जीएसडीपी के 3 की जगह 4 प्रतिशत तक कर्ज लेने का प्रावधान करें केन्द्र—– उपमुख्यमंत्री

जीएसडीपी के 3 की जगह 4 प्रतिशत तक कर्ज लेने का प्रावधान करें केन्द्र—– उपमुख्यमंत्री

पटना —— उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वर्तमान आर्थिक सुस्ती के मद्देनजर खपत बढ़ाने व मांगो ंको प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार से राज्य सकल घरेलु उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 की जगह 4 प्रतिशत तक कर्ज लेने की राज्यों को अनुमति देने की मांग की है।

इसके साथ ही पूर्व के वर्षों में लिए गए राष्ट्रीय लघु बचत ऋणों को समय पूर्व चुकाने या ब्याज दर कम करने, खुले बाजार से कर्ज लेने की साल के शुरू में ही अनुमति देने व अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं से डाॅलर की जगह भारतीय मुद्रा में कर्ज उपलब्ध कराने की भी मांग की है।

श्री मोदी ने बताया कि जीएसडीपी के 3 प्रतिशत तक कर्ज लेने की बाध्यता के कारण 2019-20 में बिहार 18,515 करोड़ का कर्ज ले पायेगा, अगर 4 प्रतिशत तक का प्रावधान हो तो 6,171 करोड़ अतिरिक्त के साथ 24,686 करोड़ का कर्ज ले सकेगा, जिससे पूंजीगत व्यय बढ़ेगा, निर्माण कार्य मंे तेजी आएगी और इसका असर बाजार की मांग में बढ़त के रूप में सामने आएगा।

पूर्व के वर्षों में राष्ट्रीय लघु बचत (एनएसएसएफ) से लिए गए 19,630 करोड़ के कर्ज पर राज्य सरकार को 9.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ रहा है जबकि अन्य स्रोतों से लिए गए कर्जों की औसत ब्याज दर मात्र 6.7 प्रतिशत ही है।

केन्द्र या तो राज्य को लघु बचत से लिए गए कर्जों को समय से पूर्व वापस (Pre Payment) करने की अनुमति दें या उसकी ब्याज दर को घटा कर 7 फीसदी करें।

खुले बाजार से कर्ज लेने की सीमा और समय वित्त मंत्रालय तय करता है। अमूमन प्रारंभ के 9 महीने में तो 75 प्रतिशत तय कर्ज को लेने की अनुमति मिल जाती है, मगर आखिरी तिमाही के 25 प्रतिशत शेष कर्जों की अनुमति देने में वह आनाकानी करता है।

नतीजतन 2018-19 में बिहार को 19,184.35 करोड़ की जगह मात्र 14,300 करोड़ ही मिला। इसलिए खुले बाजार से कर्ज लेने की एकमुश्त अनुमति प्रारंभ में ही राज्य को दिया जाए।

अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से राज्यों को डाॅलर की जगह भारतीय मुद्रा में कर्ज दिलाने का केन्द्र सरकार प्रावधान करें। वर्षों पूर्व डाॅलर मेें लिए गए कर्ज की वापसी डाॅलर में करने के प्रावधान से उसके मूल्य में बढ़ोत्तरी होने से राज्यों को अतिरिक्त भार उठाना पडता़ है।

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