• October 26, 2019

जल-जीवन-हरियाली अभियान—-बिहार में पर्यावरण संकट नही लेकिन जलवायु परिवर्तन के असर—मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार

जल-जीवन-हरियाली अभियान—-बिहार में पर्यावरण संकट नही लेकिन  जलवायु परिवर्तन के असर—मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार

पटना-:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में जल-जीवन-हरियाली अभियान अन्तर्गत 1359.27 करोड़ रुपए की 32,781 योजनाओं का शिलान्यास एवं 291.27 करोड़ रुपए की 2,391 योजनाओं का उद्घाटन रिमोट के माध्यम से किया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज
जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का षिलान्यास एवं उद्घाटन किया गया है। इस अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन संबंधित कई समस्याएं हो रही हैं। धरती के किसी भी हिस्से में पर्यावरण से छेड़छाड़ होने का असर पृथ्वी के दूसरे भागों में भी जलवायु परिवर्तन के रूप में देखने को मिल रहा है। बिहार में ऐसी कोई गतिविधि नहीं हो रही है जिससे पर्यावरण संकट हो लेकिन यहां भी जलवायु परिवर्तन के असर दिख रहे हैं।

वर्ष 2007 में 22 जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी, वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी हुई, वर्ष 2016 में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से इसके आसपास के क्षेत्र प्रभावित हुए, वर्ष 2017 में फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी थी। वर्ष 2018 में 280 प्रखंड में सुखाड़ की स्थिति पैदा हुई थी।

इस वर्ष मिथिलांचल समेत राज्य की कई जगहों पर भूजल स्तर में काफी गिरावट आयी और जुलाई माह में उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति आयी, सितंबर माह के आखिरी समय में भारी वर्षा हुई, जिससे कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति बनी और पटना शहर के कई भागों में जलजमाव की स्थिति पैदा हुयी। उन्होंने कहा कि आपदा के समय हमलोग लोगों की राहत के लिए तत्पर रहते हैं और काम करते रहते हैं।

बरसात के पूर्व बाढ़ एवं सुखाड़ की आषंका के मद्देनजर तैयारियों का जायजा हमलोग लेते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के रूप में मॉनसून के देर से आने के साथ-साथ अनियमित होने जैसे कई कारक सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति पैदा हो रही है, ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, रेगिस्तान का फैलाव बढ़ता जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड से बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण क्षेत्र 9
प्रतिशत के करीब रहा। बिहार के हरित आवरण क्षेत्र को बढ़ाने के लिए जंगल के संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया।

कृषि रोड मैप में 15 प्रतिशत तक हरित आवरण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई काम किए गए। हरियाली मिशन की स्थापना कर 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 19 करोड़ पौधे लगाए गए। राज्य के स्तर पर आंै कि 15 प्रतिशत के हरित आवरण क्षेत्र के

कलन से पता चला हकरीब हमलोग पहुंच गए हैं। बिहार राज्य का जनसंख्या घनत्व अधिक है इसलिए बहुत ज्यादा हरित आवरण क्षेत्र नहीं बढ़ाया जा सकता है लेकिन 17 प्रतिशत हरित आवरण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए काम किया जा रहा है, इसके लिए 8 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी वर्ष 13 जुलाई को बिहार विधान मंडल के सेट्रल हॉल में
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट के विषय पर सभी दलों के विधायकों एवं विधान पार्षदों की बैठक हुई थी, जिसमें यह सर्व सम्मति से तय किया गया था कि जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की जाएगी। उन्हानें कहा कि जल और हरियाली के बीच जीवन है यानि जल है, हरियाली है, तभी जीवन है, चाहे वह मनुष्य का हो, जीव-जंतु का हो या पशु पक्षी का। उन्होंने कहा कि शहरों के विकास, उद्योगों के विकास में वृक्षों की कटाई होती है।

हमलोग वृक्षों की कटाई की जगह अधिक से अधिक वृक्षों को स्थानांतरित करने का उपाय कर रहे हैं और वृक्षारोपण का कार्य भी कर रहे हैं। उन्हानें कहा कि हमलोगों ने हर घर तक बिजली का कनेक्शन उपलब्ध करा दिया है, लोग बिजली का सदुपयोग कर ऊर्जा की बचत करें कहा कि इस वर्ष 40 से 50 प्रतिशत तक हर घर नल का जल पहुंचाया गया है।

उन्हाने और अगले वर्ष तक हर घर तक नल पहुंचाने की योजना पूर्ण हो जाएगी। पेयजल का सदुपयोग करना चाहिए और इसके दुरुपयोग को रोकना होगा। हर घर शौचालय का निर्माण कार्य किया जा रहा है। उन्हानें कहा कि अगर खुले में शौच से मुक्ति मिल जाय और पीने का स्वच्छ जल लोगों को उपलब्ध हो जाए तो आज होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियों से लोगों को छुटाकारा मिल जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत 11 अवयवों को
शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत गंगा के पानी को बरसात के माह में उसे संचित किया जाएगा और उसको अपलिफ्ट कर, शुद्धिकरण करते हुए राजगीर, गया और नवादा में पीने के जल के रूप में लोगों को सालों भर उपलब्ध कराया जाएगा।

