• March 30, 2016

ग्राम व ढाणियों में 5-5 सौर ऊर्जा आधारित नलकूपों की स्थापना :- अभियांत्रिकी मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी

ग्राम व ढाणियों में 5-5 सौर ऊर्जा आधारित नलकूपों की स्थापना :- अभियांत्रिकी मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी

जयपुर- (विधानसभा सूत्र)——— जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने विधानसभा में घोषणा की कि आगामी वित्तीय वर्ष में प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में तकनीकी रूप से फिजिबल ग्राम व ढाणियों में 5-5 सौर ऊर्जा आधारित नलकूपों की स्थापना की जाएगी।

 उन्होंने वर्षा जल संग्रहण को प्रोत्साहन देने के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः 5 लाख, 3 लाख एवं 2 लाख रुपए का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जहां भूजल सरंक्षण के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान लेकर आई है, वहीं सतही पेयजल स्रोतों पर आधारित योजनाओं पर ध्यान केन्दि्रत किया।

श्रीमती माहेश्वरी ने ग्रामीण क्षेत्र की योजनाएं, शहरी योजनाएं एवं वृहद पेयजल परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2018 तक डेढ़ करोड़ अतिरिक्त लोगों को सतही पेयजल उपलब्ध कराना राज्य सरकार का लक्ष्य है।

उन्होंने पेयजल योजनाओं से जुड़े विभिन्न नवाचारों की जानकारी भी दी। श्रीमती माहेश्वरी मंगलवार को राज्य विधानसभा में मांग संख्या 27 पेयजल योजना पर हुई बहस का जबाव दे रहे थे। बहस के बाद सदन ने पेयजल योजना की 67 अरब 13 करोड़ 30 लाख 37 हजार रुपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दीं।

इससे पहले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि अनुदान मांगों के संदर्भ में 313 कटौती प्रस्ताव सदन में आए हैं, उनका जवाब 72 घंटे में भिजवा दिया जाएगा।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने कहा कि जहां राज्य में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता अन्य प्रदेशों की तुलना में न्यूनतम है, वहीं बहुत कम सतही स्रोत होने व आबादी से उनकी अत्यधिक दूरी के कारण प्रति व्यक्ति पेयजल पहुंचाने का खर्चा देश में सर्वाधिक है। ऎसी परिस्थितियों में प्रदेश की पेयजल समस्या का स्थाई निदान करना काफी कठिन एवं अत्यधिक खर्चीला है, लेकिन राज्य सरकार आमजन को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कृत संकल्पित है।

श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में फरवरी-2016 तक 1700 बस्तियों को पेयजल उपलब्ध करवाकर लाभान्वित किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता से प्रभावित गांवों में तात्कालिक योजना के 1000 आर.ओ. प्लाण्ट लगाने का कार्य अन्तिम चरण में है।

वर्ष 2014-15 में 15 जिलों में 831 प्लांट स्थापित कर चालू कर दिये गये हैं। वर्ष 2015-16 में राज्य सरकार ने 2000 आर.ओ. प्लांट लगाने का कार्य हाथ में लिया है। उन्होंने कहा कि फ्लोराइड की समस्या से मुक्ति हेतु हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष में सौर उर्जा चलित 400 डी-फ्लोरीडेशन संयंत्र लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा आधारित एक हजार नलकूपों की स्थापना की जा रही है। साथ ही वर्ष 2016-17 में 1000 सोलर ट्यूबवैल और स्थापित किये जाएंगे।

श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राज्य में अब तक कुल 1700 जनता जल योजनाओं को दुरूस्त कर पुनः चालू करने हेतु 140 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर कार्य प्रारंभ कर दिये गये हैं और अगले वित्तीय वर्ष में 1000 और जनता जल योजनाओं को दुरस्त करवाने के कार्य हाथ मे लिये जायेंगे।

उन्होंने जानकारी दी कि राज्य के सभी 222 शहरों व कस्बों को विभिन्न पेयजल योजनाओं से लाभान्वित किया हुआ है। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत शहरों को सतही जल स्रोतों से, 60 प्रतिशत शहरों को भू-जल स्रोताें से और शेष 20 प्रतिशत शहरों को सतही एवं भू-जल के मिश्रित जल स्रोतों आधारित जल योजनाएं शामिल हैं।

वृहद पेयजल परियोजनाएं की जानकारी देते हुए श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि इस वर्ष के बजट में 6 वृहद परियोजनाएं 5265 करोड़ रुपए की बहुराष्ट्रीय वित्त पोषण के माध्यम से स्वीकृत की गई हैं, जिनसे जयपुर शहर, राजसमन्द, बाड़मेर की चौहटन व गुड़ामलानी तहसीलों के गांव तथा झुंझुनूं की सूरजगढ़ व उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र लाभान्वित होंगे। साथ ही उन्होंने जोधपुर शहर के लिए राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल के फेज-3 की डीपीआर बनवाए जाने की घोषणा भी की।

श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि हमारी सरकार पेयजल के स्रोतों की क्षमता व विश्वसनीयता बढ़ाने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम ड्रिंकिंग वॉटर ग्रिड की स्थापना की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने रिवर बेसिन ऑथरिटी बनाई जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने विभिन्न नवाचारों की जानकारी देते हुए बताया कि जलदाय योजना में रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है। विद्युत खपत में कमी करने के उद्देश्य से पम्प हाउसों एवं नलकूपों का संचालन एवं संधारण एस्को पद्धति पर किए जाने का निर्णय लिया गया है।

