- June 29, 2018
जज नहीं मध्यस्थ बनकर प्रकरणों को सुलझाएं -चीफ जस्टिस
बिलासपुर—– छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छग उच्च न्यायालय बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस श्री टीबी राधाकृष्णन ने किया ।
इस अवसर पर चीफ जस्टिस श्री टीबी राधाकृष्णन ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को जज नहीं बल्कि मध्यस्थ बनकर प्रकरणों में मध्यस्थता करनी चाहिये। न्यायिक अधिकारियों को सोच में बदलाव लाकर मध्यस्थता कराने की आवश्यकता है। तभी बेहतर परिणाम सामने आएंगे। मध्यस्थता में पक्षकारों का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
उम्मीद है कि 40 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद मध्यस्थता से सुलझाए गये प्रकरणों की संख्या बढ़ेगी। दो पक्षकारों के मध्य उत्पन्न विवाद को मीडियेटर निपटाने का प्रयास करता है। मिडियेशन के द्वारा दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान निकालने की आवश्यकता होती है।
उक्त प्रशिक्षण में 25 जून से 29 जून तक न्यायिक अधिकारियों को मध्यस्थता से प्रकरण निराकरण का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर न्यायमूर्ति श्री प्रीतिंकर दिवाकर ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद उम्मीद है कि पक्षकारों को मध्यस्थता का फायदा मिलेगा।
मध्यस्थ को पता होना चाहिये कि कौन से प्रकरण मध्यस्थता से सुलझ सकते हैं। हमारे न्यायिक अधिकारियों को प्रकरणों में अंतर पता करने की कोशिश करनी चाहिये कि कौन से प्रकरण में वाद आवश्यक है और किसे मध्यस्थता के जरिये सुलझाया जा सकता है।
पारिवारिक झगड़ों को मध्यस्थता के जरिये ज्यादा बेहतर तरीके से सुलझाया जा सकता है। पक्षकारों को मध्यस्थ पर विश्वास जरूर होना चाहिये। विश्वास तभी होगा जब आपने प्रकरण का अध्ययन अच्छे से किया हो।
कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के न्यायधीश श्री आर सी एस सामंत, श्री पी सैम कोशी,श्रीमती विमला सिंह कपूर, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) श्री दीपक कुमार तिवारी जिला न्यायाधीश बिलासपुर श्री एनडी तिगाला, फैमिली कोर्ट बिलासपुर के न्यायाधीश श्री विनोद के कुजूर, श्री संजीव कुमार सिंह, श्री शिवशंकर प्रसाद, श्री रविंद्र सिंह, श्री विवेक कुमार तिवारी सदस्य सचिव छग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित रहे।