उन्हानें कहा कि सार्वजनिक र्कुओंद्धार कराया जाएगा आ, पईन, आहर, पोखर का जीणौर जल संचयन का उचित प्रबंधन किया जाएगा। चापाकल के पास सोख्ता का निर्माण कर भूजल का संरक्षण किया जायेगा। सरकारी भवनों से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शुरुआत की जा रही है।

छत पर वर्षा जल का संचयन कर इसे जमीन के 40 फीट नीचे तक पहुंचाया जाएगा। उन्हानें कहा कि पौधशाला का सृजन कार्यक्रम एवं सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जाएगा। पथ निर्माण विभाग एवं ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा सड़कों के किनारे अधिक से अधिक वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा। वर्षा की कमी एवं अनियमितता के कारण मौसम के अनुकूल कृषि कार्य अपनाने की आवश्यकता है इसके लिए अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं।

एग्रीकल्चर फॉर्म में 8 जगहों पर इसका प्रयोग कर लोगों को मौसम अनुकूल कृषि कार्य करने के लिये एवं उपयुक्त फसल चक्र अपनाने के लिए प्रेरित कराया जाएगा। उन्हानें कहा कि सौर ऊर्जा ही अक्षय ऊर्जा है। इसको बढ़ावा देने के लिए सरकारी भवनों पर सोलर प्लेट लगाए जा रहे हैं। लखीसराय और भागलपुर के दो थर्मल प्लांट की जगह अब वहां सोलर प्लांट लगाया जा रहा है। उन्हानें कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में चलाया जाएगा।

उसके लिए जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री के नेतृत्व में राज परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया है, जिसमें बिहार विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा 15 विधायकों का मनोनयन किया जाएगा और बिहार विधान परिषद के सभापति के द्वारा पांच विधान पार्षदों का मनोनयन किया जाएगा। इस समिति में ें

अधिकारी भी रहगे। साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जल-जीवन-हरियाली अभियान के एक-एक काम की मॉनिटरिंग की जा रही है। बिहार विकास मिशन के शासी निकाय द्वारा इसका अनुश्रवण भी किया जाएगा।

उन्हानें कहा कि मुझे खुशी है कि नई पीढ़ी के लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत हैं। हम सभी को आने वाली पीढ़ी के लिए काम करना है ताकि पर्यावरण संकट न आए। उन्हानें कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के शुरुआत होने से मुझे पूरा भरोसा है कि जलवायु परिवर्तन में कमी आएगी और बिहार में हरियाली की स्थिति बेहतर होगी और जलस्तर भी ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान को उपयोगी ढंग से चलाने के लिए सबको मिल जुलकर काम करना होगा।

आज इस अभियान के माध्यम से 854 जगहों पर लोग कनेक्ट हैं जिसमें विभिन्न जगहों पर मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, आयुक्त, जिलाधिकारी, पदाधिकारी के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि लाइव टेलिकॉस्ट और टीवी टेलिकॉस्ट से जुड़े हुए हैं। आप सबसे निवेदन है कि इस अभियान के लिए खुद को प्रेरित करें और लोगों को भी प्रेरित करें कामों से देश में एक उदाहरण प्रस्तुत करता।

उन्होंने कहा कि बिहार अपन है। सड़कों के निर्माण के संबंध में, हर घर बिजली पहुंचाने के संबंध में, हर घर नल का जल पहुंचाने के संबंध में बिहार की मिसाल दी जाती है और इसे किसी न किसी रुप में केंद्र भी अपनाता है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि जल-जीवन-हरियाली अभियान की उपलब्धि की चर्चा देश भर में होगी और इसे केंद्र भी किसी न किसी रुप मअपनायेगा। इस अभियान से पर्यावरण संरक्षित होगा और आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि मेरी इस अभियान के प्रति पूरी प्रतिबद्धता है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। कार्यक्रम
के दौरान मुख्यमंत्री एवं मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने जल-जीवन-हरियाली अभियान पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया। जल-जीवन-हरियाली अभियान एवं गंगा जल उद्वह योजना पर आधारित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम के पूर्व जल-जीवन-हरियाली अभियान से संबंधित लघु जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, जल संसाधन विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, भवन निर्माण विभाग,नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं ऊर्जा विभाग के द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, पथ निर्माण मंत्री सह पटना जिला
के प्रभारी मंत्री श्री नंदकिशोर यादव, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, लघु जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव श्री के0के0 पाठक, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री अरविंद कुमार चौधरी ने भी संबोधित किया।

संपर्क–
बिहार सूचना केंद्र
नई दिल्ली

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