एस्को पद्धति में पानी के सम्पूर्ण तंत्र के रख-रखाव को अनुबंध पर दिया जाकर अनुबंधक के निवेश से उच्च दक्षता वाली पम्पिंग मशीनरी आदि लगाकर जलप्रदाय योजना के तंत्र को ऊर्जा दक्ष बनाया जाता है।

 रिसर्जेन्ट राजस्थान में राज्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वॉटर मैनेजमेंट की स्थापना के लिए दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ करार किया गया।

इस केन्द्र में जल प्रबंधन के क्षेत्र में क्षमता संवर्धन, रिसर्च एवं ज्ञान प्रसार का कार्य किया जाएगा। इसके लिए इस वर्ष 5 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि वर्तमान में जिला स्तर पर पेयजल की गुणवत्ता के परीक्षण की व्यवस्था है। इस व्यवस्था का लाभ ग्रामीण जन तक पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा जिलों में स्थापित प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त प्रत्येक जिले में मोबाइल लैब स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में पेयजल की चोरी एवं अवैध कनैक्शन को रोकने के लिए बिजली विभाग की तर्ज पर जलदाय विभाग में भी जिला स्तर पर विजीलेंस स्क्वाड गठित किये जाएंगे।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री द्वारा सदन में की गईं प्रमुख घोषणाएं –

– 4000 की आबादी के नोम्र्स में शिथिलता प्रदान करते हुए टीएसपी (ट्राइबल शेड्यूल्ड एरिया) और बीएडीपी (बॉर्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम) क्षेत्र में 3000 से अधिक आबादी वाले ग्रामों में घर-घर कनेक्शन का कार्य हाथ में लिया जाएगा।

-आपणी योजना क्षेत्र अन्तर्गत आने वाले गांवों के लिए शिथिलता प्रदान करते हुए 50 प्रतिशत जन सहयोग करने पर 3000 से अधिक की आबादी के गांव में घर-घर कनेक्शन पहले चरण में करवाए जाएंगे।

– आगामी वित्तीय वर्ष 2016-17 के अन्तर्गत प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में तकनीकी रूप से फिजिबल ग्राम व ढाणियों में 5-5 सौर ऊर्जा आधारित नलकूपों की स्थापना की जाएगी।

-पेयजल स्रोत अथवा पेयजल लाइन से 300 मीटर तक की दूरी के तहत आने वाली गौशालाओं को पेयजल की उपलब्धता व उचित दबाव के अनुरूप मांग अनुसार एक इंच व्यास तक का कनेक्शन घरेलू श्रेणी में उपलब्ध कराया जाएगा।

-बांदीकुई भौगोलिक एवं प्रशासनिक नियंत्रण की स्थिति के मद्देनजर उपखंड क्षेत्र के कार्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बांदीकुई उपखंड कार्यालय का स्थानान्तरण खंड महुआ से खंड दौसा के अधीन किया जाएगा।

-प्रदेश में पेयजल का मात्र पीने तथा सेनीटेशन कार्यों  में उपभोग करने वाले छोटे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों (कुल क्षेत्रफल 200 वर्गफीट तक) को राहत देने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा ऎसे उपभोक्ता पेयजल सम्बन्धों को घरेलू उपभोग श्रेणी में चार्ज करने की घोषणा।

-राज्य सरकार द्वारा बहुमंजिले परिसरों में पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराये जाने के लिए प्रायोगिक तौर पर जयपुर शहर के चार क्षेत्र बनीपार्क, सी-स्कीम, बापू नगर एवं राजापार्क, तिलक नगर आदि का चयन करते हुए निर्माण कार्यो की लागत का आकलन किया गया।

बहुमंजिला परिसरों में पेयजल सुविधा के लिए आवश्यक पूंजीगत कार्यो की लागत के आधार पर 62 रुपए प्रतिवर्गफीट लागत दर का आकलन किया गया है।

ऎसे परिसराें में सम्बन्ध के लिए उपभोक्ताओं को जल सम्बन्ध परिसर के कुल बिल्टअप क्षेत्रफल के विरुद्ध 62 रुपए प्रतिवर्गफीट की राशि जमा कराये जाने की स्थिति में पेयजल सम्बन्ध जारी किए जा सकेंगे तथा उपभोग किये जल के विरुद्ध निर्धारित श्रेणी के अनुसार जल शुल्क राशि चार्ज की जाएगी।

डीपीआर बनाने की घोषणाएं –

राजसमन्द जिले की भीम व देवगढ़ तहसीलों को चम्बल-भीलवाड़ा परियोजना अथवा बीसलपुर बांध परियोजना से लाभान्वित करने की फिजीबिलिटी चैक करते हुए डीपीआर बनाना। –

एक लाख से अधिक आबादी वाले 25 शहरों की पेयजल परियोजना के पुनर्गठन की डीपीआर।

-एक लाख की आबादी से ऊपर के समस्त शहरी जलप्रदाय योजनाओं की वर्ष 2045 की अभिकल्पित जनसंख्या को आधार मानकर संवर्धन के लिए डी.पी.आर. बनाई जाएगी।

25 शहरों क्रमशः झालावाड़, भिवाडी, ब्यावर, हनुमानगढ़, गंगापुरसिटी, हिण्डौनसिटी, सूजानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, अलवर, भरतपुर, सीकर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, चूरू, बांरा, चित्तौड़गढ़, नागौर, बूंदी, भीलवाड़ा, किशनगढ़, जयपुर, अजमेर, कोटा एवं उदयपुर को चिन्हित किया गया है।

 अलवर जिले के खैरथल, खेड़ली एवं किशनगढ़बांस की पेयजल योजना के संवर्धन के लिए भी डी.पी.आर. बनाई जाएगी। -राज्य के 10 हजार से अधिक आबादी वाले गांवों की पेयजल परियोजनाओं के पुनर्गठन की डीपीआर।

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