जीएसटी ‘एक राष्‍ट्र-एक कर’ है‘— एक ‘नया भारत’ उभर रहा है—प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी

जीएसटी ‘एक राष्‍ट्र-एक कर’ है‘—  एक ‘नया भारत’ उभर रहा है—प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी

नई दिल्ली (पीआईबी)—————-प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा, ‘एक ‘नया भारत’ उभर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो सभी के लिए आर्थिक अवसर, ज्ञान अर्थव्‍यवस्‍था, समग्र विकास और अत्‍याधुनिक, सुदृढ़ एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे के स्‍तम्‍भों पर टिका हुआ है।’

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प्रधानमंत्री ने कहा कि एशियन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक और इसके सदस्‍यों के साथ अपनी सहभागिता बढ़ाने का यह अवसर पाकर हमें काफी खुशी हो रही है।

एशियन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने जनवरी 2016 में वित्त पोषण से संबंधित अपना परिचालन शुरू किया था। तीन वर्षों से भी कम अवधि में इसके कुल मिलाकर 87 सदस्‍य हो गए हैं।

श्री नरेन्‍द्र मोदी ने यह भी कहा, ‘100 अरब डॉलर की प्रतिबद्ध पूंजी और सदस्‍य देशों में बुनियादी ढांचे की अत्‍यधिक जरूरत को ध्‍यान में रखते हुए मैं इस अवसर पर एआईआईबी से 4 अरब डॉलर के वित्त पोषण को वर्ष 2020 तक बढ़ाकर 40 अरब डॉलर और वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर के स्‍तर पर पहुंचाने का आह्वान करता हूं।’

आज मुम्‍बई में एशियन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्‍वेस्‍टमेंट बैंक (एआईआईबी) की तीसरी वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा,

हमने निवेशक को ऐसा माहौल प्रदान किया है जो प्रभावशाली, पारदर्शी, विश्‍वसनीय और अपेक्षित है। भारत दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक है। निवेशक विकास एवं वृहद आर्थिक स्थिरता की उम्‍मीद कर रहे हैं।

एआईआईबी के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा, ‘भारत और एआईआईबी दोनों ही आर्थिक विकास को और ज्‍यादा समावेशी एवं टिकाऊ बनाने के लिए अत्‍यंत प्रतिबद्ध हैं। भारत में हम बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए अनूठे पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर डेट फंड और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर इन्‍वेस्‍टमेंट ट्रस्‍ट को अपना रहे हैं।’

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश के लिए मौजूदा (ब्राउनफील्‍ड) परिसम्‍पत्ति‍यों को एक अलग परिसम्‍पत्ति वर्ग के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहा है। भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण एवं वन मंजूरियों के चरण को पार कर चुकी इस तरह की परिसम्‍पत्ति‍यां अपेक्षाकृत जोखिम मुक्‍त होती हैं। अत: इस तरह की परिसम्‍पत्ति‍यों के लिए पेंशन, बीमा और सॉवरेन वेल्‍थ फंडों की ओर से संस्‍थागत निवेश आने की प्रबल संभावना है।

एआईआईबी ने लगभग दो वर्षों की अल्‍प अवधि में ही 4 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक राशि के कुल वित्त पोषण के साथ एक दर्जन देशों में 25 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शुमार किए जाने वाला भारत वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में एक चमकीले देश के रूप में उभर कर सामने आया है।

उन्‍होंने कहा कि 2.8 लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर के आकार के साथ भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। भारत क्रय क्षमता समतुल्‍यता (पीपीपी) की दृष्टि से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 7.7 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार राजकोषीय सुदृढ़ता के मार्ग पर चलने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध है। जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) के प्रतिशत के रूप में सरकारी ऋण बोझ निरंतर कम होता जा रही है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हमारे देश द्वारा लागू किए गए सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण प्रणालीगत सुधारों में से एक है। यह ‘एक राष्‍ट्र-एक कर’ के सिद्धांत पर काम करता है। इसके फलस्‍वरूप टैक्‍स पर टैक्‍स लगाने की गुंजाइश कम हो गई है, पारदर्शिता बढ़ गई है और लॉजिस्टिक्‍स दक्षता भी बढ़ गई है। इन सभी की बदौलत निवेशक के लिए भारत में बिजनेस करना आसान हो गया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारतीय बाजार के विशाल आकार एवं विकास में अपार संभावनाएं हैं। पिछले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्‍यक्ति आय दोगुनी हो गई है। भारत में 300 मिलियन से भी अधिक मध्‍यमवर्गीय उपभोक्‍ता हैं। अगले 10 वर्षों में यह संख्‍या दोगुनी हो जाने की आशा है।’
केन्‍द्रीय रेल, कोयला, वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2022 तक के पांच वर्षों की अवधि‍ में भारत को ऊर्जा, परिवहन एवं शहरी विकास के क्षेत्र में 750 अरब अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी और हमने वर्ष 2018-19 में 90 अरब अमेरिकी डॉलर के बुनियादी ढांचागत व्‍यय का बजट रखा है। उन्‍होंने कहा कि एआईआईबी इस आवश्‍यकता की पूर्ति में एक महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ होगा।

एआईआईबी के प्रेसीडेंट श्री जिन लिक्‍यून ने कहा कि अभी से लेकर वर्ष 2030 तक की अवधि में बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में एशियाई निवेश को बढ़कर दो ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक अथवा विगत आंकड़ों के मुकाबले लगभग तीन गुना अवश्‍य ही हो जाना चाहिए।

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