- May 30, 2016
जनजाति बालक बालिकाओं के शैक्षिक उत्थान के लिए प्रयास
जयपुर ——- जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री श्री नंदलाल मीणा ने कहा कि जनजाति क्षेत्र के शिक्षा वंचित बालक-बालिकाओं को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक माहौल प्रदान करने के लिए सरकार के स्तर पर हरसंभव संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।
श्री मीणा रविवार को उदयपुर में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग आयुक्त कार्यालय सभागार में जनजाति विकासकारी योजनाओं के संचालन से जुड़ी सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जनजाति बालक-बालिकाओं के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से संचालित ‘‘ग्रांट इन एड स्कीम‘‘ के तहत पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था कराकर सभी को शिक्षा के माकूल अवसर सुलभ कराए जाएंगे।
उन्होंने योजनान्तर्गत कार्य कर रही संस्थाओं एवं जिम्मेदार अधिकारियों से निष्ठा एवं लगन के साथ जनजाति कल्याण की विविध योजनाओं एवं गतिविधियों को अंजाम देने की बात कही। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी स्तर पर योजनाओं की क्रियान्विति की ठोस व्यवस्था की जाएगी। शिथिलता किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
श्री मीणा ने शिक्षा, पशुपालन एवं चिकित्सा आदि क्षेत्रों में चल रहे कार्यक्रमों के बारे में संबंधित संस्थाओं से विस्तार से जानकारी ली और उचित दिशा-निर्देश दिये। प्रत्येक संस्था के लिए नियुक्त होंगे नोडल अधिकारी जनजाति विकास विभाग अंतर्गत चल रही विभिन्न परियोजनाओं, आवासीय विद्यालय एवं गतिविधियों के सतत निरीक्षण के मद्देनजर प्रत्येक कार्यकारी संस्था के लिए एक-एक अधिकारी को दायित्व सौंपा जाकर वर्ष में तीन बार अनिवार्यतः निरीक्षण कराए जाएंगे।
ये अधिकारी अपने प्रतिवेदन जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग आयुक्त एवं प्रमुख शासन सचिव व विभाग के मंत्री तक पहुंचाएंगे। इसकी सतत मॉनिटरिंग स्वयं जनजाति क्षेत्रीय विकास आयुक्त करेंगे। जनजाति कल्याण योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ मिले
श्री मीणा ने कहा कि जनजाति कल्याण के लिए सरकार से आने वाली धनराशि का पूर्ण निष्ठा एवं इमानदारी से उपयोग कर उनके जीवन स्तर को श्रेष्ठ बनाने की दिशा में और प्रभावी प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। गुणीजन की पहचान की जरूरत जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में गुणीजन की महत्वपूर्ण भूमिका है, इनकी सेवाओं एवं अनुभवों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इनकी पहचान करते हुए उन्हें उचित संरक्षण एवं प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
बालक-बालिकाओं का शैक्षणिक स्तर सुधारें1 श्री मीणा ने कहा कि जनजाति आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों के विद्यार्थियों को उचित माहौल प्रदान करते हुए उनके सर्वांगीण विकास के प्रयास किए जाए। उनका शैक्षणिक स्तर श्रेष्ठ बने और वे समाजोत्थान के क्षेत्र में श्रेष्ठ भूमिका अदा कर सकेें।
बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अतिरिक्त आयुक्त, टीआरआई निदेशक, निदेशक (प्लानिंग), संयुक्त निदेशक, अतिरिक्त जिला कलक्टर (शाहबाद), अधिशाषी अभियंता, संयुक्त निदेशक (कृषि) सहित राज्य के जनजाति क्षेत्रों के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।