• May 23, 2022

जमुई :लछुआड भगवान महावीर के 24वें तीर्थंकर का जन्म स्थल : चंद्रशेखर सिंह संग्रहालय

जमुई :लछुआड भगवान महावीर के 24वें तीर्थंकर का जन्म स्थल  : चंद्रशेखर सिंह संग्रहालय

जमुई का चंद्रशेखर सिंह संग्रहालय जमुई के गौरवशाली इतिहास को बयां करता है। जमुई की धरती भगवान महावीर और बुद्ध से जुड़ी मानी जाती है। जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड के लछुआड भगवान महावीर के 24वें तीर्थंकर का जन्म स्थल माना जाता है।

जमुई जिले का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। जमुई जिले में खुदाई के दौरान पहली शताब्दी की प्रतिमा से लेकर 12 वीं शताब्दी तक की प्रतिमाओं को संग्रहित किया गया है। यह जो सभी प्रतिमाएं जमुई संग्रहालय में रखा गया है। वह सभी जमुई जिला के अलग-अलग इलाकों में खुदाई के दौरान पाई गईं थी।

संग्रहालय में पुरातत्व महत्व के पुराने पत्थर सहित 178 मूल्यवान मूर्तियां रखी गई है। सारी मूर्तियां जमुई जिले के अलग-अलग इलाके में खुदाई से प्राप्त हुए हैं।

संग्रालय में रखी गई यक्षणी के मूर्ति जो जिले के नोंनगढ़ इलाके में प्रथम शताब्दी में मिले थे।जो सबसे पुरानी मूर्ति बताई जाती है।भगवान बुद्ध की मूर्ति इनपे से खुदाई के दौरान सातवीं सदी में मिला था।भगवान विष्णु की मूर्ति महाराजगंज,जमुई में खुदाई के दौरान आठवीं सदी में पाया गया था।इसी तरह दर्जनो मूर्तिया है,जो संग्राहलय में मौजूद है।जो पहली शताब्दी से 12 शताब्दी तक की बताई जाती है।

संग्रहालय के कर्मचारी दीपक बताते है कि विशेष आकर्षण का केंद्र गिधौर महारानी गिरिराज कुमारी राजमाता ने शिकार में मारे गए बाघ की प्रतिमा है।जिसे देखने के लिए स्कूली बच्चों का आना जाना लगा रहता है।

जमुई जिले के इनपे,कागेश्वर, घोष मंजोश,काकन,आडसर,महादेव सिमरिया, गिधेश्वर के अलावे ओर भी कई इलाके है।जहाँ का स्थल पुरातात्विक दृश्टिकोण से विशेष महत्वपूर्ण है।

​​​​​​​जमुई जिले के प्रोफेसर डॉ श्यामानंद प्रसाद के अथथ प्रयास से 16 मार्च 1983 को संग्रहालय की स्थापना में अपना विशेष योगदान दिए थे।आज संग्रहालय में ज़्यादातर मूर्तियां प्रो श्यामानंद प्रसाद की देन है।

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