जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बदौलत सफलता

जमीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बदौलत  सफलता

मध्यप्रदेश में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में तीन अंक की महत्वपूर्ण गिरावट की सफलता लगभग एक लाख ज़मीनी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बदौलत प्राप्त हुई है। इनमें बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एएनएम और आशा कार्यकर्ता शामिल हैं। इसके अलावा महिला-बाल विकास की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता भी ग्राम-स्तर तक स्वास्थ्य कार्यक्रम के संचालन में सहयोग करती हैं। ग्राम स्तर पर आशा कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण कड़ी बनाया गया है। इन्हें प्रतिमाह कार्य के आधार पर प्रोत्साहन राशि प्राप्त होती है। इस वर्ष अनेक आशा कार्यकर्ता प्रतिमाह 35 हजार तक की राशि स्वास्थ्य योजनाओं के अच्छे संचालन से प्राप्त कर चुकी हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर में एक अंक और नवजात शिशु मृत्यु दर में तीन अंक की गिरावट दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश में यह गिरावट क्रमश: 3 और 4 अंक की है जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। देश के 20 प्रमुख राज्य में मध्यप्रदेश और तमिलनाडु ने विशेष उपलब्धि अर्जित की है। देश में बाल मृत्यु दर वर्ष 2012 में 29 के मुकाबले 2013 में 28 तक आई। यह एक अंक की गिरावट है। प्रदेश में एक वर्ष में 39 से 36 तक पहुँचकर शिशु मृत्यु दर में 3 अंक की गिरावट आई है।

प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर 2012 में 73 के मुकाबले 69 तक आँकड़ा कम हुआ है, जो 4 अंक की गिरावट के साथ बीस राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने में तीन अंक के साथ बिहार, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-काश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल दूसरे क्रम पर आए।

प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर में तीन अंक की गिरावट और बाल मृत्यु दर में चार अंक की गिरावट उल्लेखनीय है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा जारी एसआरएस बुलेटिन 2013 के अनुसार प्रदेश में उन बच्चों की जिंदगी बचाने में कामयाबी मिली है जो गंभीर रूप से बीमार थे, समय के पूर्व जन्में थे या फिर कम वजन के थे। इस महत्वपूर्ण कार्य में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका का प्रमुख योगदान है।

प्रदेश में इस वर्ष प्रारंभ ममता अभियान, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सीयूजी सिम प्रदान करने और निरंतर प्रशिक्षण और अनुश्रवण से यह उपलब्धि हासिल हुई है। आने वाले वर्ष में बच्चों और माताओं की असमय मृत्यु को कम करने में और अधिक सफलता प्राप्त होगी। भारत सरकार ने नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जो मापदंड आवश्यक माने हैं उनमें प्रसव और शिशु जन्म के दौरान गुणवत्तापूर्ण देखभाल महत्वपूर्ण है।

प्रदेश में इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। गंभीर रूप से बीमार और कमजोर शिशु की अच्छी देखभाल और सर्पोटिव सुपरविजन की व्यवस्था भी की गई। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्‍याण विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी का भी भरपूर उपयोग किया जा रहा है। समीक्षा के लिए 14 साफ्टवेयर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

अशोक मनवानी

Related post

भाषा मानवता को समझने का एक पासपोर्ट है- श्री टिम कर्टिस, निदेशक, यूनेस्को प्रतिनिधि

भाषा मानवता को समझने का एक पासपोर्ट है- श्री टिम कर्टिस, निदेशक, यूनेस्को प्रतिनिधि

पीआईबी दिल्ली : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने 21 और 22 फरवरी 2025 को…
रक्षा मंत्रालय  के साथ ₹697.35 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर

रक्षा मंत्रालय  के साथ ₹697.35 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर

पीआईबी( दिल्ली) — रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए 697.35…
बेटे अब्दुल रफ़ी बाबा सऊदी अरब की जेल में बंद साइबर-संबंधित अपराधों और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो प्रसारित करने” के लिए 11 साल की सज़ा

बेटे अब्दुल रफ़ी बाबा सऊदी अरब की जेल में बंद साइबर-संबंधित अपराधों और सोशल मीडिया पर…

श्रीनगर: (कश्मीर टाइम्स) हर सुबह, जैसे ही श्रीनगर में पहली किरण फूटती है, 65 वर्षीय मंज़ूर-उल-हक…

Leave a Reply