• February 13, 2015

जयपुर: देश के नामी पुलिस घुड़सवार का प्रतिभा प्रदर्शन

जयपुर: देश के नामी पुलिस घुड़सवार का प्रतिभा  प्रदर्शन

जयपुर- अश्व अपनी गति और मजबूती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। मरुभूमि का चेतक अश्व तो पूरे विश्व के लिए स्वामिभक्ति की एक मिसाल है। अब गुलाबी नगरी भी अश्व प्रतिस्पर्धा का साक्षी बनेगी। मौका रहेगा 33वीं अखिल भारतीय घुड़सवारी प्रतियोगिता का। fan

इस प्रतियोगिता का आयोजन राजस्थान पुलिस 13 से 20 फरवरी, 2015 तक राजस्थान पुलिस अकादमी जयपुर में कर रही है। प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों और केंद्रीय पुलिस बलों की 17 टीम हिस्सा लेने वाली हैं। राजस्थान सहित पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात पुलिस, असम पुलिस एवं असम रायफल, सशस्त्र सीमा बल, सीमा सुरक्षा बल, इंडो तिब्बत सीमा बल और राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के लगभग 260 अश्व प्रतियोगिता में रोमांचक करतब दिखाएंगे।

सैमसंग का अनुभव और अर्जून का जोश

उल्लेखनीय है कि राजस्थान पुलिस अकेडमी में अभी 43 अश्व हैं। इनमें से 30 अश्व घुड़सवारी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं। अकेडमी में सबसे बुजुर्ग घोड़े सैमसंग की उम्र 14 साल है। यह घोड़ा अखिल भारतीय पुलिस घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में छह मैडल जीतकर राजस्थान पुलिस का नाम गौरवान्वित कर चुका है।

राजस्थान घुड़सवारी टीम के कप्तान श्री भगवत दास कहते हैं कि यह काफी समझदार और अनुभवी घोड़ा है और अपने सवार को पहचानता है। इस बार की प्रतियोगिता में इस घोड़े से काफी उम्मीदें हैं। इसी तरह अकेडमी में सबसे कम उम्र का घोड़ा अर्जून भी काफी जोश में है। इसकी उम्र अभी 5 वर्ष है, पर इसका जोश देखते ही बनता है। यह शो जम्पिंग में हिस्सा लेगा।

इस आठ दिवसीय प्रतियोगिता का उद्घाटन राज्यपाल श्री कल्याण सिंह 13 फरवरी सायं 4.00 बजे राजस्थान पुलिस अकादमी के प्रांगण में करेंगे। प्रतियोगिता का समापन 20 फरवरी को सायं 4.00 बजे मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे राजस्थान पुलिस अकादमी स्टेडियम में करेंगी। इस अनूठे आयोजन का आनंद विभिन्न स्कूलों के बच्चे और शहर के गणमान्य नागरिक उठा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि पहली अखिल भारतीय पुलिस घुड़सवारी प्रतियोगिता का आयोजन वर्ष 1967 में नेशनल पुलिस अकादमी माउंट आबू में किया गया था। इस आयोजन के बाद अब पहली बार राजस्थान पुलिस को इस आयोजन का गौरव प्राप्त हुआ है।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply