जापानीज इंसेफेलाइटिस प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के निर्देश

जापानीज इंसेफेलाइटिस प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के निर्देश

रायपुर———स्वास्थ्य विभाग ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को जापानीज इंसेफेलाइटिस के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी स्वास्थ्य शिविर लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्हें डॉक्टरों की, और पैरामेडिकल टीम गठित करने कहा गया है।

संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी ने जापानीज इंसेफेलाइटिस को लेकर पूरी सावधानी बरतने और पीड़ितों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में इसकी जांच की सुविधा है। आरोग्य सेवा टोल फ्री नंबर 104 पर फोन कर इस संबंध में और भी जानकारी ली जा सकती है। उन्होंने जापानीज इंसेफेलाइटिस के संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है।

संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा जारी एडवाइजरी में सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों जहां विगत वर्षों में जापानीज इंसेफेलाइटिस के मामले सामने आए हैं, उन क्षेत्रों का लगातार भ्रमण करें और निगरानी रखें। उन्होंने घरों में जाकर मच्छर पनपने वाले स्रोतों को नष्ट करने तथा आसपास के जलस्रोतों का निरीक्षण कर लार्वा नष्ट करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने लोगों से संपर्क कर जापानीज इंसेफेलाइटिस से बचाव के बारे में जागरूक करने कहा है।

एडवाइजरी में लोगों को जापानीज इंसेफेलाइटिस के कारणों, लक्षणों, जरूरी सावधानियों और उपचार के बारे में जानकारी दी गई है। मस्तिष्क ज्वर संक्रमित मादा क्यूलेक्स विष्णुई (Culex Vishnui) प्रजाति के मच्छर के काटने से जापानीज इंसेफेलाइटिस के वायरस का संक्रमण होता है। सही समय पर इलाज से यह ठीक हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर एक से 15 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चों को प्रभावित करता है।

यदि किसी को पांच से सात दिन तक बुखार, शरीर में ऐंठन, झटके आना, मानसिक बदलाव, मांसपेशियों में कमजोरी, प्रगाढ़ बेहोशी या मूर्छित होने की शिकायत है तो यह जापानीज इंसेफेलाइटिस हो सकता है। इस तरह के लक्षण होने पर नजदीक के शासकीय अस्पताल जाकर खून की जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह लें।

तेज बुखार होने पर मरीज के शरीर को साफ पानी से बार-बार पोंछते रहें। यदि मरीज पूरी तरह से होश में न हो तो कोई भी चीज जैसे पानी, भोजन आदि मुंह में न डालें। यदि मुंह से झाग या लार बार-बार निकल रहा हो तो कपड़े से मरीज का मुंह साफ करते रहें।

झटका आने पर दांतों के बीच कपड़े का एक गोला बनाकर रखा जा सकता है जिससे कि जीभ न कटे। स्वास्थ्य केन्द्र ले जाते समय मरीज को एक करवट लिटाएं। बेहोश मरीज को पीठ के बल न लिटाएं। उन्हें शरीर को पूरी तरह से ढंकने वाली पोशाक पहनाएं।

स्वास्थ्य विभाग ने आम लोगों से अपील की है कि वे घर के आसपास गंदा पानी जमा न होने दें। इधर-उधर कूड़ा-कचरा व गंदगी न फैलाएं। खुले मैदानों और खेतों में शौच न करें। तालाब या पोखर के पानी को नहाने और मुंह धोने के लिए इस्तेमाल न करें। तालाब और पोखर के पानी में जलकुंभी या अन्य पौधे पैदा न होने दें। सुअर आदि को घर से दूर रखें।

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