• December 13, 2020

जनता का साथ देगा जलवायु परिवर्तन को मात

जनता का साथ देगा जलवायु परिवर्तन को मात

अपनी तरह की एक अनूठी पहल के अंतर्गत, स्कॉटलैंड में अगले साल होने वाली COP26 क्लाइमेट समिट से पहले देश के नागरिकों को ग्लोबल सिटीजन असेंबली में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य पूरी दुनिया के करोड़ों लोगों को एक साथ लाकर इस बात पर विचार विमर्श कराना है कि जलवायु संबंधी संकट से निपटने के लिए दुनिया कौन सी रणनीति अपनाए।

जलवायु संबंधी संकट से निपटने में सरकारों की मदद के लिए सिटीजन असेंबली एक प्रभावी और लोकप्रिय माध्यम के तौर पर तेजी से उभर रही है। यह ऐसे मंच हैं जिनका चुनाव लॉटरी के जरिए होता है। इसकी वजह से जनसांख्यिकी रूप से विविध समूहों के लोग एक मंच पर एकत्र होते हैं और एक नीतिगत मुद्दे पर एक बड़ी अवधि के दौरान विचार-विमर्श करते हैं। इससे उन्हें इस मुद्दे के बारे में और ज्यादा जानने का मौका मिलता है।

विशेषज्ञों की जानकारी का परीक्षण करने और विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व कर रहे लोगों के साथ बातचीत में शामिल होने तथा आगे बढ़ने के संभावित रास्तों के बारे में अपने साथी सहभागियों के साथ चर्चा करने का अवसर भी मिलता है। यह प्रक्रिया बेहद बारीक बहस और नीतिगत सिफारिशों तथा निर्णयों को जनता द्वारा स्वीकार किए जाने का मौका देती है। हाल ही में हुई फ्रेंच क्लाइमेट असेंबली के बाद किए गए सर्वेक्षण में इस असेंबली के बारे में सुनने वाले फ्रांस के 62% लोगों ने इसमें की गई सिफारिशों का समर्थन किया। वहीं, 60% लोगों ने माना कि सुझाये गए उपाय प्रभावशाली होंगे।

गौर करने वाली बात है कि इस पहल को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन हासिल है और इसकी अगुवाई इस साल के शुरू में ब्रिटिश संसद कि क्लाइमेट सिटीजंस असेंबली का संचालन करने वाले संगठन इंवॉल्व के संस्थापक रिक विल्सन कर रहे हैं। इस ग्लोबल असेंबली को अमलीजामा पहनाने के लिए काम कर रही टीम में कैनबरा यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डेलिबरेटिव डेमोक्रेसी एंड ग्लोबल गवर्नेंस के प्रोफेसर निकोल क्यूरेटो और डॉक्टर साइमन नीमेयर, सोर्टिशन फाउंडेशन के सह निदेशक ब्रेट हेनिग तथा डेनिश बोर्ड ऑफ़ टेक्नोलॉजी के उपनिदेशक बियान बिल्स्टॅ समेत विशेषज्ञों का एक पूरा समूह शामिल है।

स्कॉटलैंड की यह विराट सभा दो हिस्सों में होगी। इसका पहला हिस्सा ऑनलाइन को-असेंबली के तौर पर होगा। इसमें 1000 लोग शामिल होंगे जो दुनिया की आबादी की सटीक जनसांख्यिकीय तस्वीर का प्रतिनिधित्व करेंगे। वहीं, दूसरा हिस्सा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या स्थानीय स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के तौर पर होगा जो पूरी तरह से कोर एसेंबली से जुड़ा होगा। इस विशाल सभा में हिस्सा लेने वाले हर व्यक्ति को अंतिम सिफारिशों पर अपनी बात कहने का मौका मिलेगा।

कोर असेम्‍बली में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले लोगों का चयन लॉटरी के जरिए होगा और आयोजनकर्ताओं को उम्मीद है कि दुनिया का कोई भी नागरिक इसमें चुना जा सकता है। इसका मतलब यह है कि भारत की किसी फैक्ट्री का एक मजदूर फ्रांस में काम कर रहे किसी बस चालक के साथ मिलकर जलवायु संबंधी संकट से निपटने की योजना पर काम कर सकेगा।

ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त मार्क रायलेंस एक ‘क्राउडफंडर’ लागू करने में मदद करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ग्लोबल सिटीजन असेंबली का वित्तपोषण उन्हीं लोगों द्वारा हो, जिनके भले के लिए इसका आयोजन किया जा रहा है। इस असेंबली के लिए अनेक तकनीकी तथा अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की जरूरत होगी। इनमें प्रतिभागियों के लिए अनुवादकर्ताओं तथा जरूरी उपकरणों पर होने वाला व्यय तथा उन लोगों के बच्चों की देखभाल के लिए जरूरी चीजों पर होने वाला खर्च शामिल है जो अपने बच्चों के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

ऐसी सभाओं को गलत सूचनाओं, सोशल मीडिया, ध्रुवीकरण तथा अत्यधिक पक्षपात और विशेषज्ञों के अविश्वास के जरिए आकार पाये जनसंवाद के बढ़ते असर को संतुलित करने के एक माध्यम के तौर पर भी देखा जा सकता है।

हालांकि पूर्व में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी जलवायु जनसभाएं आयोजित हुई है, लेकिन अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी किसी असेंबली पर काम नहीं हुआ। साथ ही साथ अभी तक ऐसी कोई सिटीजन असेंबली नहीं हुई जिसमें दुनिया के किसी भी कोने का कोई भी व्यक्ति शामिल हो सके। यह पहलू लोकतंत्र में इसे अपनी तरह का अनूठा प्रयोग बनाता है। उम्मीद है कि अगले साल ग्लास्गो में आयोजित होने जा रही क्लाइमेट समिट के दौरान दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष आम लोगों द्वारा इस अंतर्राष्ट्रीय असेंबली में किए जाने वाले ऐसे केंद्रित विचार विमर्श को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले साल लॉटरी के जरिए चुने गए 150 नागरिकों को वर्ष 2030 तक देश के कार्बन उत्सर्जन में कम से कम 40% की कटौती करने के रास्तों पर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया था। नौ महीनों से ज्यादा समय तक इस असेंबली ने तकनीकी सवालों का जवाब हासिल करने में मदद के लिए 130 से ज्यादा विशेषज्ञों को सुना। इस असेंबली में 149 उपाय सुझाए गए जिनमें वर्ष 2040 तक सभी इमारतों में ऊर्जा पुनरुद्धार संबंधी काम मुकम्मल करने जैसे उपाय भी शामिल हैं। इनमें से अनेक उपायों को फ्रांस की पिछली नीति कार्य योजना के मुकाबले कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी माना गया।

ब्रिटिश कोलंबिया के कनाडाई प्रांत ने भी चुनाव सुधारों पर एक सिटीजन असेंबली बुलाई थी, जिसमें जनमत संग्रह को लेकर सफलतापूर्वक एक रास्ता सुझाया गया। इसके अलावा स्वैच्छिक गर्भपात तथा समलैंगिक विवाह के मुद्दों पर हुई आयरिश सिटीजंस असेंबली में संवैधानिक सुधारों पर राष्ट्रीय स्तर पर वाद-विवाद हुआ।

हाई लेवल एक्शन चैंपियन यूएनएफसीसीसी, सीओपी26 नाइजेल टॉपिंग ने कहा “सीओपी26 के लिए ग्लोबल सिटीजन असेंबली अब तक की अपनी तरह की सबसे बड़ी खबर है। इससे दुनिया भर के लोगों के बीच नए रिश्ते कायम होंगे। साथ ही नागरिकों और नेताओं के बीच भी नए संबंध बनेंगे। सीओपी26 को सही मायने में महत्वाकांक्षी बनाने के लिए ऐसे प्रयास जरूरी हैं।”

