जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी : राज्यपाल

जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी : राज्यपाल

शिमला (हि०प्र०) ————राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि मौजूदा जलवायु परिवर्तन की परिस्थितियों को देखते हुए जल संरक्षण हर व्यक्ति का सामाजिक दायित्व बन गया है और इसके लिए हमें सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

राज्यपाल आज बिलासपुर जिले के घुमारवीं में संस्कार सोसाईटी द्वारा आयोजित जल संरक्षण जागरूकता अभियान और पारम्परिक तकनीक प्रोत्साहन पुरस्कार कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस परिस्थिति के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। हमने वनों की कटाई की, प्लास्टिक के उत्पादों का जमकर उपयोग किया और रसायनिक खादों से जमीन को बंजर बना दिया। जिसके परिणामस्वरूप, प्रदूषण बढ़ा और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने मैगससे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेन्द्र सिंह, जिन्होंने जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने का अद्भुत कार्य किया है, के सहयोग से प्रदेश में जल संरक्षण साक्षरता अभियान आरम्भ किया है, जिसे प्रदेश भर में चलाया जाएगा और इसके लिए आम लोगों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि हर कार्य के लिए सरकार पर निर्भर न रहें बल्कि सामुहिक प्रयासों से विकास कार्य करें।

उन्होंने सोसाईटी को पारम्परिक व्यवस्था को जीवित रखरने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने संस्था को अपने सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक लाख रुपये देने की घोषणा की।

इस अवसर पर, राज्यपाल ने शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को अपनाने तथा भारतीय नस्ल की गाय को हर घर तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि व्यवहारिकता को जीवन का आधार बनाएं।

उन्होंने युवाओं को नशे की प्रवृति से बचाने, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करने का आग्रह किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर विशेष क्षेत्र में काम करने वाले सात व्यक्तियों को पारम्परिक तकनीकी प्रोत्साहन पुरस्कार भी वितरित किए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बागवानी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डॉ हरिचंद शर्मा ने कहा कि पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर सीमेंट की अधोसंरचना विकसित करने से यह जल इकाइयां सूख रही हैं। उ

उन्होंने कहा कि नौणी विश्वविद्यालय में राज्यपाल के निर्देशानुसार जल संरक्षण के लिए चैकडैमों का निर्माण किया जा रहा है। हर 250 मीटर की दूरी पर ऐसे पांच डैम विकसित किए जा रहे हैं ताकि जल स्तर को बढ़ाया जा सके।

उन्होंने वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नवीन तकनीक के साथ जल संरक्षण किया जाना चाहिए और इस कार्य में हर व्यक्ति को सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने प्राकृतिक कृषि को अपनाने पर भी बल दिया तथा कहा कि इसमें कम पानी का उपयोग होता है।

पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, नगर परिषद के पार्षद, जिला प्रशासन के अधिकारी तथा गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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