जनता के बीच प्रियंका का करिश्मा—— सज्जाद हैदर

जनता के बीच प्रियंका का करिश्मा—— सज्जाद हैदर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा फेर बदल, जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। जनता के बीच प्रियंका का करिश्मा काम आने लगा है। कई पार्टी के नेताओं का झुकाव अब सीधे-सीधे कांग्रेस की ओर दिखाई देने लगा है। कांग्रेस ने भाजपा में भी सेंध लगाने का कार्य किया जिसका रूप बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फूले के रूप में देखने को मिला।

सावित्रीबाई फूले एक बड़ो जनाधार वाली नेता हैं साथ ही वह एक ऐसे समाज से आती हैं जिस समाज का उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा दखल रहता है। एक ऐसा समाज जोकि अपने मजबूत जनाधार के कारण प्रदेश की कुर्सी पर बैठने वाले मुख्यमंत्री के भविष्य का भी फैसला करता है। इसे समाज ने मायावती को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने में पूर्ण रूप से अपनी भूमिका निभाई है।

सावित्रीबाई फूले के साथ फतेहपुर के पूर्व सांसद राकेश सचान ने भी चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया। इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस को मजबूत स्थिति में आने का आंकलन लगाया जाने लगा। क्योंकि, यह दोनों अपने-अपने क्षेत्र के एक बड़े जनाधार वाले नेता के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। इन नेताओं का प्रदेश की कई सीटों पर बड़ा जनाधार है।

जनता के बीच कांग्रेस की तेजी से बदलती हुई तस्वीर ने नया अध्याय लिखना शुरू कर दिया। जनता का तर्क है। कि नेताओं ने जनता का मन भांप लिया और अपना पाला बदलने लगे हैं। जैसा कि सदैव राजनेताओं को देखा गया है। कि जैसे ही जनता के झुकाव का आभास नेताओं को होने लगता है वह तुरन्त अपना पाला बदल लेते हैं। नेता अपनी वर्तमान की पार्टी को त्यागकर नई पार्टी के कंधों पर उछलकर तेजी से सवार हो जाते हैं और नई यात्रा के भागीदार बन जाते हैं।

प्रियंका की राजनीति में इन्ट्री एक ऐसी रेखा है जोकि आज के समय में प्रत्येक जगहों पर चर्चा का विषय बनी हुई है। छोटी से छोटी जगह से लेकर बड़ी से बड़ी जगह पर आजकल चर्चाएं हो रही हैं। सामान्य जनता हो अथवा नेता चाय की दुकान हो अथवा बाजार, शहरी क्षेत्र हो अथवा ग्रामीण, समाचार पत्र हो अथवा टेलीविज़न, प्रत्येक जगह एक ही चर्चा आजकल चरम पर है। वह यह कि प्रियंका गाँधी वाड्रा की कांग्रेस में इंट्री। यह एक ऐसा विषय है जिसपर पक्ष एवं विपक्ष दोनों चर्चा कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी के नेता जहां प्रियंका में इंद्रा जी की तस्वीर को खोजते हुए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंद्रा गाँधी की रूप रेखा होने की बात कर रहा हैं वहीं विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता हल्के हाथों से लेते हुए कांग्रेस का अंतिम प्रयोग कह रहे हैं। परन्तु एक बात तो सत्य है कि कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता प्रियंका गाँधी वाड्रा का राजनीति में प्रवेश से अत्यधिक उत्साहित दिख रहा है। जनता के बीच प्रश्न यह उठता था कि क्या प्रियंका कुछ करिश्मा कर पाएंगी। क्योंकि, प्रियंका को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राजनीति में अधिकारिक रूप से उतारा दिया है।

अवगत करा दें कि कांग्रेस ने प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी है। भारत के राजनीतिक समीकरण में उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है इसलिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश को दो व्यक्तियों के कंधों पर जिम्मेदारियों को बाँटकर रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी जहां कांग्रेस के उभरते हुए युवा नेता सिंधिया के कंधों पर टिकी हुई है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी प्रियंका गाँधी वाड्रा के कंधों पर है।

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी का बँटवारा भी दोनों नवनियुक्ति प्रदेश पदाधिकारियों के मध्य कर दिया गया है। एक बात तो स्पष्ट है कि जिस तरह से प्रदेश की राजधानी में प्रियंका का स्वागत समारोह हुआ था वह भविष्य की राजनीति में अलग ही पटकथा लिखने के संकेत देता हुआ दिखाई दे रहा था जिसका रूप अब धरातल पर भी देखने को मिलने लगा है।

तमाम पार्टियों के नेता एवं कार्यकर्ता अब कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह प्रियंका का ही कमाल है। जिसका श्रेय भी जनता खुले मन से देते हुए नहीं थकती। जनता भी खुले मन से इसे स्वीकार्य करती है कि यह प्रियंका का ही करिश्मा है जिसके कारण अब कांग्रेस की तरफ जनता का झुकाव होने लगा है।

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि प्रियंका और सिंधिया कांग्रेस मे कितनी जान फूँक पाते हैं। यदि कांग्रेस के यह दोनों रणनीतिकार कांग्रेस के लिए वास्तव में कुछ कर पाए तो यह निश्चित है कि उत्तर प्रदेश में किसी एक पार्टी के जनाधार का सफाया होना तय है। क्योंकि, प्रियंका के आने से प्रदेश में गठबंधन के नेताओं के सुर जिस तरह बदलने लगे हैं उससे साफ दिख रहा है कि अब गठबंधन के नेताओं को अपने जनाधार के खिसकने का भय अभी से ही सताने लगा है।

क्योंकि, प्रियंका को जिस प्रकार से जनता का समर्थन मिल रहा है वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए चिंता का विषय निश्चित है।

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