• March 17, 2015

जाट आरक्षण रद्द – जाटों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में शामिल करना उचित नहीं – सुप्रीम कोर्ट

जाट आरक्षण रद्द – जाटों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची में शामिल करना उचित नहीं – सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण कोटे में शामिल करने के लिए पूर्व यूपीए सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना को मंगलवार को निरस्त कर दिया। इस फैसले से अब 9 राज्‍यों में जाटों को आरक्षण नहीं मिलेगा। supreme-court-

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाट जैसी राजनीतिक रूप से संगठित जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करना अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सही नहीं है। न्यायालय ने ओबीसी पैनल के उस निष्कर्ष पर ध्यान नहीं देने के केंद्र के फैसले में खामी पाई जिसमें कहा गया था कि जाट पिछड़ी जाति नहीं है। गौर हो कि लोकसभा चुनाव से पहले यूपीए सरकार ने जाट आरक्षण पर अधिसूचना जारी की थी। दिल्‍ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्‍तराखंड, बिहार, गुजरात समेत 9 राज्‍यों में आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी।

न्यायमूर्ति तरूण गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा कि हम केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में जाटों को शामिल करने की अधिसूचना निरस्त करते हैं। पीठ ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उस निष्कर्ष की अनदेखी करने के केंद्र के फैसले में खामी पाई जिसमें कहा गया था कि जाट केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल होने के हकदार नहीं हैं क्योंकि वे सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग नहीं हैं।

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