- September 24, 2015
ठग गिरोह चलाने वाले विप्रो कम्पनी के मालिक अजीम प्रेम पर मुकदमा दर्ज
श्री मान् न्यायिक मजिस्ट्रे महोदय प्रथम श्रेणी
वादी:- नीरज गुप्ता पिता मुन्नी लाल गुप्ता उम्र 30 वर्ष पेशा बेरोजगारी निवासी ग्राम बरगवाॅ, पो0 डगा बरगवाॅ, थाना बरगवाॅ जिला सिंगरौली मध्य प्रदेश
——— परिवादी
बनाम
(1). अजिम प्रेम मुख्य प्रबन्धक विप्रो कंम्पनी इंडिया लिमिटेंड बिजनेष आॅफिस प्लाट नं0 8, ब्लाक डी0 एम0, सेक्टर 5 साल्ट लेग सिटी कोलकत्ता 700091
(2). सुरेश महतो पिता नामालुम, मो0 नं0 09716218796 जिला धनवाद झारखण्ड (पूर्ण पता नामालुम)
(3). आलोक कुमार शांडिल्या पिता नामालुम, मो0 नं0 08961596670 निवासी जिला धनवाद झारखण्ड (पूर्ण पता नामालुम)
(4). मृदुल घोष पिता नामालुम, पता रमाकान्त मिस्त्री, मेन ग्राउण्ड लोर मुर्चीपरा स्कोयर बिल्डींग कोलकत्ता
(5). सौरभ आचार्या पदस्थ विप्रो कंम्पनी इंडिया के कंम्पलेन अटेन्डर
————— आरोपीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा
204, 311, 419, 420, 467, 468, 34 धारा, घटना स्थल बरगवाॅ जिला सिंगरौली मध्य प्रदे्श
घटना दिनांक 15/02/2013 से अब तक——
मान्यवर
निम्नांकित अपराधों पर उपरोक्त परिवाद पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा हैं:-
1. यह कि दिनांक 15 फरवरी 2013 को आरोपी क्रमांक 2 सुरेश महतो ने अपने मो0 नं0 09716218796 से मुझ परिवादी के मो0 नं0 पर फोन कर यह बताया था कि वि्प्रो कंम्पनी इंडिया लिमिटेड में स्थाई नौकरी के लिए जगह निकली हैं। जिसमें बीस हजार रु0 की सुरक्षा निधि मांगी गयी हैं, उसे तुम जमा करा दो, जिससे तुम्हारी नौकरी भी विप्रो कंम्पनी में लग जाये। उस समय मैं भी प्राइवेट कंम्पनी मे नौकरी करता था तथा आरोपी क्रमांक 2 भी प्राइवेट कंम्पनी में नौकरी करता था। हम लोग साथ में थे और जान पहचान होने के कारण आरोपी क्रमांक 2 द्वारा परिवादी के साथ कुट रचना की व अन्य आरोपीयों के साथ मिलकर करायी गयी हैं।
2. यह कि आरोपी क्रमांक 2 के कहने पर आरोपी क्रमांक 3 के एक्सिस बैंक एकांण्ट नं0 911010036113712 ब्रांच सिटी सेन्टर धनवाद के खाते में परिवादी द्वारा कार्ड ट्राॅन्सफर के माध्यम से (कार्ड नं0 4179170013338759 हैं) बीस हजार रु0 तीन ट्राॅन्सफर के माध्यम से दिनांक 19/02/2013 को 8500 रु0, 20/02/2013 को 1500 रु0 व 25/02/2013 को 10000 रु0 इस तरह परिवादी द्वारा आरोपी क्रमांक 2 के कहने पर आरोपी क्रमांक 3 के खाते मे 20000 रु0 की राषि ट्राॅन्सफर कर दी गयी। अतः आरोपी क्रमांक 2 व 3 आपस मे मिलकर उक्त घटना कारित कर रहे थे।
3. यह कि आरोपी क्रमांक 2 द्वारा पहले आरोपी क्रमांक 4 का आई0 सी0 आई0 सी0 आई0 बैंक का एकांउण्ट नं0 082401500489 (कलकत्ता) मे परिवादी को पैंसा जमा करने के लिए बताया गया था। बाद मे पुनः आरोपी क्रमांक 2 ने बताया कि उक्त सुरक्षा निधि अब तुम आरोपी क्रमांक 3 के एक्सिस बैंक एकांउण्ट नं0 911010036113712 ब्रान्च सिटी सेन्टर धनवाद के खाते में डाल दो। इसी बीच दिनांक 21 फरवरी 2013 को मृदुल घोष आरोपी क्रमांक 4 द्वारा परिवादी के मोबाइल पर फोन कर इन्टरब्यू लिया था।
दिनांक 24 फरवरी 2013 को मृदुल घोष आरोपी क्रमांक 4 द्वारा विपो कंम्पनी इंडिया लिमिटेड के ईमेंल-आईडी से परिवादी के ईमेंल-आईडी पर आॅफर लेटर भेज दिया गया। जिससे स्पष्ट है कि विप्रो कंम्पनी इंडिया लिमिटेड का मुख्य प्रबन्धक भी जो की परिवाद में आरोपी क्रमांक 1 सामिल हैं। अन्यथा उसकी कंम्पनी की ईमेंल-आईडी का दूसरा व्यक्ति कैसे इस्तेमाल कर सकता है। अतः आरोपी क्रमांक 4 विप्रो कंम्पनी का कर्मचारी था। जिसके र्काय कलाप की सम्पूर्ण जिम्मेदारी कंम्पनी प्रबन्धन की होती हैं। अतः आरोपी क्रमांक 4 का आरोपी क्रमांक 1 ने साथ दिया है।
