• August 21, 2023

जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती किशोरियां : भावना रावल

जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती किशोरियां : भावना रावल

गरुड़, उत्तराखंड———–  प्राकृतिक घटनाओं में जिस तरह से एक के बाद एक बदलाव आए हैं, वह जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है. अचानक तूफ़ानों की संख्या बढ़ गई है, भूकंपों की आवृत्ति बढ़ गई है, नदियों में बाढ़ आना आदि घटनाएं पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं. जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ रहा है. इससे सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं. विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के दुरूपयोग का प्रभाव अब इन्हीं रूपों में सामने आने लगा है. अति विकसित महादेश समझा जाने वाले यूरोप के ज़्यादातर देश एक तरफ जहां जंगलों में लगी आग से परेशान हैं तो वहीं दूसरी ओर अत्यधिक गर्मी और असामान्य रूप से बारिश से जूझ रहे हैं. यह इस बात का संकेत है कि मनुष्यों से विकास के नाम पर स्वयं विनाश का द्वार खोल दिया है.

भारत के भी कई ग्रामीण क्षेत्र इसका खामियाज़ा भुगत रहे हैं. इसी का एक उदाहरण पहाड़ी क्षेत्र उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक का गनीगांव है. जहां जलवायु परिवर्तन ने लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है. इसकी मार झेल रही गांव की एक किशोरी और 12वीं कक्षा की छात्रा कविता रावल का कहना है कि इसने प्रत्यक्ष रूप से किशोरियों के जीवन को बहुत प्रभावित किया है. खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में इसका असर सबसे अधिक नज़र आता है. हाल के दिनों में असमय बारिश के कारण होने वाली आपदा से बचाव के लिए स्कूलों में लगातार छुट्टियां कर दी जा रही हैं. मौसम विभाग द्वारा हाई अलर्ट जारी होने के बाद प्रशासन की ओर एहतियात के तौर पर स्कूलों को बंद कर दिया जा रहा है. लगातार बारिश के कारण कई स्थानों पर चट्टानों के खिसकने से रास्ते बंद हो जाते हैं, ऐसे में इन रास्तों से स्कूल जाना हमारे लिए खतरे से खाली नहीं होता है. ऐसे में सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन का यह कदम बिल्कुल उचित है, लेकिन इसकी वजह से हमारी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

BHAWANA RAWAL

Oजलवायु परिवर्तन के कारण कई बार स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं. फिसलन भरे पहाड़ी रास्तों से गुज़रकर कई बार बच्चे पहाड़ों से गिर जाते हैं और नदियों में बह जाते हैं. उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के बहुत केस हो चुके हैं. इस संबंध में 18 वर्षीय गांव की एक अन्य किशोरी हेमा का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से हम किशोरियों का जीवन काफी कष्टमयी हो गया है. अचानक मौसम में बदलाव हो जाने के कारण हमारी पढ़ाई के अलावा बहुत से काम प्रभावित होते हैं. जैसे जंगल जा कर लकड़ी लाना, घास लाना, घर का काम करना, खेती का काम करना और मवेशियों को चराना बहुत मुश्किल हो जाता है. खासतौर पर लगातार बारिश के समय में होने वाली माहवारी में पैड की समस्या उत्पन्न हो जाती है. किसी क्षति के डर से गांव के मेडिकल स्टोर भी बंद रहते हैं, ऐसे में हमें कपड़ों से काम चलाना पड़ता है. जिससे हमें मानसिक और शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है और हमारा स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है. जिसकी वजह से हमारी पढ़ाई में भी काफी नुकसान होता है.

जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान की चर्चा करते हुए 39 वर्षीय उमा देवी कहती हैं कि अगर ज्यादा गर्मी पड़ती है तो उससे हमारी फसल का नुकसान होता है, सूखा पड़ जाता है. गरीबी, भुखमरी और अकाल से गांव के लोग विशेषकर जो कृषि का काम करते हैं उन्हें बहुत नुकसान होता है. बरसात के दिनों में अगर बरसात ज्यादा हो गई उससे फसल नष्ट हो जाती है. वह कहती हैं कि हर सूरत में अति से हम ग्रामीणों का ही नुकसान होता है. पहले बारिश होती थी तो कोई नुकसान नहीं होता था. लेकिन आज बरसात हो रही है तो आए दिन हाई अलर्ट हो जाता है. बच्चों की छुट्टियां हो जाती हैं. किशोरी बालिकाओं को बड़ी मुश्किल से तो गांव में पढ़ने का मौका मिलता है, लेकिन इन सब कारणों से उनकी पढ़ाई छूट जाती है.

