- July 30, 2019
तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास–विपक्ष को सिर्फ 84 वोट
दिल्ली ——– तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास करवाना बीजेपी के लिये इतिहास जीत.
जेडी(यू) और AIADMK का वॉक-आउट
इन दोनों दलों ने वोटिंग शुरू होने से पहले ही वॉक-आउट करने का ऐलान कर अपरोक्ष रूप से सरकार की मदद कर दी.
विपक्ष के सांसद अनुपस्थित
बीजेडी ने लोकसभा में ही सरकार के इस बिल पर समर्थन कर दिया था, वो राज्यसभा में भी बरकरार रहा.
TRS के 6 सांसदों, TDP के दो और बीएसपी के चार सांसदों ने वोटिंग के दौरान बहिष्कार कर सरकार का काम आसान कर दिया.
कांग्रेस के 48 में से 3 सांसद अलग-अलग कारणों से अनुपस्थित थे.
टीएमसी के भी दो सांसद सदन में नहीं थे. NCP के कुल 4 सांसद हैं, शरद पवार और प्रफ्फुल पटेल सदन से अनुपस्थित थे.
पहले ही सत्र में ये बिल
2013 में तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया.
सरकार ने इस संबंध में कानून बनाने की पहल की.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार ने लोकसभा से इस बिल को पास करवा लिया था, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पास नहीं करवा सकी.
बीजेपी के फ्लोर मैनेजमेंट का ही कमाल था कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के पक्ष में सिर्फ 84 और विरोध में 100 वोट पड़े थे.
बिल के समर्थन में 99 वोट लेकर सरकार को जीत हासिल हुई और विपक्ष को सिर्फ 84 वोट ही मिल सके.
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तीन तलाक बिल का पूरा नाम मुस्लिम महिला (महिला अधिकार संरक्षण कानून) बिल, 2019 है.
इस बिल के कानून बन जाने के बाद मौखिक, लिखित और अन्य सभी माध्यमों में तीन तलाक देना अपराध घोषित हो चुका है.
ऐसे में अगर कोई शख्स अपनी पत्नी को ट्रिपल तलाक देता है तो यह जुर्म होगा और ऐसे में उसके खिलाफ इस कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकेगी
तीन तलाक बिल में तीन तलाक देने पर किसी शख्स के खिलाफ 3 साल तक जेल की सजा का प्रावधान है.
उस शख्स पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. ट्रिपल तलाक के मामले में जमानत के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा.
मुआवजे की मांग कर सकती है तीन तलाक की पीड़िता
अगर किसी महिला को ट्रिपल तलाक दिया जाता है तो वह अपने पति से मुआवजे की मांग कर सकती है. हालांकि इन मामलों में किसी निश्चित राशि को मुआवजे के तौर पर तय नहीं किया गया है और पीड़ित महिला को कितना मुआवजा देना है, इसे मजिस्ट्रेट सुनवाई के बाद तय करेंगे.
बच्चे की कस्टडी की मांग कर सकती है तीन तलाक पीड़िता
इस बिल में यह भी कहा गया है कि पीड़िता को नाबालिग बच्चों की कस्टडी की मांग कर सकती है. साथ ही बच्चे किस के पास रहेंगे इसका फैसला भी मजिस्ट्रेट सुनवाई के बाद करेंगे.