• November 28, 2015

जल, जंगल और जानवरों को बचाएं -वन पर्यावरण एवं खान राज्य मंत्री

जल, जंगल और जानवरों को बचाएं -वन पर्यावरण एवं खान राज्य मंत्री

जयपुर – वन पर्यावरण और खान राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा ने कहा है कि मानव जीवन तभी बच सकता है जब जल, जंगल और जानवर बचेंगे। उन्होंने कहा है कि प्रकृति से छेड-छाड़ मानव को विनाश की ओर ले जा रही है। इसलिए प्रकृति से छेड़-छाड़ न करें, बल्कि प्रर्यावरण प्रेमी बनकर उसकी संरक्षण करें। वे शुक्रवार को अष्ट्म डालमिया पानी पर्यावरण पुरस्कार,2015 के दौरान मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित जन समूह को संवोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा है कि पानी की एक-एक बूंद को सहेजे, उसे व्यर्थ न बहने दें। उन्होंने कहा कि मनुष्य आधुनीकरण में डूब कर वर्षा के जल का अंधाधुंध दोहन कर रहा है इसलिए प्रदेश का अधिकतर क्षेत्र डार्क जोन में चला गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मार्गदर्शन में पंाच डिपार्टमेंट मिल कर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 10 गॉवों के तथा प्रदेश के 3000 गॉवों में जल संवर्धन के लिए पूर्व में निर्मित एनिकेट, तालाबों जोहडों, कुओं, बावडियां का जीर्णोद्घार का कार्य करवाएंगे।
उन्होंने झुंझुंनू जिले की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यहां की धरती ने तीन शूरमा पैदा किये हैं शूरवीर, दानवीर, और संत। उन्होंने आधुनिक युग में विवाह, पार्टियों में भोजन के दुरूपयोग के बारे में भी चिन्ता व्यक्त। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री सुंदरलाल ने कहा कि पानी राष्ट्रीय धरोहर है इसे बचाने की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने गृहिणियों का आह्वान किया कि वे पानी को बचाने में अपनी भागीरदारी सुनिश्चित करें और घरेलू कार्यो में पानी कम से कम खर्च करें। उन्होंने बुहाना पंचायत समिति का उदाहरण देते हुए कहा है कि पानी के अत्याधिक दोहन के कारण यहां पानी 1100 फुट तक नीचे चला गया है।
श्री सुन्दरलाल ने कहा कि हम जल की महता को पहचानेगें तभी हमारा कल सुरक्षित रहेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा हैं कि व्यक्ति दंत मंजन तथा शेविंग करते समय नल को खुला रखते हैं, जिससे प्रतिदिन हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस प्रकार जल का दुरूप्रयोग होता रहा, तो आने वाले 10 सालों में राजस्थान में पानी उपलब्घ नहीं रहेगा। उन्होंने इस्माइलपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब डालमियां संस्थान के सहयोग से बरसात के जल का संरक्षण कर सकते हैं, तो अन्य गांव क्यों नहीं कर सकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान के श्री रघुहरि डालमिया ने कहा कि वृक्ष और जल एक दूसरे के पूरक है। इसलिए हमें इन दोनों का संरक्षण करना है। उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय का आह्वान किया कि वे पुत्री के जन्म पर 101 तथा पुत्र जन्म पर उसकी स्मृति में भी पौधे लगाने का पुण्य कार्य करें। कार्यक्रम में अष्टम डालमिया पानी पर्यावरण पुरस्कार का प्रथम पुरस्कार भरतपुर की जल संरक्षण के लिए कार्यरत संस्थान लुपिन ह्युमन वैलफेयर एण्ड रिसर्च फाउन्डेशन को मिला। चार संभागों में प्रत्येक संभाग को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया, जिनमें डॉ. पी.सी. जैन, श्री राजू लाल भारद्वाज, श्री जगदीश गुर्जर, श्री लाल सिंह बेनीवाल शामिल थे।

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