• November 21, 2015

जी-20 शिखर सम्मेलन : प्रधानमंत्री

जी-20 शिखर सम्मेलन : प्रधानमंत्री
मैं एक ज्यादा लचीली और खुली वैश्विक वित्तीय प्रणाली का निर्माण करने के लिए जी-20 के सफल प्रयासों की सराहना करता हूं। 

यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास और स्थिरता का एक आवश्यक आधार है।

भारत में सरकार तथा केंद्रीय बैंक वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र को आगे और मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं।

जब हम जी-20 में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर काम कर रहे हैं, मैं कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालना चाहता हूं।

हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ऊंची पूंजी आवश्यकताएं विकासशील देशों के बैंकिंग क्षेत्र के कामकाज और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बाधा नहीं बननी चाहिए।

दरअसल, प्रभावी पर्यवेक्षण और प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल से पूंजी आवश्यकताओं को कम किया जा सकता है।

बैंकिंग क्षेत्र ढांचे की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

आईएमएफ को कोटा आधारित संस्था बने रहना चाहिए और उधार देने वाले संसाधनों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।

मैं उम्मीद करता हूं कि अमेरिका में 2010 के सुधारों की संपुष्टि जल्द से जल्द पूरी कर ली जाएगी।

मैं तय समयसीमा के भीतर हमारे अनुमोदन के लिए आधार अपक्षरण एवं लाभ स्थानांतरण पैकेज (बेस इरोशन एंड प्रोफिट शिफ्टिंग पैकेज) सौंपने के लिए तुर्की की अध्यक्षता को बधाई देता हूं। मैं सूचना पहलों की स्वचालित अदला-बदली का स्वागत करता हूं और इसे लागू करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का इंतजार कर रहा हूं।

भारत में, मेरी सरकार ने भ्रष्टाचार और काले धन पर शून्य सहिष्णुता रखी है। हमने अघोषित संपत्ति और विदेशों में रखी आय से निपटने के लिए एक नया कानून बनाया है। हमने कई द्विपक्षीय कर संधियां भी की हैं।

हमने घरेलू काले धन के खिलाफ भी एक प्रभावी अभियान शुरू कर दिया है। हम जल्द ही सार्वजनिक खरीद पर एक कानून लाएंगे।

अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत करने के लिए सभी देशों के साथ कर की सूचना की स्वचालित अदला-बदली पर आधारित साझा रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड लागू किया जाना चाहिए।

जी-20 को भ्रष्टाचार का मुकाबला करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

मैं निजी क्षेत्र में पारदर्शिता और अखंडता को बढ़ावा देने का स्वागत करता हूं।

हमें अवैध धन को उसके मूल देश में वापस लाने के लिए अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। हमें अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता की बाधाओं और जटिल कानूनी एवं नियामक ढाँचे पर भी काम करना चाहिए।

हमें लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी वित्तपोषण उपकरणों के जरिए आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ सहयोग को गहरा करना चाहिए।

एफएटीएफ की देशों पर आधारित विशेष रिपोर्टों को साझा किया जाना चाहिए और एफएटीएफ को दोषयुक्त देशों के साथ काम करने के लिए एक तंत्र पर काम करना चाहिए।

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