4. यह कि आरोपी क्रमांक 3 व 4 के द्वारा मेरी नियुक्ति की बहुत सारी प्रक्रिया दिखायी गयी थी। पर परिवादी की नियुक्ति नहीं हुई। जिससे परिवादी द्वारा आरोपी क्रमांक 1 के कंम्पनी के कम्पलेंन बेव साईड मे अपनी नियुक्ति की सारी प्रक्रिया को भेज कर जानकारी मांगी गयी। जिससे कम्पलेंन बेव साईड से एक एस0एम0एस0 परिवादी को प्राप्त हुआ। जिसमे फेसबुक की एक लिंक, जिसमे आरोपी क्रमांक 3 पकडा दिखाया गया। और मुझे अपना मो0 नं0 मांगा गया परिवादी द्वारा अपना मो0 नं0 7771822877 दिया गया।
उक्त फोन पर कम्पलेंन अटेंन्डर सौरभ आचार्या से बात हुई। जिनका मो0 नं0 09051923234 इनके द्वारा परिवादी को यह बताया गया कि आरोपी क्र0 3 व 4 दोनो पुलिस द्वारा पकड लिए गये हैं। तथा वे जेल में हैं। पूछे जाने पर आरोपी क्र0 5 ने यह नही बताया कि किस राज्य की पुलिस ने इन्हें पकडा हैं। तथा वें कहाॅ के जेल में एवं आरोपी क्र0 5 ने कहा की मैं आरोपी क्र0 1 से बात कर लू तब आपको पूरी जानकारी दूॅगा। बाद मे उसने बताया की आरोपी क्र0 1 ने कोई भी जानकारी देने से मना किया हैं। अतः अपराधिक प्रकरण मे आरोपी क्र0 1 के साथ आरोपी क्र0 5 भी शामिल हैं।
आरोपी क्र0 5 ने कम्पलेंन बेव साईड मे एस0एम0एस के द्वारा दिए गये फेसबुक लिंक के द्वारा परिवादी को स्पष्ट बताया हैं, कि आरोपी क्र0 3 ने 200 से 500 बेरोजगार नौजवानों की विप्रो कंम्पनी में कार्य करते हुए। बेवकूफ बना कर पैसे धोखाधडी से लिये तथा आरोपी क्र0 5 ने यह भी स्वीकार किया हैं। कि आरोपी क्र0 4 ने 6000 बेरोजगारों को बेवकूफ बनाकर विप्रो कंम्पनी में नौकरी करते हुए तथा कंम्पनी का इस्तेमाल कर करोडो का घोटाला किया हैं। तथा ये लोग सन् 2006 से लगातार धोखाधडी कर पैंसे वसूलने का कार्य करते रहे हैं।
अतः स्पष्ट हैं, कि आरोपी क्र0 5 आरोपी क्र0 3 व 4 को अच्छे से जानता पहचानता हैं। जबकि आरोपी क्र0 3 व 4 कहीं पर बन्दी नही हैं। ऐसी दशा मे आरोपी क्र0 5 द्वारा 3 व 4 को बन्दी बताया गया। अतः उक्त धन के प्राप्ति हेतु आरोपी क्र0 5 द्वारा भी आरोपी क्र0 3 व 4 का सहयोग किया जाना स्पष्ट दिखाई देता हैं।
5. यह कि परिवादी द्वारा कहीं कार्यवाही न होने के कारण निराशा हो गयी। तब परिवादी द्वारा दिनांक 05/06/2015 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मे रीट पीटीशन फाइल की गयी। जिसमे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 03/08/2015 को निचली अदालत से प्रोसेस के लिए निर्देषित किया गया हैं। जिस की छाया प्रति परिवाद के साथ संलग्न हैं।
6. यह कि आरोपी गढ द्वारा अपनी समस्त ईमेंल-आईडी, कंम्पनी के कंम्पलेंन साइड के द्वारा हुए वार्तालाव एवं फोन नं0 को मिटाया गया हैं। अतः साक्ष्य मिटाना पूर्णतः प्रमाणित हैं।
7. यह कि उक्त परिवाद पत्र माननीय न्यायाालय के श्रवण क्षेत्राधिकार अन्तर्गत हैं। तथा उचित मूल्य का टिकट चस्पा किया गया है।
8. यह कि परिवाद पत्र के साथ साइबर क्राइम सेल कंम्पलेंन्ड की छाया प्रति, पुलिस अधिक्षक को दिये गये। आवेदन की छायाप्रति, सी0एस0पी0 विन्ध्यनगर सिंगरौली द्वारा दिये गये। परिवादी बयान की छायाप्रति संलग्न हैं।
अस्तु आवेदन पत्र पेश कर विनम्र हैं कि प्रार्थी परिवादी के समस्याओं को दृष्टिगत करते हुए परिवाद पत्र आरोपी गढ के विरुद्ध उचित संज्ञान लेते हुए पंजीबद्ध करने की दया की जाये जो न्यायहित में होगा।
संपर्क – गृह संख्या : 165, गांव – बरगवां , पोस्ट – डागा
जिला सिंगरौली (म0 प्र0) – 486886
फोन : 7771822877