- February 18, 2018
ज्ञान, संस्कार और समृद्ध परम्परा के केंद्र हैं गुरूकुल : कृषि मंत्री
झज्जर—– गुरूकुल ज्ञान , सस्ंकार और समृद्ध परपंरा के केंद्र हैं। गुरूकुल से निकल रही ज्ञान, संस्कार और समृद्ध परम्परा की रोशनी सदियों से हमारे समाज की अज्ञानता का अंधेरा दूर कर रही है।
गुरूकुल महाविद्यालय झज्जर के वार्षिक समारोह में रविवार को अपना संबोधन देते हुए प्रदेश के कृषि एंव किसान कल्याण,विकास एव ंपंचायत, पशु एवं मत्स्य, खनन एवं भूगर्भ विज्ञान मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने यह बात कही।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि गुरूकुल की शिक्षा छात्र को मालिक बनने की शिक्षा देती है, जबकि अंग्रेजी पद्धति की शिक्षा नौकर बनने की शिक्षा देती है। हमारे छात्रों को मालिक बनने की शिक्षा चाहिए, यह समय की जरूरत है।
कृषि मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि विदेशी ज्ञान सीमित है जबकि हमारे वेदों का ज्ञान असीमित है, और इनमें ठहराव नही है । वेदों का ज्ञान हमें जीवन में आगे बढ़कर अपने संस्कारों,परम्पराओं और विचारधारा से सीखने की सीख देता है। इसलिए हमें अपने ज्ञान पर गर्व और गौरव होना चाहिए।
गुरू कुल ज्ञान व संस्कार की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। गुरूकुल ज्ञान की भूमि हैं, संस्कार की भूमि हैं और गुरूकुल समृद्ध परम्पराओं को आगे बढ़ाने की भूमि है। गुरूकुल से निकले आर्यवीरों ने अंग्रेजी शासकों को बताया कि हमारी शिक्षा पद्धति दुनिया में सबसे बेहतर है। आर्य समाज ने आगे बढ़कर बताया कि हमारी शिक्षा पद्धति हमें मालिक बनने की शिक्षा देती है।
कृषि मंत्री श्री धनखड़ ने गुरूकुल महाविद्यालय को अपने ऐच्छिक कोष से 11 लाख रूपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनका जीवन गुरूकुल की शिक्षाओं से काफी प्रभावित रहा है। उनके दादाजी स्व.रूपचंद और पिताजी वैद्य मोहबत सिंह भी गुरूकुल से जुड़े रहे हैं।
श्री धनखड़ ने कहा कि उनके पिताजी वैद्य मोहबत सिंह ने झज्जर गुरूकुल महाविद्यालय में अपनी नेक कमाई से अपने पिताजी स्व. रूपचंद के नाम एक कमरा बनाने की बात कही है। यह कमरा स्व. रूपचंद जी के नाम से बनाया जाएगा। इसके लिए उनके पिताजी ने इस नेक कार्य के लिए एक लाख 51 हजार रूपये देने की भी घोषणा की है।
गुरूकुल प्रबंधन की मांग पर कृषि मंत्री श्री धनखड़ ने गुरूकुल महाविद्यालय में कौशल विकास केंद्र खुलवाने की भी बात कही।
इस अवसर पर गुरूकुल के आचार्य विजय पाल, राजबीर छिकारा, पूर्ण सिंह, उमेद सिंह, डा जगदेव,आनंद सागर,जिले सिंह, रामचंद शास्त्री, सुरेंद्र सिंह सहित काफी सख्यां में आर्यगण, प्रबुद्धजन तथा प्र्र्र्रशासन की ओर से बीडीपीओ इकबाल राठी भी उपस्थित रहे।