कैनबरा यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर दिल्ली ब्रिटिश डेमोक्रेसी एंड ग्लोबल गवर्नेंस की प्रोफेसर निकोल कुराटो ने कहा “सीओपी26 के लिए आयोजित की जाने वाली ग्लोबल सिटीजंस असेंबली हमारी जलवायु सुशासन प्रणालियों में बहुप्रतीक्षित रचनात्मकता महत्वाकांक्षा और वैधता को पैवस्त करने का एक बेहतरीन अवसर है। यह एक सर्वोत्तम उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर तैयार किया गया है और यह अंतरराष्ट्रीय जलवायु निर्णय निर्माण में मौलिक रूप से सुधार करने के एक व्यवहारिक तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है।”

ग्लोबल असेंबली सीओपी 26 की कोर टीम की सदस्य सूज़न नाकिंग ली ने कहा “जहां नौजवान पीढ़ी बढ़ते हुए तापमान और पारिस्थितिकी प्रणालियों में आ रही खराबी से हताश हैं बल्कि हम भी पुराने राजनीतिक समाधानों को लगातार रीसायकल किए जाने से हताश हैं। जब मुझे ग्लोबल असेंबली बारे में पता लगा तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसी किसी इकाई का अब तक कोई गठन नहीं हुआ था। सीओपी26 के लिए एक वैश्विक जमावड़ा न सिर्फ जरूरी लगता है बल्कि यह एक कॉमन सेंस जैसा भी महसूस होता है।”

इंवॉल्व के संस्थापक और ओएससीए सोशल इंपैक्ट लैब के निदेशक रिक विल्सन ने कहा “जलवायु से लेकर कोविड-19 तक यह लगातार स्पष्ट होता जा रहा है कि हमारी अंतर्राष्ट्रीय शासन प्रणालियां मौजूदा युग में कई संकटों से एक साथ निपटने में मुश्किलों का सामना कर रही हैं। ग्लोबल असेंबली कोई एक परियोजना नहीं है बल्कि यह सुशासन के ढांचे का एक नया हिस्सा है। इसका मकसद अपने नेताओं की बदलावों के बारे में समझ सुनिश्चित करने के साथ-साथ लोगों को नेतृत्व के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है क्योंकि इस वक्त हर किसी को अपनी अपनी भूमिका निभानी है।’’

लंबे वक्त से जलवायु पर अंतरराष्ट्रीय बहस में शक्तिशाली माइनॉरिटीज का दबदबा रहा है। अब इसे खत्म करने का समय आ गया है। ग्लोबल सिटीजंस असेंबली वैश्विक लोकतंत्र में किया जा रहा अब तक का सबसे बड़ा प्रयोग है। यह हमारे सामने खड़े संकट जितना ही बड़ा महत्वाकांक्षी कदम है।

ग्लोबल असेंबली सीओपी26 की कोर टीम की सदस्य क्लेयर मेलियर ने कहा “हम ग्लोबल असेंबली में अनेक नई आवाजें लाएंगे जिन्हें पहले कभी शायद ही सुना गया हो। हो सकता है कि वह उन स्थितियों से सहमत ना होने जा रहे हों, जिनसे हम गुजर रहे हैं या फिर इस बात से सहमत ना हों कि हमें आगे क्या करना चाहिए। बहरहाल, हम लोगों को ध्यानपूर्वक सुनेंगे ताकि वास्तविक समझ सामने आ सके और जब यह होगा तो हम जानते हैं कि नई संभावनाएं प्रकाश में आएंगी, जिनसे पता लगेगा कि हम साथ मिलकर क्या कर सकते हैं।’’

डैनिश बोर्ड ऑफ़ टेक्नोलॉजी के उपनिदेशक बियान बिल्स्टॅ ने कहा “सीओपी26 के लिए ग्लोबल सिटीजंस असेंबली की बुनियाद उन बातों पर टिकी है जो हमने कोपनहेगन और पेरिस सीओपी में वर्ल्ड वाइड व्यूज प्रोजेक्ट्स से सीखी थीं। इस बार अलग यह है कि हम नागरिकों को अपने नीति एजेंडा लेकर सामने आने का मौका दे रहे हैं। हमारे पास बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक विचार-विमर्श है और हम 100% डिजिटल होने को तैयार हैं।’’

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