- August 14, 2017
चीन की खलबलाहट-सुरेश हिन्दुस्थानी
भारत देश में एक शब्द प्राय: सभी ने सुना होगा ‘गीदड़ भभकी’। इसका सीधा अर्थ यही निकाला जाता है, जितनी ताकत है उससे कही ज्यादा ताकतवर दिखाने का नाटक करना। चीन की वर्तमान हरकत कुछ इसी प्रकार की प्रस्तुति करती हुई दिखाई दे रही है। वर्तमान में चीन इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि वह भारत के विरोध में सीधी कार्यवाही नहीं कर सकता। इसका मतलब यह नहीं कि चीन के पास आणविक शक्ति का अभाव है, बल्कि यही है कि वर्तमान में भारत, चीन का बहुत बड़ा व्यापार क्षेत्र है।
पिछले दो बार के युद्धों के आंकड़ों को देखकर चीन खुद असमंजस की अवस्था में आ जाता है। भारत के साथ हुए दो युद्धों में चीन का व्यापार प्रभावित हुआ था। वर्तमान में भारतीय बाजारों की स्थितियां बहुत भिन्न हैं। चीन के सामानों से बाजार अटे पड़े हैं। ऐसे में चीन इस बात को लेकर भयग्रस्त भी है कि भारत के नागरिकों ने इस बार चीनी माल का बहिष्कार किया तो आर्थिक क्षति ज्यादा होगी। वास्तव में आज चीन पर भारत की देश भक्ति ज्यादा ही प्रभाव डालती हुई दिखाई दे रही है। मात्र इसी कारण से चीन अपनी खीझ को बौखलाहट के रुप में प्रस्तुत कर रहा है।
वर्तमान में चीन उसी प्रकार की भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता हुआ दिखाई दे रहा है, जैसी उससे उम्मीद की जा सकती है। भारत के दोनों पड़ौसी देशों से दोस्ती की कल्पना करना असंभव ही कहा जा सकता है। पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित भारत में की जाने वाली आतंकवाद की कार्यवाही को परोक्ष रुप से चीन का समर्थन मिल ही जाता है। कई पाकिस्तानी आतंकियों का चीन ने खुलकर समर्थन किया है तो कई बार कश्मीर मुद्दे पर वास्तविकता को झुठलाने वाली बयानबाजी करके पाकिस्तान कर पक्ष लिया है।
वर्तमान में चीन की बौखलाहट का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि जिस प्रकार से लम्बे समय से चीन द्वारा भारत के विरोध में कार्यवाही और बयानबाजी की जा रही है, उससे भारत के नागरिकों में चीन के प्रति नकारात्मक वातावरण बना है। भारत के नागरिक जहां किसी भी आतंकवादी हमले पर पाकिस्तान को सोशल मीडिया के माध्यम से खरी खोटी सुनाने में आगे आ रहे हैं, वहीं चीन भी इसकी परिधि में भारतीय नागरिकों के गुस्से का शिकार होता जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई बार चीनी सामान न खरीदने की अपील भी देखी जा रही है।
दुश्मन देश की वस्तुओं को न खरीदने की इस अपील का भारत में व्यापक प्रभाव भी दिखाई दे रहा है। अंतरताने के एक आंकड़े पर विश्वास किया जाए तो यही कहा जाएगा कि पिछले दो साल में चीन के सामान की बिक्री में बहुत ज्यादा गिरावट देखी गई है। चीन की झुंझलाहट का ण्क कारण यह भी माना जा रहा है। आत भारत की जनता में यह विश्वास तो हो ही गया है, चीन का सामान विश्वसनीय नहीं होता। भारत का ग्राहक आज सस्ते के चक्कर में खराब वस्तु लेने से बचने लगा है।
अब भविष्य में यह आशंका भी व्यक्त की जाने लगी है कि चीनी वस्तुओं की बिकगी में गिरावट का यह क्रम ऐसे ही चलता रहा तो चीन की अर्थ व्यवस्था चकनाचूर हो जाएगी। चीन को सबक सिखाने के लिए भारत की ओर से यह कदम भी जरुरी ही था। इसलिए कहा जा सकता है वर्तमान में चीनी वस्तुओं पर भारत की राष्ट्रभक्ति भारी पड़ती जा रही है।
भारत के विरोध में चीन हमेशा कोई न कोई ऐसे कारण तलाश ही लेता है, जिससे भारत को बुरा लगे। जब भी भारत ने आतंक का दंश झेला है चीन ने अपनी कुटिल नीति को अंजाम दिया है। इस बार अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद फिर से भारत के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
चीन ने कश्मीर समस्या को उभारकर जो मंशा व्यक्त की है, उसका सीधा आशय यह भी है कि चीन, कयमीर को अंतरराष्ट्रीय समस्या के रुप में उभारना चाहता है। मात्र इसी कारण को ध्यान में रखते हुए चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर समस्या को हमेशा उलझाने का प्रयास किया है। जबकि यह प्रारंभ से ही परिलक्षित है कि कश्मीर समस्या है ही नहीं, यह मात्र पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की अति का ही नमूना है।
इस वास्तविकता को चीन हमेशा नजरअंदाज करता रहा है। इतना ही नहीं पूरा विश्व भी कश्मीर समस्या को अंतरराष्ट्रीय समस्या ही मानकर चलता रहा था। वर्तमान में प्रधानमंत्री की कार्यकुशलता के चलते यह स्वत: ही सिद्ध होता जा रहा है कि कश्मीर समस्या वास्तव में पाकिस्तान की ही देन है। हम यह भी जानते हैं कि चीन भारत के खिलाफ कोई मौका नहीं छोड़ता। एक तरफ पूरा विश्व आतंकवादी साजिशों को बखूबी समझ रहा है, दूसरी ओर चीन आतंकवादी कार्रवाई पर चुप रहकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है।
चीन की चालबाजी को देखकर यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि चीन भारत की छवि को खराब करने के उद्देश्य से कश्मीर मुद्दे का हल निकालने के लिए तीसरे पक्ष की गुंजाइश पैदा करने की चाह रखकर ही अपनी योजना बना रहा है और इसी कारण ही वह हर चाल को बहुत ही चतुराई के साथ चल रहा है। इसके विपरीत भारत एक ऐसा देश है जो अपने नागरिकों को केवल धार्मिक स्वतंत्रता ही नहीं देता बल्कि उनके विश्वास का भी सम्मान करता है।
देश के भीतर व बाहर धार्मिक यात्राओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। फिर ऐसे देश में धार्मिक यात्रियों पर हमले बेहद दुखद हैं। ऐसे दौर में जब आतंकवादी निदोर्षों की हत्या कर रहे हों तब चीन का कश्मीर मुद्दे की दुहाई देना उसकी कथनी व करनी पर सवाल खड़े करता है। चीन और पाकिस्तान को इस सत्य को जान लेना चाहिए कि आतंकवाद किसी भी देश के हित में नहीं है।
आतंकवाद को पालने वाले देश भी स्वयं धोखे का शिकार हो रहे हैं, ऐसे में आतंकवाद को संरक्षित करने वाले चीन को भी एक दिन आतंक की भाषा क्या है, इसका पता लग सकता है। आतंकवाद के प्रति संरक्षित भाव रखने वाले कई देश इस धोखे का शिकार हो चुके हैं। चीन आतंकवाद के पौधे को बढ़ने-फूलने में सहयोग देने की बजाय अमन-शांति व खुशहाली का रास्ता चुने। वर्तमान में भारत को भी चीन की कुत्सित कार्रवाईयों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता है।
सुरेश हिन्दुस्थानी
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