• December 11, 2017

चार साल- जल संसाधन व जल प्रबन्धन में कीर्तिमान

चार साल- जल संसाधन व जल प्रबन्धन में  कीर्तिमान

-रोशनलाल शर्मा —————–‘‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून।’’ यह दोहा जल संचयन की वर्तमान स्थिति को देखते हुए नसीहत भरा है। राजस्थान की वसुन्धरा राजे सरकार ने इस दोहे के मूल भावार्थ पर ईमानदारी से काम करना शुरू किया है। उनकी भावना को आमजन ने भी समझा और मुख्यमंत्री के आह्वान के साथ कारवां जुड़ता चला गया।
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राजस्थान के बारे में अब तक यही परिकल्पना रही है कि यह एक मरूप्रदेश है, जहां रेत के टीले हैं और बहुत बड़ा भू-भाग बंजर है। राजस्थान और अकाल का लम्बा साथ रहा है, लेकिन ये तस्वीर अब बदल रही है।

जल संसाधन और जल प्रबंधन के क्षेत्र में पिछले चार सालों में वसुन्धरा राजे सरकार ने कीर्तिमान खड़े किए हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश के किसान को केन्द्र में रखकर उपलब्ध जल संसाधनों के समुचित और तकनीकी उपयोग को बढ़ाया दिया। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और जल संसाधन मंत्री डा. रामप्रताप की किसान हितैषी सोच का ही नतीजा है कि आज किसान को सिंचाई के लिए पानी की दिक्कत नहीं है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान आज राज्य की पहचान बन गया है और इस अभियान से दूसरे राज्य भी प्रेरणा ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री की सोच थी कि गांव का पानी गांव के काम ही आए। इस अभियान का तीसरा चरण शुरू हो चुका है। उन गांवों में जहां बारिश के चार माह के बाद पूरे आठ माह तक पीने, पशुओं और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता समाप्त हो जाती थी, आज वहां मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की वजह से हरियाली फैली है। वहां बनाए गए छोटे-छोटे तालाबों और टांकों में वर्ष पर्यन्त पानी दिखने लगा है। ऎसे ही सुखद परिणाम नदी जोड़ों अभियान के प्राप्त होने लगे हैं।

राज्य में उपलब्ध सीमित जल संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग व जल प्रबंधन हेतु विभिन्न नदी बेसिनों में उपलब्ध अधिशेष जल को जल न्यूनता वाले नदी बेसिन में स्थानान्तरण करने के लिए अन्तरराज्यीय नदियों को आपस में जोड़ने की योजना है। राज्य में बहने वाली विभिन्न नदियों को जोड़कर सरप्लस पानी का समुचित उपयोग करने के लिए एस.पी.पी.ई.एम. सेल का गठन किया गया जिसमें विभाग द्वारा जल क्षेत्र में विभिन्न नदियों को जोड़ने एवं उसके बेसिन में सिंचित क्षेत्र का विकास कर अग्रिम दूरगामी वृहद परियोजना बनाने के लिए 12 प्रस्ताव लिए गए थे।

ब्राह्मणी नदी के शेष जल को बीसलपुर बांध में 20 किमी के ऊपर बनास नदी में जल अपवर्तन के लिए ब्राह्मणी नदी पर बांध बनाकर व जवाहर सागर से लिफ्ट कर कुल 355 एमसीएम पानी बीसलपुर में लाया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार चम्बल बेसिन की पार्वती नदी एवं काली सिंध नदी को जोड़ने एवं नहर द्वारा पानी को धौलपुर पहुंचाने की परियोजना की ड्राफ्ट डीपीआर प्राप्त हो चुकी है। वेपकोस द्वारा आक्षेपों की पूर्ति कर पुनः डीपीआर नवम्बर, 2017 में प्रस्तुत की जा चुकी है।

इसके अतिरिक्त राजसमन्द जिले की पेयजल समस्या के माही जलाशय के दांये भाग से एक हाईलेवल गुरुत्वाकर्षण नहर के निर्माण से राजसमन्द बांध मेें पानी लाया जाएगा। इस प्रस्ताव से आदिवासी गांवों बड़ी सादडी, डूंगल, वल्लभनगर, भिण्डर एवं मावली इत्यादि में पीने के पानी की आपूर्ति संभव हो सकेगी और राजसमन्द को पूरे वर्ष एक हजार मीट्रिक घनफीट पीने का पानी प्राप्त होगा। इस परियोजना की लागत लगभग 1 हजार 221 करोड़ रुपए होगी।

