जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और नाबार्ड के मध्‍य समझौता

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और नाबार्ड के मध्‍य समझौता

दिल्ली —–(जल संसाधन मंत्रालय)—— केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि पूरे देश में त्‍वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत 99 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को तेजी से लागू करने के लिए अगले चार वर्षों के दौरान बाजार से 77000 करोड़ रुपये जुटाये जायेंगे।

पीएमकेएसवाई के अधीन 99 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए केन्‍द्रीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और नाबार्ड के मध्‍य समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर करने के समारोह के अवसर पर सम्बोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि 56 एआईबीपी परियोजनाओं के अंतर्गत देश के 18 राज्‍यों के सभी सूखा प्रभावित जिलों को शामिल किया जायेगा। उन्‍होंने यह उम्‍मीद जाहिर की कि नियमित निगरानी से सरकार इन 99 परियोजनाओं को समय से पहले पूरा करने में सक्षम हो जायेगी।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्‍यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष अरविंद पनगढ़िया, तेलंगाना के जल संसाधन मंत्री श्री टी हरीश राव, छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री श्री गिरीश महाजन और जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव श्री शशि शेखर ने भी इस अवसर पर संबोधित किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जुलाई 2016 को 99 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को पूरा करने और नाबार्ड के माध्यम से धन की व्यवस्था के लिए एक मिशन की स्‍थापना को अपनी मंजूरी दी थी।

केन्द्र सरकार ने देश में प्रमुख/ मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के लिए केन्द्रीय सहायता प्रदान करने के लिए त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम की वर्ष 1996-97 में शुरूआत की थी। इसका उद्देश्‍य ऐसी परियोजनाओं को लागू करने में तेजी लाना था जो राज्‍यों के संसाधन क्षमता से बाहर हैं या समाप्ति के अंतिम चरण में हैं।

उन परियोजना को प्राथमिकता दी गई जो पांचवीं योजना अवधि से पहले या इस योजना अवधि में शुरू की गई थी। एआईबीपी की शुरुआत से लेकर अब तक वित्तीय व्‍यवस्‍था के लिए 297 सिंचाई/बहुउद्देशीय परियोजनाओं को इसके तहत शामिल किया गया।

इन परियोजनाओं से 24.39 लाख हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई संभावनाओं का सृजन हुआ और इस योजना के तहत राज्‍यों को 31 मार्च, 2015 तक 67539.52 करोड़ रुपये की सकल केन्‍द्रीय ऋण सहायता /अनुदान उपलब्‍ध कराया गया। इस कार्यक्रम से 25 राज्‍यों को लाभ पहुंचा।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की 2015-16 के दौरान शुरुआत की गई। इसका उद्देश्‍य खेतों पर पानी की वस्‍तुगत पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के अधीन कृषि योग्‍य क्षेत्र का विस्‍तार करना, खेत जल उपयोग निपुणता में सुधार लाना, सतत जल संरक्षण प्रणालियों की शुरुआत आदि करना था।

2015-16 के दौरान एआईबीपी के तहत परियोजना के लिए 2327.82 करोड़ रुपये की केन्‍द्रीय सहायता और सीएडीडब्‍ल्‍यूएम, एसएनवाई और जल निकायों के आरआरआर के अधीन परियोजना के लिए तथा 1905.8 करोड़ रुपये की सीए राशि जारी की गई। इस प्रकार पीएमकेएसवाई (एआईबीपी और एचकेकेपी) के लिए 2015-16 के दौरान कुल 4233.63 करोड़ रुपये की सीए जारी की गई।

पीएमकेएसवाई-एचकेपीपी के अधीन परियोजनाओं को लागू करने से संबंधित मुद्दों पर छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री श्री बृज मोहन अग्रवाल के नेतृत्‍व वाली समिति में विचार-विमर्श किया गया। संबंधित राज्‍यों द्वारा समिति को दी गई जानकारी के अनुसार 2019-20 तक 99 परियोजनाओं की पूरा करने के लिए पहचान की गई है।

23 परियोजनाओं (प्राथमिकता-1) की पहचान 2016 तक पूरी करने के लिए की गई है और 31 अन्‍य परियोजनाओं (प्राथमिकता-2) की 2017-18 तक पूरा करने की पहचान की गई है। बकाया 45 परियोजनाओं (प्राथमिकता-3) की दिसम्‍बर 2019 तक पूरा करने की पहचान की गई है।

परियोजनाओं के अधूरा रहने के प्रमुख कारणों में एक कारण संबंधित राज्‍य सरकारों द्वारा धन का आवश्‍यक प्रावधान न करना था। जिसके परिणामस्‍वरूप इन परियोजनाओं पर व्‍यय की गई बड़ी राशि फंस गई और परियोजना के निर्माण के समय की गई लाभ की कल्‍पना को प्राप्‍त नहीं किया जा सका। यह चिंता का कारण था इसलिए इस स्थिति में सुधार लाने के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहल किये जाने की जरूरत थी।

पहचान की गई सभी 99 परियोजनाओं के लिए आवश्‍यक कुल धनराशि 77595 करोड़ रुपये (परियोजना कार्यों के लिए 48546 करोड़ रुपये और सीएडी कार्यों के लिए 29049 करोड़ रुपये) तथा 31342 करोड़ रुपये की अनुमानित सीए के साथ व्‍यय होने का अनुमान लगाया गया। इन परियोजनाओं के माध्‍यम से संभावित उपयोग 76.03 लाख हेक्‍टेयर होने का अनुमान है।

वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक (अनुमोदित परिव्‍यय के अनुसार) उपलब्‍ध किये जाने वाला परिव्‍यय लगभग 11060 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जिसमें से 2327.82 करोड़ रुपये की राशि एमएमआई परियोजनाओं के लिए जारी की जा चुकी है। बकाया 8732.18 करोड़ रुपये की राशि को बजटीय सहायता के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराया जायेगा। हालांकि इन 99 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए निर्धारित प्रावधान से कहीं अधिक धनराशि की जरूरत पड़ेगी।

वित्त मंत्री ने 2016 के दौरान अपने बजटीय भाषण में 20 हजार करोड़ रुपये की आ‍रम्भिक निधि से नाबार्ड में समर्पित दीर्घकालिक सिंचाई कोष (एलटीआईएफ) का सृजन करने की घोषणा की थी और 12517 करोड़ रुपये की राशि बजटीय संसाधनों और बाजार उधारी के रूप में 2016-17 के दौरान उपलब्‍ध कराई गई है।

बजटीय अवरोधों को ध्‍यान में रखते हुए वर्षवार आवश्‍यकता के अनुसार नाबार्ड से केन्‍द्रीय हिस्‍सा/ सहायता (सीए) को उधार लेने का निर्णय लिया गया है जिसका तीन वर्ष की रियायती अवधि रखते हुए 15 वर्ष की समावधि में वापस भुगतान किया जायेगा।

केन्‍द्रीय स्‍तर पर योजना को मंजूरी दी गई और इन परियोजनाओं को एक मिशन के रूप में पूरा किया जायेगा। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में एक मिशन निर्देशक के रूप में अपर सचिव /विशेष सचिव को शामिल करके एक मिशन स्‍थापित किया गया है।

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