- December 27, 2014
जैविक खेती इंसान और धरती की सेहत के लिए उपयोगी -कृषि मंत्री
जयपुर – कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य व कृषि विपणन मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने कहा है कि जैविक खेती न केवल इंसान के लिए बल्कि धरती की सेहत के लिए भी उपयोगी है। श्री सैनी ने कहा कि जैविक खेती किसान और धरती के बीच उस रिश्ते का एहसास कराती है, जिसमें सम्बंधों की बुनियाद महज व्यापार नहीं बल्कि प्यार है।
कृषि मंत्री श्री सैनी यहां राज्य कृषि प्रबंध संस्थान में राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक उत्पादन प्रमाणीकरण संस्था और उत्तराखंड राज्य बीज एवं जैविक उत्पादन प्रमाणीकरण संस्था के संयुक्त तत्वाधान में जैविक प्रमाणीकरण विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
श्री सैनी ने कहा कि यह चिंताजनक है कि जैविक खेती के मामले में हमारा देश ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमरीका से भी पीछे है। भारत में सदियों से जैविक खेती की जाती रही है, जबकि अन्य देशों में पिछले 20 वर्षों से जैविक खेती के प्रयास होने लगे हैं। देश में मात्र 8 प्रतिशत क्षेत्र में ही जैविक खेती होती है, जिसे बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है।
कृषि मंत्री श्री सैनी ने कहा कि आज उर्वरकों और रसायनकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, जमीन के अनुपजाउ बनने के खतरे पैदा होने लगे हैं। साथ ही बढ़ती लाइलाज बीमारियों जैसे कैंसर, ब्लड प्रेसर, हार्ट अटैक की वजह भी रासायनिक खेती है, जिसमें उर्वरक और रासायनिकों का भरपूर इस्तेमाल होता है।
उन्होंने कहा कि अगर हमने जैविक खेती का रास्ता अख्तियार नहीं किया, तो स्थितियां चिंताजनक हो जाएंगी। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे जैविक खेती करें। हालांकि शुरूआती चार वर्षों में उनके उत्पादन पर असर पड़ेगा, लेकिन उसके बाद में जमीन पर्याप्त उत्पादन देने लगेगी। उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार को एक प्रस्ताव भिजवाएंगे, जिसमें जैविक खेती करने वाले किसानों को चार वर्षों तक आमदनी की गारंटी दी जाए। साथ ही उन्होंने जैविक खेती के बीमा की जरूरत पर भी बल दिया।
श्री सैनी ने कहा कि प्रत्येक कृषि विश्वविद्यालय को एक गांव को जैविक खेती के लिए गोद लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में मोठ, कुल्थी, कैर और ग्वार का उत्पादन जैविक ही है लेकिन इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री सैनी ने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन में जैविक खेती पर अनुदान की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही गोशालाओं को जैविक खाद और पंचगव्य तैयार करने के लिए अनुदान दिया जाएगा। साथ ही इन्हें नरेगा से भी जोड़ा जाएगा।
श्री सैनी ने बताया कि अभी राज्य में केवल 5.99 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में ही जैविक खेती और 54 हजार 500 टन ही उत्पादन हो रहा है, जो की बहुत कम है। उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 2 करोड़ रुपये की लागत से ग्रो आउट टेस्टिंग लैब की शुरूआत की गई है।
इस अवसर पर आयुक्त कृषि व उद्यानिकी श्री कुलदीप रांका, राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक उत्पादन प्रमाणीकरण संस्था के निदेशक श्री मधुसूदन शर्मा, यूसोका की निदेशक श्रीमती दमयंती रावत सहित बड़ी संख्या में प्रशिक्षाणार्थी मौजूद थे।
वेबसाइट का किया लोकार्पण
कृषि मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने इस अवसर पर राजस्थान राज्य बीज एवं जैविक उत्पादन प्रमाणीकरण संस्था की नई वेबसाइट का भी लोकार्पण किया।
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