- August 4, 2018
चुरहट तहसीलदार भू-माफिया का शिकार
सीधी (विजय सिंह)————- तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने चुरहट तहसील में प्रभार हेतु कलेक्टर को 02 अगस्त को तीसरी बार ज्वाईनिंग दी। पहली बार 10 जुलाई 2017 को शासनादेश के पालन में व तत्पश्चात उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर याचिका के निर्णयोपरांत उन्हें दो बार ज्वाईनिंग देनी पड़ी।
श्रीमती तोमर को भारमुक्ति के आदेश ऐसे ताबड़तोड़ तरीके से जारी किये गये, जैसे युद्ध स्तर पर फरमान जारी होते हैं। 15 साल की सेवा में चुरहट तहसील में उनकी 28 वीं पदस्थापना है। न्यायालय के स्थगन आदेश से वह चुरहट से पदमुक्त तो नहीं हो सकीं, पर अब उन्हें प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है।
चुरहट के भंटहा गांव स्थित तहसीलदार के शासकीय आवास में नलजल प्रदाय की सुविधा नहीं है। व्यवस्था के बतौर नगर पंचायत चुरहट के टैंकर से हफ्ते में एक मर्तबा पानी प्रदाय किया जाता था। किन्तु अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को नगर पंचायत के प्रशासक का दयित्व दिये जाने के उपरांत उनका पानी बंद कर दिया गया।
आखिर एक महिला अधिकारी के साथ ऐसा क्यों और किसके इशारे पर किया जा रहा है ? यदि श्रीमती तोमर किसी मामले में गुनाहगाार हैं, तो उन्हें सेवाच्युत भी करने का अधिकार शासन के पास है। लेकिन मानसिक प्रताड़ना का संवैधानिक अधिकार किसी के पास नहीं है।
इस सम्बंध में चुरहट के प्रबुद्धजनों से बातचीत में जो तथ्य प्रकाश में आये हैं वह चैंकाने वाले हैं। रीवा-सीधी रेल लाईन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 39 में ( मोहनिया से सर्रा तक ) अधिग्रहित की जा रही भूमि में दिये जा रहे मुआवजे में राजस्व अधिकारी व राजनीतिज्ञों द्वारा पोषित भू-माफिया के घालमेल से अरबों रुपये का घोटाला किया जा चुका है और बदस्तूर अभी भी जारी है।
चुरहट तहसील में कहां से ? किसकी जमीन से ? रेल या राष्ट्रीय राजमार्ग निकलेगा ? भू-माफिया को जानकारी दे दी जाती है। वह किसानों से संभावित अधिग्रहित होने वाली भूमि का सौदा करते हैं, इसमें राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का वरदहस्त है। फिर भूमि का छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजन और डायवर्सन (कृषि कार्य से इतर परिवर्तित भूमि) कराकर, किसानों से सौदेबाजी कर भूमि की कीमत कई गुना बढ़ाकर मुआवजा वसूला गया है।
पटवारी हल्का व ग्राम टीकठ कला के एक किसान ने अधिक मुआवजा की लालच में भू-माफिया से मिले बगैर अपनी भूमि को डिसमिल में बांटकर, पचासों बाहरी व्यक्तियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर पचासों बाहरी व्यक्तियों के नाम रजिस्ट्री के जरिये नामांतरण करा दिया था। लेकिन जब एवार्ड पारित हुआ तो उसकी बिक्री शुदा जमीन रेलवे ट्रेक से बाहर पाई गई।
अंततः उसे भू-माफिया व राजस्व अधिकारी गिरोह की मदत लेनी पड़ी। भू अर्जन की कार्यवाही पूर्ण होने के बाद उपरोक्त किसान की जमीन का नक्शा बदल कर (भूमि का विनिमय कर) रेलवे लाईन में लाया गया और अब फिर से भू-अर्जन की कार्यवाही कर शासन को करोड़ों रुपये चपत लगाने की योजना बनाई जा चुकी है। इससे रेलवे लाईन के निर्माण की प्रक्रिया में भी विलम्ब की संभावना है।
बताया जाता है कि श्रीमती अमिता सिंह ने ऐसे ही अन्य ग्रामों के 34 नामांतरण प्रकरणों को निरस्त कर दिया। तहसीलदार की यह कार्यवाही भू-माफिया सहित वरिष्ठ राजस्व अधिकारी को पट्टों की निरस्तगी नागवार लगी।
भू-माफियाओं में राजनीति से जुड़े रसूखदारों व निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के विभिन्न संस्थाओं में मनोनीत प्रतिनिधि हैं। अपने मंसूबों को पूरा न होते देख राजनैतिक पहुंच का भी सहारा लेते हुये श्रीमती तोमर को हटवाने की योजना को अंजाम दिया गया। स्थानांतरण उपरांत रूटीन के अनुसार श्रीमती तोमर को भारमुक्त किया जाता तो वह चली भी जातीं, लेकिन ट्रांसफर आदेश प्राप्ति के पूर्व ही भारमुक्त आदेश दिये जाने से, उनका क्षुब्ध होना लाजिमी था।
चुरहट तहसीलदार के स्थानांतरण से यह तथ्य अवश्य उजागर हुआ है कि चुरहट क्षेत्र में भू-माफिया व राजस्व अमले की दुरभि संधि से रेलवे व नेशनल हाईवे में अधिग्रहित भूमि के मुआवजे में अरबों रुपये की चपत लगाई जा चुकी है और यह सिलसिला बदस्तूर जारी है, जिसमें तहसीलदार श्रीमती अमिता सिंह बाधा बन गई हैं।
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