- November 21, 2014
जल संरक्षण को जनता का अभियान बनाया जाए – चौधरी बिरेन्द्र सिंह
नई दिल्ली – केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंजायती राज, पेयजल और स्वच्छता मंत्री चौधरी बिरेन्द्र सिंह ने कहा है कि वर्ष 2015 के मॉनसून से पहले सभी राज्यों को अग्रिम तैयारियां कर लेनी चाहिए, ताकि इन कुछ महीनों में सर्वहित को ध्यान में रखते हुए भरपूर मात्रा में जल संग्रहण किया जा सके। वे आज नई दिल्ली में जल संरक्षण एवं गाद रहित रोधक बांध निर्माण पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के पश्चात सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह विचार बहुत ही व्यावहारिक है कि देश में तालाबों, पोखरों और रोधक बांधों की जल संग्रहण क्षमता में समय रहते और अग्रिम तैयारियों से काफी इजाफा किया जा सकता है। इससे दो महत्वपूर्ण बाते होंगी- एक तो जल भंडारण में खासी वृद्धि होगी और साथ ही स्थानीय स्तर पर बाढ़ के खतरे से भी बचा जा सकेगा। यह कार्यशाला 2015 के मॉनसून के लिए जल संग्रहण में वृद्धि की योजना की प्रक्रिया की शुरूआत के मद्देनजर आयोजित की गई है।
चौधरी बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि जल संरक्षण और संग्रहण बड़े पैमाने पर लोगों का एक अभियान बन जाना चाहिए। समाज के सभी वर्गों को कुशलतापूर्वक जल संरक्षण के लिए आपसी समन्वय से काम करना चाहिए। कुशल और वैज्ञानिक जल संरक्षण देश में पानी के सदुपयोग की दिशा में पहला क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि समानता और टिकाऊपन बनाए रखने के लिए कृषकों सहित समाज के अन्य वर्गों की भूमि संरचना के मुताबिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जमीनी स्तर पर योजना बनाने की आवश्यकता है।
श्री चंडी प्रसाद भट्ट, श्री सुरेश थानापुरकर, श्री राजेन्द्र सिंह, श्री पोपट राव पवार और गुजरात से श्री प्रेमजी भाई सहित सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए चौधरी बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि ये लोग हमारे ही बीच के हैं, जिनसे हम जल संरक्षण को जनता का अभियान बनाने और पर्यावरण के लिए काफी कुछ सीख सकते हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि विश्व में कुछ ही देश ऐसे हैं, जो भारत की तरह जल के मामले में भाग्यशाली हैं। हालांकि देश के बहुत से हिस्सों में सिंचाई और पेयजल की भारी किल्लत है। यदि जल्द ही सही कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। पानी की कमी का मुख्य कारण जल का असमान वितरण, नाकाफी उपयोग और लोगों में जागरूकता की कमी है। हमारे जल उपयोग के तौर-तरीकों से भी जल गुणवत्ता में कमी आई है। हम सब जानते हैं कि देश में बेहतर स्वच्छता के लिए पानी की उपलब्धता पहली जरूरत है।
सिंचाई के लिए भूमि के ऊपर उपलब्ध जल की बजाय भू-गर्भ जल का प्रति वर्ष बढ़ता प्रयोग देश के कुछ इलाकों में खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। भारत की सिंचाई आवश्यकता का दो तिहाई (66 प्रतिशत) हिस्सा और घरेलू आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत हिस्सा भू-गर्भ जल स्रोत से प्राप्त होता है। योजना आयोग ने भी भू-गर्भ जल मानचित्रों के आधार पर एक टिकाऊ और भागीदारी प्रक्रिया का आह्वान किया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जलोत्सारण पुनर्नवीकरण और भू-गर्भ जल को रिचार्ज करने के लिए बड़े पैमाने पर एक कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया गया है। मनरेगा जलोत्सारण पुनर्नवीकरण का हमारा सबसे बड़ा कार्यक्रम है।