- September 24, 2017
जो बबूल नहीं बोया वह अब बबूल खा रहा है–शैलेश कुमार
बोयें पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाएं ? यह कहावत उल्टा पर गया। जो बबूल बोया वह आम खाया और जो बबूल नहीं बोया वह अब बबूल खा रहा है।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है
देश में जितने भी बबूल है सभी कांग्रेसियों ने बोये हैं।
प्रधानमंत्री पटेल को दरकिनार करते हुए मुँह के बल गिरे कांग्रेस और हतोत्साहित पंडित नेहरू ने बीजेपी को पहली वार कहा था की बीजेपी सांप्रदायिक पार्टी है.
राजनीतिक क्षेत्र में यही से भारत का मत विभाजन हुआ —हिन्दू और मुस्लिम।
इतना ही नहीं, संविधान के गीत गाने वाले कांग्रेसियों ने संविधान की आत्मा –प्रस्तावना को छेड़ते हुए —धर्मनिरपेक्ष जैसे विभाजनकारी शब्द को घुसेरा।
क्या ये छेड़छाड़, संविधान के विरुद्ध नहीं था ???
केरल के चुनाव में मुँह के बल गिरे कांग्रेस के प्रधानमंत्री ने –जनमत को ठुकराते हुए —राष्ट्रपति शासन लागू किया —क्या यह संविधान के विरुद्ध नहीं था।
नशबंदी के तीन दलाल -इंदिरा ,संजय और बंशीलाल –क्या यह हिन्दू धर्म के साथ भेदभाव नहीं था —कहाँ गया संविधान।
नेहरू के वंशज – —माँ -के मरणोपरांत –शांति प्रिय शासक -राजीव गाँधी ने सिख ह्त्या पर कहा था —बड़े पेड़ गिरने से छोटे तो टूटते ही है —–सिखों को किसने मारा –क्या यह संविधान के विरुद्ध था। क्या यह धर्म निरपेक्ष था। कांग्रेसियों और बूचखाना वालों ने धृष्टा की थी।
कांग्रेसियों ने देश को खंड -खंड बाँट कर सत्ता से बलात्कार करते रहे।
देश में समाज को दो धर्मो में बाँट कर अलग किया। हिन्दू -मुस्लिम।
फिर हिन्दुओं की एकता को खंडित करते हुए हिन्दुओं को जातियों में बाँट कर राज करती रही।
मुस्लिम को लैप ऑफ़ बॉयज घोषित किया।
छात्र यूनियन को राजनीतिकरण कर युवाओं को बडगलाते रही ।
चोर -चपाटे लेखकों को नियुक्त कर इतिहास की सच्चाई को बर्बाद कर दिया।
प्राचार्य से लेकर कुलपति जैसे प्रतिष्ठित पद पर लुच्चा -लम्पट लोगो को बहाल कर शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया।
मीडिया की पहली अवस्था विद्वतजन का था।
मीडिया में सेंधमारी की —- कुत्ते -बंदरो जैसे संपादको और पत्रकारों को बहाली करने पर व्यवस्थापक को मजबूर किया।
इस बंदर सम्पादक के माध्यम से व्यवस्थापक भी सत्ता की गलियारे में दूम हिलाने लगे।
आज बंगाल की जो हालात है वह ऐक्य भारत के लिए खतरनाक है। बंगाल के मुस्लिम चाइल्ड ऑफ़ ममता है।
70 वर्षों में भारत सबसे बडा विश्व बैंक का कर्जदार–104 बिलियन डालर.
31 दिसम्बर 2015,104 बिलियन डालर (इंटरनेशनल बैंक आफ रिकन्स्ट्रुक्शन डेवलपमेंट-54 बिलियन डालर,इंटरनेशनल डेवलपमेंट आफ एसोशियसन -50 बिलियन डालर) विश्व बैंक -73 बिलियन डालर.ब्राजील -58.8 बिलियन डालर,चीन से 55.6 बिलियन डालर,मैक्सिकों से-54 बिलियन डालर तथा इंडोनेशिया से 50.5बिलियन डालर.
जलमार्ग के लिये गंगा नदी और वनारस से हाल्दा मार्ग के लिये 12 अप्रैल 2017–375 बिलियन डालर का कर्ज.
भारत सरकार को असम सरकार के लिये 39.20 बिलियन डालर.
एक बांध बनाने के लिये छप्पन वर्ष का समय लगना—दुर्गम व्यवस्था ।
बाबाओं के तांडव तो देखते ही है किसने इस बाबा को बोया.
इसी सब काँटों से मोदी सरकार को जूझना पड़ रहा है — ।