर्ड में विश्वविध्यालय के अफसरों की कारगुजारियां मौजूद हैं, जिसे विश्वविध्यालय के लॉ अफसर श्री विकास चौधरी व अन्य अधिकारी जनता के सामने आने से रोकना चाहते हैं, ताकि इस पर पड़ा पर्दा उठ ना पाये !
दरअसल विश्वविध्यालय के लॉ अफसर श्री विकास चौधरी की पत्नी डॉ हिमानी शर्मा को इसी भर्ती में हरियाणा स्कूल ऑफ़ बिज़नस स्टडीज में नियुक्ति दी गयी थी व श्रीमती हिमानी शर्मा ने खुद ही इस विश्वविध्यालय से अपनी Ph. D. की डिग्री के साथ M.B.A. की डिग्री थी व उसे भर्ती में उसके Teaching Experience के अंक व Ph. D. के अंक भी दिए गए थे, जबकि उसने पढ़ाते समय (at the time of teaching) अपनी Ph. D. की डिग्री अर्जित की थी !
सिर्फ श्रीमती हिमानी शर्मा ही नहीं सभी उम्मीदवारों को Teaching Experience के साथ ही उसी समय में प्राप्त की गई डिग्रीज के अंक भी दिए गए थे ! एक मामले में आवेदक को बिना किसी प्रावधान के उसके डिग्री के आधार पर बनने वाले पांच नंबर इस बात का बहाना बनाकर ना दिए थे कि उसने दो डिग्रीज इकठी कर रखीं थी, यदि ऐसा ठीक था तो श्रीमती हिमानी शर्मा व अन्य उम्मीदवारों को एक साथ अर्जित किये गए Teaching Experience व Ph. D. की डिग्री में से भी एक ही योग्यता के अंक दिए जा सकते थे, जबकि अंक दोनों के दिए गए थे !
जी हाँ ! यह सच है की हरियाणा में सरकारी नोकरियों में अपने उम्मीदवार को लगाने हेतु चयन प्रावधानों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाने का पुराना चलन रहा है व फिर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए एक के बाद एक गैर क़ानूनी पैतरा अपनाने का !
हरियाणा में नई सरकार आने व विश्वविध्यालय में नये उपकुलपति व रजिस्ट्रार आने के बावजूद व्यस्था पुरानी ही जारी हैं !
सूचना स्रोत
सुरेश गर्ग
आर टी आई कार्यकर्ता
मो 8607318181