• September 18, 2019

जिम्मेदारी अधिकारियों को सोते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती —इलाहाबाद हाईकोर्ट

जिम्मेदारी अधिकारियों को सोते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती —इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने सामान्य समादेश जारी करते हुए राज्य के मुख्य सचिव और गन्ना आयुक्त, उत्तर प्रदेश को एक माह में सभी किसानों के बकाये का भुगतान 15 फीसदी ब्याज के सहित भुगतान कराने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने किसान जयपाल सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है.

जिम्मेदारी अधिकारियों को सोते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती

हाईकोर्ट ने कहा है कि कंट्रोल ऑर्डर के तहत गन्ना खरीद से 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान किए जाने का नियम है. यदि 14 दिन में भुगतान नहीं होता तो उस पर 15 फीसदी ब्याज देना होगा. इस सख्त नियम के बावजूद किसानों को गन्ना मूल्य के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे है. कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा है कि जिन अधिकारियों पर गन्ना भुगतान की जिम्मेदारी है, उन्हें सोते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती. गन्ना मूल्य का भुगतान न करना न केवल किसानों का उत्पीड़न है, बल्कि उन्हें अनावश्यक मुकदमेबाजी में धकेलना है. अधिकारियों और गन्ना मिलों के कदाचार को रोकने के लिए बकाये गन्ना मूल्य का तुरंत भुगतान कराया जाना जरूरी है.

हाईकोर्ट ने साथ ही दी है ये चेतावनी

हाईकोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया जाता तो इसे जवाबदेह अधिकारी की कोर्ट के प्रति जवाबदेही होगी. कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति मुख्य सचिव और गन्ना आयुक्त लखनऊ को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने याचियों के बकाये का भुगतान मय ब्याज के 15 दिन में किये जाने का निर्देश दिया है. याचियों का एक लाख 60 हजार 660 रूपये और एक लाख 1814 रूपये चीनी मिल पर बकाया है. किसानों को भुगतान नहीं किया गया और किसानों द्वारा बैंक से लिए गए लोन की वसूली का दबाव डाला जा रहा है. जिस पर उन्होंने गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी. याचिका पर वीबी यादव और गन्ना समितियों की तरफ से वकील रवींद्र सिंह और राज्य सरकार की तरफ से आलोक सिंह ने पक्ष रखा.

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