वहीं 80 वर्षीय बुज़ुर्ग खखोती देवी कहती हैं कि पहले के समय में और अब की तुलना में मौसम में काफी परिवर्तन आ गया है. पहले घर लकड़ियों और मिट्टी के हुआ करते थे. उसमें हमें सांस लेने में भी दिक्कत नहीं होती थी. इंसान अगर फिसल भी जाए तो उसे चोट नहीं लगती थी. घर के अंदर ही चूल्हा जलाया करते थे, उस पर खाना बनाया करते थे. जाड़े के दिनों में जहां आग सेका करते थे, वहीं गर्मी में भी कोई परेशानी नहीं होती थी. लेकिन अब सब कुछ बदल गया है. आज लोगों के घर पक्के बन चुके हैं, जिस पर अगर कोई फिसल जाए तो तुरंत हादसों का शिकार हो जाता है. गैस पर खाना बनाते हैं. ठंड के दिनों में आग सेकने के साधन भी बदल चुके हैं. गर्मी के दिनों में प्राकृतिक रूप से घर को ठंडा रखने की जगह एसी लग गए हैं. जिसके कारण मनुष्य को ही नुकसान हो रहा है. अगर प्राकृतिक चीजों का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो तो मनुष्य का स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहता और प्रकृति का प्रकोप भी झेलना नहीं पड़ता.

65 वर्षीय बुज़ुर्ग केदार सिंह अपने तजुर्बों का हवाला देते हुए कहते हैं कि उनकी पूरी उम्र गनीगांव में ही बीत गई. पहले की अपेक्षा आज के समय माहौल पूरी तरह से बदल चुका है. लोगों की सोच और उनके रहन सहन का तरीका बदल चुका है. पहले लोग प्राकृतिक संसाधनों का जीवन में अधिक से अधिक उपयोग करते थे. आज टेक्नॉलोजी के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है. जिसकी कीमत जलवायु परिवर्तन के रूप में चुकानी पड़ रही है. वह कहते हैं कि आज से 30-40 साल पहले जब बारिश होती थी तो कभी कुछ नुकसान नहीं होता था. फसलें भी बहुत अच्छी होती थी. किसान से लेकर आमजन तक इसका इंतज़ार करते थे. लेकिन आज लोग आपदा से जूझ रहे हैं. लोगों के घर टूट चुके हैं. आपदा के कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

इस संबंध में गांव के प्रधान पदम राम भी मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हम आम लोगों की बात तो करते हैं लेकिन किशोरी बालिकाओं की परेशानियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उनकी परेशानी हमें ज़्यादा बड़ी नहीं लगती है. जबकि हकीकत यह है कि इससे किशोरियां भी बहुत अधिक प्रभावित होती हैं. उन्हें बड़ी मुश्किल से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है, लेकिन लगातार अत्यधिक बारिश के कारण स्कूलों के बंद होने से उनकी शिक्षा रुक जाती है. जिसकी तरफ भी सभी को गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बाद भी लड़कों के लिए शहर जाकर पढ़ने या अन्य अवसर होते हैं, लेकिन लड़कियों के लिए गांव में ही रहकर पढ़ने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होता है. जिस पर सभी को गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है. (चरखा फीचर)

Related post

जलवायु परिवर्तन ने एशिया में बढ़ाई हीटवेव की तीव्रता, बना दिया घातक

जलवायु परिवर्तन ने एशिया में बढ़ाई हीटवेव की तीव्रता, बना दिया घातक

लखनऊ (निशांत सक्सेना) :  वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप के एक नए अध्ययन से पता चला है…
जलवायु परिवर्तन—हवाई में आग, न्यू इंग्लैंड में बाढ़, दक्षिण-पश्चिम में भीषण गर्मी– अब हम कहाँ हैं ?

जलवायु परिवर्तन—हवाई में आग, न्यू इंग्लैंड में बाढ़, दक्षिण-पश्चिम में भीषण गर्मी– अब हम कहाँ हैं…

Bulletin of the Atomic Scientists जिसने भी जलवायु संबंधी समाचारों पर ध्यान दिया है, वह जानता…
जलवायु परिवर्तन : हर समुदाय को खतरे में डालती है

जलवायु परिवर्तन : हर समुदाय को खतरे में डालती है

Bulletin of the Atomic Scientists:  परमाणु हथियारों की दुनिया को ख़त्म करने की क्षमता दुनिया भर…

Leave a Reply