- August 6, 2018
ग्रीनोपोलिस रीयल अस्टेट प्रोजैक्ट का फलैट खरीददारों को राहत पहुंचाने का निर्णय
चण्डीगढ़—– हरेरा गुरूग्राम ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए गुरुग्राम के सैक्टर-89 में अधूरे पडे़ ग्रीनोपोलिस नामक रीयल अस्टेट प्रोजैक्ट को अपनी देख-रेख में पूरा करवाकर फलैट खरीददारों को राहत पहुंचाने का निर्णय लिया है।
बहरहाल, हरेरा द्वारा ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर तथा थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के सभी बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं।
यह जानकारी हरेरा गुरुग्राम के चेयरमैन डा. के के खण्डेलवाल ने आज संवाददाता सम्मेलन में दी। इस मौके पर हरेरा गुरुग्राम के दोनो सदस्य समीर कुमार तथा एस सी कुश भी सम्मेलन में उपस्थित थे।
डा. खण्डेलवाल ने बताया कि गुरुग्राम के सैक्टर-89 में ग्रीनोपोलिस नामक प्रोजैक्ट में 1862 अलाटियों को फलैट आवंटित किए गए हैं और ये अलाटी फलैट की 80 प्रतिशत से ज्यादा कीमत अदा कर चुके हैं जबकि फलैटों का निर्माण कार्य 40 से 50 प्रतिशत ही हुआ है।
उन्होंने बताया कि इस प्रोजैक्ट के लिए ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा वर्ष 2011 में लाईसेंस लिया गया था और अलाटियों को वर्ष 2012-13 में फलैट आवंटित किए गए। इस प्रोजैक्ट में दिसंबर-2015 में पोजेशन दिया जाना था, जो नहीं दिया गया।
उन्होंने बताया कि अलाटी मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे थे और उनकी एसोसिएशन लगातार प्रदर्शन कर रही थी। अलाटियों की एसोसिएशन ने अपनी समस्या उन सभी अधिकारियों के समक्ष रखी जिनसे उन्हें राहत की उम्मीद थी परंतु कोई समाधान नहीं हुआ। इसके पश्चात अलाटी एसोसिएशन ने हरेरा में अपनी शिकायत दाखिल की। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर को 47 एकड़ का लाईसेंस मिला था जिसमें से 37 एकड़ पर यह हाउसिंग प्रोजैक्ट बनाया जा रहा था।
डा. खण्डेलवाल के अनुसार ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर में लाईसेंस प्राप्त करने के उपरांत थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के साथ समझौता करके निर्माण की जिम्मेदारी उसे सौंप दी और समझौते के अनुसार फलैटों में से 35 प्रतिशत फलैट ओरिस द्वारा तथा 65 प्रतिशत फलैट थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा बेचे जाने थे।
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर ने फलैटों की बुकिंग से 300 करोड़ तथा थ्री सी इंफ्रास्ट्रक्चर ने 800 करोड़ रूपए की राशि इक्कट्ठा कर ली परंतु इतना पैसा प्रोजैक्ट में निर्माण पर नहीं लगाया, लिहाजा पैसा कहीं और लगाया गया है।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रोजैक्ट को पूरा करने पर अभी लगभग 500 करोड़ रूपए और लगेगे। इसके अलावा, 82 करोड़ रूपए ईडीसी के भरने बकाया हैं। इस हिसाब से प्रोजैक्ट पर लगभग 582 करोड़ रूपए का खर्च और आएगा। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि अलाटियों से बकाया राशि के तौर पर 120 करोड़ रूपए मिल सकते हैं तथा प्रोजैक्ट के बचे हुए फलैटों व जमीन से लगभग 250 करोड़ रूपए मिलने का अनुमान अलाटी एसोसिएशन द्वारा लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि हरेरा द्वारा अलाटियों की समस्या को देखते हुए ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर तथा थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के सभी बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब अथोरिटी द्वारा अपनी देख-रेख में इस प्रोजैक्ट को पूरा करवाया जाएगा ताकि अलाटियों के हितों की रक्षा की जा सके।
डा. खण्डेलवाल ने बताया कि हरेरा एक्ट की धारा-35 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अथोरिटी ने प्रोफेसर एम एस तुरान को इस प्रोजैक्ट का कमीशनर इंवेस्टिगेशन नियुक्त किया है जो जांच करके 10 दिन में सही तथ्य अथोरिटी के समक्ष रखेंगे। इसके अलावा, सभी स्टेक होल्डरों की सहमति से वितीय अनियमित्ताओं की जांच के लिए कैरीज एण्ड ब्राउन नामक डयू डिलिजेंश फाईनेंशियल फर्म को जिम्मेदारी दी गई है और कितने फलैट बेचे गए व कितने बचे हुए हैं, इसका सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी क्वांटम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड को दी गई है, जो दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगे।
डा. खण्डेलवाल ने बताया कि यदि कोई अलाटी प्रोजैक्ट से निकलना चाहेगा और अपना जमा करवाया हुआ पैसा वापिस मांगेगा तो उसे ब्याज सहित पैसा दिलवाया जाएगा। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि हरेरा गुरुग्राम द्वारा बिल्डर तथा अलाटियों का एक एस्क्रो अकाउंट खोला गया है और अब इस अकाउंट से केवल प्रोजैक्ट को पूरा करने के लिए ही पैसे निकाले जा सकते हैं।
डा. खण्डेलवाल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि अभी तक हरेरा गुरुग्राम को कुल 607 शिकायतें मिली हैं जिनमें से 102 का निपटारा किया जा चुका है। जिनका निपटारा हुआ है उनमें से 60 शिकायतों का निपटारा बिल्डर ने अथोरिटी से बाहर अलाटियों के साथ कर लिया है। उन्होंने कहा कि अब हरेरा बनने के बाद बिल्डर अलाटियों की सुनने लगे हैं।