राज्य में उपलब्ध सीमित जल संसाधनों के समग्र विकास, उपयोग एवं प्रबंधन हेतु बेसिन, सब-बेसिन, जल ग्रहण क्षेत्रों में विकास कार्य कराने तथा जन सहभागिता पर आधारित योजनाएं बनाकर उनके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान नदी बेसिन एवं जल संसाधन आयोजना प्राधिकरण का गठन किए जाने का निर्णय लिया गया। राजस्थान रिवर बेसिन एंव वाटर रिसोर्सेज प्लानिंग अथोरिटी बिल विधानसभा से पारित हो चुका है एवं वाटर रिर्सोसेज प्लानिंग आथोरिटी ने काम भी शुरू कर दिया है।

बूंद-बूंद सिंचाई से सिंचाई जल का अनुकूलतम उपयोग
राज्य में उपलब्ध जल संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग के लिए नई सिंचाई परियोजनाओं में न्यूनतम 10 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र में बून्द-बून्द फव्वारा पद्धति से सिंचाई का निर्णय लिया गया हैं। नर्मदा नहर परियोजना पर फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। परियोजना के तहत राजस्थान सीमा में वितरिकाओं का निर्माण कार्य पूर्ण कर, 2 लाख 45 हजार 800 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा तैयार की गई।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 24 माईनरों के 28 हजार 732 हैक्टेयर सीसीए में फव्वारा सिंचाई पद्वति को लागू किया गया। इन परियोजनाओं की सफलताओं को देखते हुए इंदिरा गांधी नहर परियोजना के द्वितीय चरण की 6 लिफ्ट परियोजनाओं के 3.20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति लागू करने का कार्य आरम्भ किया गया है।

जल आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य जल नीति वर्ष 2010 का पालन किया जा रहा है। वर्षा जल, सतही जल, भू-जल तथा मृदा जल के एकीकृत प्रबंधन पर आधारित फोर वाटर कन्सेप्ट के तहत राज्य के विभिन्न नदी बेसिनों का विकास करने का निर्णय लिया गया।

प्रगतिरत कार्य (दिसम्बर-2013 से 30 सितम्बर-2017 तक)

जल संसाधन विभाग द्वारा विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं पर 5525.91 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इन्दिरा गांधी नहर परियोजना सहित विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं पर 48 हजार 657 हैक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त िंसंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई एवं 13 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण की गई।

नर्मदा नहर परियोजना पर फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। परियोजना के अन्तर्गत राजस्थान सीमा में वितरिकाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर हैं तथा 12 हजार 717 हैक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सृजित की गई व 479.14 करोड़ रुपए व्यय किये जा चुके हैं।

गंग नहर आधुनिकीकरण परियोजना का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान सरकार के गठन के पश्चात् इस परियोजना पर 164.66 करोड़ रुपए व्यय किये गए एवं 656 हैक्टैयर सिंचाई क्षेत्र सृजित किया गया है। यूरोपियन कमीशन से अनुदानित राज्य सहभागिता कार्यक्रम में यूरोपियन कमीशन द्वारा 450 करोड़ रुपए का अनुदान स्वीकृत हुआ है। इस परियोजना पर कुल 182.99 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

फोर वाटर कन्सेप्ट परियोजना को संपूर्ण राज्य में लागू किया गया है जिससे व्यर्थ में बहकर जाने वाले जल को संग्रहित किया जा रहा है। वर्तमान में माही, चम्बल, लूनी, सूकली एवं पश्चिमी बनास, बनास, गंभीरी, पार्वती एवं शेखावटी बेसिन में 328 माईक्रो सिंचाई टेंक, 50 माईक्रो स्टोरेज टेंक (फोरेस्ट) एवं 48 चैक डेम के कुल 426 कार्य 836.82 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। 30 सितम्बर 2017 तक 262 माईक्रो सिंचाई टेंक, 42 माईक्रो स्टोरेज टेंक (फोरेस्ट) एवं 48 चैक डेम पूर्ण किये जा चुके हैं। फोर वाटर कन्सेप्ट परियोजना पर कुल 539.25 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

