• September 11, 2017

चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत—–29523 प्रकरणों का निस्तारण

चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत—–29523 प्रकरणों का निस्तारण

जयपुर————— चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर/जयपुर सहित प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में किया गया। इसमें राजीनामा की भावना से 29523 प्रकरणों का निस्तारण राजीनामा की भावना से किया गया।

राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ न्यायधिपति श्री मोहम्मद रफीक, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायलय विधिक सेवा समिति, जयपुर के द्वारा किया गया।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रि-लिटिगेशन के मुकदमों के साथ-साथ न्यायालयों में लम्बित शमनीय दाण्डिक अपराध, अंतर्गत धारा 138, परक्राम्य विलेख अधिनियम, बैंक रिकवरी मामले, एम.ए.सी.टी. मामले, श्रम-विवाद, बिजली व पानी के बिल (अशमनीय के अलावा), वैवाहिक विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले (केवल जिला एवं उच्च न्यायालय में लम्बित), मजदूरी, भत्ते और पेंशन भत्तों से संबंधित सेवा मामले, राजस्व मामले (केवल जिला एवं उच्च न्यायालय में लम्बित), अन्य सिविल मामले (किराया, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा दावे एवं विनिर्दिष्ट पालना दावे) आदि विषयों से संबंधित प्रकरण रखे गए।

राष्ट्रीय लोक अदालत की बैंच में न्यायिक अधिकारी के द्वारा अध्यक्ष के रूप में और अधिवक्ता/समाज सेवियों के द्वारा सदस्य के रूप में पक्षकारों के बीच समझाइश का कार्य किया जाता है। राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में माननीय पदेन न्यायधिपतिगण की 05 बैंच, जयपुर बैंच में 05 बैंच तथा अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारीगण की 747 कुल 757 बैंचों का गठन किया गया।

राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में न्यायाधिपति श्री महेन्द्र कुमार माहेश्वरी, न्यायाधिपति श्री बनवारी लाल शर्मा, न्यायाधिपति श्री संजीव प्रकाश शर्मा, न्यायाधिपति श्री जी.आर. मूलचन्दानी, न्यायाधिपति श्री संजीव प्रकाश शर्मा व न्यायाधिपति श्री इन्द्रजीत सिंह के द्वारा बैंच के अध्यक्ष के रूप में तथा सीनियर अधिवक्ता श्री जे.पी. गोयल, श्री एम. एम. रंजन, श्री आर.पी. सिंह, श्री आर.एन. माथुर एवं श्री एन.के. मालो के द्वारा सदस्य के रूप में पक्षकारों के बीच समझाईश का कार्य किया गया।

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्यालय पर न्यायाधिपति श्री जी. के. व्यास, श्री पी. के. लोहरा, श्री अरूण भंसाली, श्री दिनेश मेहता एवं के द्वारा अध्यक्ष के रूप में व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एम.ए.सिद्धिकी, श्री राजीव पुरोहित, श्री अंजय कोठारी एंव श्री बी.एस. सांधू के द्वारा सदस्य के रूप में पक्षकारों के बीच समझाईश का कार्य किया गया।

राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में लोक अदालत में प्रि लिटीगेशन के 196 प्रकरण व लम्बित 1790 प्रकरण इस प्रकार कुल 1986 प्रकरण रैफर किये गये। जिनमें से प्रि लिटीगेशन के 13 व लम्बित 109 इस प्रकार कुल 122 प्रकरणों का निस्तारण राजीनामा की भावना से किया गया। प्रि लिटीगेशन के प्रकरणों में 629195 रुपये व लम्बित प्रकरणों में 13167815 रुपये इस प्रकार कुल 13797010 रुपये की अवार्ड राशि पारित की गई।

माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में लोक अदालत में लम्बित 1048 प्रकरण रैफर किये गये। जिनमें से 62 लम्बित प्रकरणों का निस्तारण राजीनामा की भावना से किया गया तथा 3905000 रुपए का अवॉर्ड पारित किया गया।

प्रदेश में प्रि लिटीगेशन के 107032 प्रकरण व लम्बित 140499 प्रकरण इस प्रकार कुल 247531 प्रकरण रैफर किये गये। जिनमें से प्रि लिटीगेशन के 11312 व लम्बित 18211 इस प्रकार कुल 29523 प्रकरणों का निस्तारण राजीनामा की भावना से किया गया। प्रि लिटीगेशन के प्रकरणों में 307496700 रुपये व लम्बित प्रकरणों में 1579286312 रुपये इस प्रकार कुल 1886783013 रुपये की अवार्ड राशि पारित की गई।

एस. के. जैन, सदस्य सचिव, रालसा के द्वारा बताया कि लोक अदालत में प्रकरण का राजीनामे के माध्यम से अंतिम रूप से निस्तारण हो जाता है। इस फैसले की न तो कोई अपील होती है, बल्कि पक्षकारों के द्वारा जो कोर्ट फीस अदालत में जमा कराई है वह भी प्रकरण के निस्तारण पर वापस हो जाती है।

यह राष्ट्रीय लोक अदालत मुख्य न्यायाधिपति श्री प्रदीप नान्द्रजोग, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय, न्यायाधिपति श्री के. एस. झावेरी, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर, न्यायाधिपति श्री जी. के. व्यास, न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर व अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जोधपुर एवं न्यायाधिपति श्री मोहम्मद रफीक, न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जयपुर के निर्देशन में आयोजित की गई और सभी न्यायाधिपतिगण के अथक प्रयासों से राष्ट्रीय लोक अदालत के उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुए हैं।

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