जी.आई.जेड.: पर्यावरणीय सरंक्षण के लिये अतिरिक्त अनुदान: भरमौरी

जी.आई.जेड.: पर्यावरणीय सरंक्षण के लिये अतिरिक्त अनुदान: भरमौरी

हिमाचल प्रदेश —————    वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने नई दिल्ली में पारिस्थितकीय संतुलन एवं जैव-विविधता के महत्व पर आयोजित एक कार्यशाला में भाग लेते हुए वनों का संरक्षण और पूरे उत्तरी क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय सेवाएं बनाए रखने के एवज् में प्रदेश को अतिरिक्त अनुदान राशि प्रदान करने का मुद्दा उठाया। जी.आई.जेड. के सहयोग से आयोजित इस राष्ट्र स्तरीय कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि तथा विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक पग उठाए गए है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हरे वृक्षों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे प्रदेश की बहुमूल्य वन सम्पदा का संरक्षण संभव हो सका है।

उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से न केवल हिमाचल प्रदेश को लाभ पंहुचा है बल्कि पूरे उत्तरी राज्यों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हिमाचल को इन सेवाओं के एवज में संसाधन की भरपाई के लिए अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करवाई जाए।

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण पेश आ रही चुनौतियों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए श्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण सम्बंधी समस्याओं से निपटने के लिए अनेक परियोजनाएं आरम्भ की हैं जिसमें जर्मन बैंक (ज्ञॅि) के सहयोग से कांगड़ा व चम्बा जिलों के लिए आरम्भ की गई 316 करोड़ की परियोजना प्रमुख है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस परियोजना से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने, जैव विविधता को बढ़ाने तथा स्थानीय लोगों को आजीविका कमाने के अवसर मिल सकेंगे।

प्रदेश में पर्यावरण सेवाओं के मूल्यांकन तथा वनों की निगरानी के उद्देश्य से आरम्भ की गई 38 करोड़ रूपए की जी.आई.जेड. नामक एक अन्य परियोजना का उल्लेख करते हुए वन मंत्री ने कहा कि इन सभी प्रयासों से प्रदेश को हरा-भरा बनाये रखने में और भी सहयोग मिलेगा।

राज्य में बंदरों व आवारा पशुओं के बढ़ते आतंक पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए वन मंत्री ने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए हालांकि राज्य सरकार प्रयास कर रही है, परन्तु इसमें केन्द्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने विशेषज्ञों से आग्रह किया कि इस सम्बंध में अगर उनके पास कोई सुझाव हो तो राज्य सरकार उन पर कार्य करने को तैयार है। उन्होंने प्रदेश में फैल रहे लैनटाना घास की समस्या का मुद्दा भी उठाया।

कार्यशाला में वन विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री केवल सिंह पठानिया तथा वन विभाग के मुख्य निदेशक परियोजना डा. सुरेश, निदेशक परियोजना श्री पुष्पेन्द्र राणा तथा अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया ।

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