राजस्थान नदी बेसिन एवं संसाधन आयोजना प्राधिकरण बिल विधानसभा से पारित चुका है और प्राधिकरण अथोरिटी ने कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इन्दिरा गांधी मुख्य नहर की आरडी 0 से 200 की नहर प्रणाली के जीर्णोद्धार, सेम समस्या निवारण एवं बाढ़ के समय अतिरिक्त जल के उपयोग हेतु कुल 3291.63 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए ऋण अनुबन्ध की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

अन्य उपलब्धियां
• 114 सहायक अभियंताओं, 994 कनिष्ठ अभियंताओं एवं 298 मृतक आश्रितों को नियुक्ति प्रदान की गई एवं 65 पटवारियों की भर्ती वर्तमान में प्रक्रियाधीन है।
• ब्राह्मणी नदी के आधिक्य जल को बनास नदी में अपवर्तित करने के कार्य की 4 हजार करोड़ की डीपीआर तैयार की जा चुकी है।
• पार्वती-कालीसिन्ध-मेज-चाकन नदियों के बेसिन के अधिशेष जल को बनास- गम्भीरी-पार्वती नदियों के बेसिन में अपवर्तित करने के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए राशि रुपए 22.70 करोड़ के कार्यादेश मैसर्स वेपकोस को जारी कर दिए गए हैं। केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित की जा चुकी है।
• 40 वर्षों के बाद धौलपुर लिफ्ट की सीईसी सर्वोच्च न्यायालय से क्लीयेरेन्स प्राप्त की जाकर इसकी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति 852 करोड़ रुपए की जारी की गई है।
• आर.आर.आर. स्कीम के अन्तर्गत 25 कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 7 कार्य प्रगतिरत हैं। इनके अतिरिक्त 98 करोड़ के 36 कार्यों के प्रस्ताव भारत सरकार को भिजवाये गये है, जो स्वीकृति प्रक्रिया में है।
• 25 जिलों में पूर्व निर्मित वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु

आर.डब्ल्यू.एस.एल.आई.पी.योजना के तहत 3 हजार 461 करोड़ रुपये की योजना तैयार कर भारत सरकार को भेज दी गई हैं। 34 कार्यों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति 1069.40 करोड़ की जारी की जा चुकी है, जिनमें से 30 कार्यों की निविदा आमंत्रित कर ली गई हैं।

सरकार के नवाचार
जल संसाधन विभाग द्वारा नहरों पर सोलर पैनल लगाये जाकर पानी की क्षति को कम करने व सौर ऊर्जा का उत्पादन किए जाने के संबंध में 2 मेगावाट सोलर फोटो वोल्टेज पावर प्लांट के लिए मुख्य अभियन्ता जल संसाधन उत्तर हनुमानगढ़ द्वारा कनसेप्ट पेपर तैयार किया गया है।

इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की सूरतगढ़ शाखा की नौरंगदेसर वितरिका की मैनावाली माईनर पर 2 मेगावाट सोलर फोटो वोल्टेज पावर प्लान्ट स्थापित करने की परियोजना की लागत 26 करोड़ रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा जारी की गई है। उक्त लागत का 30 प्रतिशत अर्थात 7.80 करोड़ रुपए केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान स्वीकृत कर राज्य सरकार को हस्तानान्तरित किया गया।

फर्म द्वारा 4.45 रुपए प्रति यूनिट बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। उक्त मैंनावली माईनर के आर.डी. 0 से 16 (5 कि.मी.) के बीच तथा दोनों पटरों पर नहर को कवरिंग करते हुए पूर्ण करवा दिया गया है। पावर प्लान्ट को जी.एस.एस. से जोड़कर बिजली सप्लाई की जा रही है।

सिर्फ दावे नहीं, काम बोलता है

जल संसाधन विभाग ने पिछले चार साल में असंभव को भी संभव कर दिखाया है। अन्य विभागों और संस्थाओं द्वारा जल संसाधन विभाग के कायोर्ं को प्रमाणित किया गया है। विभाग के न्यायिक प्रकरणों के समय पर निस्तारण के लिए प्रमुख शासन सचिव न्याय विभाग द्वारा 3 फरवरी 2016 को हरिश्चन्द्र माथुर प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में गृह व न्याय मंत्री द्वारा प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया।

इसी प्रकार नर्मदा नहर परियोजना राजस्थान के अन्तर्गत सूक्ष्म सिंचाई में अधिकतम एवं दक्षता पूर्ण उपयोग के लिए केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री द्वारा केन्द्रीय सिंचाई एवं शक्ति मण्डल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में नई दिल्ली में 29 दिसम्बर 2015 को प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया।

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